
सेना में निर्माण प्रोजेक्ट्स में भ्रष्टाचार पर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने तीनों सैन्य प्रमुखों को कड़ी चिट्ठी लिखी है। यह पहला मौका है कि तीनों सेनाओं से जुड़े किसी मामले में सीडीएस इस तरह मुखर हुए हैं।
उन्होंने पत्र में केंद्रीय सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) का हवाला देते हुए कहा है कि सीवीसी ने जवानों के लिए बनाए जा रहे आवासीय परिसरों की दुर्दशा पर जो सवाल उठाए हैं उससे मैं शर्मिंदा हूं क्योंकि मेरे पास कोई जवाब नहीं है। उन्होंने तीनों सेना प्रमुखों को कड़े शब्दों में हिदायत दी है कि इन मामलों की जांच सुनिश्चित कर भ्रष्टाचारियों पर तुरंत कार्रवाई की जाए।
17 सितंबर को लिखा था पत्र
जनरल रावत के 17 सितंबर के इस पत्र में मैरिड अकोमोडेशन प्रोजेक्ट के कई मामलों को उल्लेख किया है। पत्र के मुताबिक सीवीसी ने मेरठ के एक प्रोजेक्ट को लेकर ये सवाल उठाए थे। लेकिन जनरल रावत ने देशभर में चल रहे मैरिड अकोमोडेशन प्रोजेक्ट्स को लेकर अपनी चिंताएं जाहिर कीं।
उन्होंने दिल्ली में सलारिया एन्क्लेव का जिक्र किया जिसके फ्लैट तीनों सेनाओं के लिए हैं। जनरल रावत ने कहा कि सैन्य अधिकारी इस आवासीय परिसर को सीरियाई बैटल ग्राउंड के दृश्य के तौर पर पेश करते हैं। उन्होंने कहा कि यह परिसर रहने लायक कतई नहीं लगता। उन्होंने कोलकाता में बनाई गई इसी तरह की दो अन्य इमारतों का उल्लेख भी किया गया है जो टेढ़ी हो चुकी हैं और रहने के लिए बेहद खतरनाक हैं।
इस बारे में भास्कर ने सेना के आधिकारिक प्रवक्ता कर्नल अमन आनंद से सवाल किए। प्रवक्ता ने कहा कि सेना में एक पारदर्शी तंत्र है और किसी भी अनियमितता के मामले में त्वरित और सख्त कार्रवाई सुनिश्चित की जाती है। बता दें कि तीनों सेनाओं के लिए मैरिड अकोमोडेशन प्रोजेक्ट के लिए अलग से महानिदेशालय काम कर रहा है। चार चरणों में इन परियेाजनाओं के तहत करीब 2 लाख आवासीय इकाइयां देशभर में बनाई गई हैं और इतनी ही और इकाइयां बनाने की आवश्यकता बताई गई है।
राजस्थान में 125 करोड़ के घटिया आयुध स्टोरेज को गिराने का आदेश
सेना की दक्षिण पश्चिम कमान के तहत राजस्थान में 125 करोड़ रुपये की लागत से एक आयुध स्टोरेज हाउस बनाने की परियोजना में भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद उसे गिराने के आदेश का भी पत्र में हवाला दिया गया है। पिछले महीने के पहले सप्ताह में निष्पक्ष सरकारी एजेंसी की जांच में इस परियोजना में भ्रष्टाचार में कई सैन्य और असैनिक अधिकारियों को दोषी पाया गया है।
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