Sunday, May 31, 2020

पठानकोट में एक दानवीर फकीर ने गरीबों में बांटे मास्क और राशन; दिल्ली में वॉलपेंटिंग बनाकर किया काेरोना वॉरियरर्स को सलाम

पठानकोट में एक दानवीर फकीर ने गरीबों में बांटे मास्क और राशन; दिल्ली में वॉलपेंटिंग बनाकर किया काेरोना वॉरियरर्स को सलाम

लॉकडाउन अनलॉक के साथ ही उम्मीदों की किरण नजर आने लगी है।आज सेहमें नई उड़ान भरनी है, ताकि अर्थव्यवस्था संभले। ऊपर दी गई फोटो राजस्थान के नागौर स्थितकुचामन सिटी की है। देश में 68 दिन का लॉकडाउन अनलॉक समाप्त हो रहा है। अनलॉक-1 के पहले दिन आज फिर से जिंदगी पटरी पर लौटने वाली है। अब हर वर्ग अपने कार्य में गति लाने में जुटेगा। सूर्य की गतिमान आभा के साथ ऊंचाइयों की उड़ान भरने वाले परिंदे भी हमें इस तस्वीर से यही संदेश दे रहे हैं कि उठो, जागो, क्योंकि हर रोज जीतने के लिए हमें फिर से उड़ान भरनी है। भास्कर भी यही उम्मीद और कामना करता है कि हम सब अपनी मेहनत व काबिलियत से फिर शिखर को छू लेंगे और असीमित खुशियां वापस लाएंगे। आज से हमें उड़ान तो भरनी है लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग के साथ। लम्बे अरसे बाद मौसम भी बदला-बदला सा है। बारिश की बूंदों से भीगी नरम फिजाएं सुकून दे रही हैं।

असमंजस: जगन्नाथ रथयात्रा की तैयारियां ...

यह तस्वीर गुजरात केसूरत शहर की है।यहां जगन्नाथ रथयात्रा की तैयारियां चल रही हैं, लेकिन यात्रा निकलेगी या नहीं इस पर असमंजस है। इस्कान के जनरल मैनेजर सरोज प्रभु ने बताया कि मंदिर की तरफ से तैयारियां चल रही हैं, लेकिन रथयात्रा निकालने पर अभी निर्णय नहीं लिया गया है। रथ को खींचने के लिए कम से कम 500 लोग लगते हैं और सरकार ने इतने लोगों को एकजुट होने की इजाजत नहीं दी है। अगर सरकार अनुमति देती है तो हम रथयात्रा निकालेंगे।

वल्ला सब्जी मंडी के बाहर परिवार के साथ महिलाओं का प्रदर्शन

पंजाब के अमृतसर की यह तस्वीर हमें थोड़ा सोचने पर मजबूर कर देगी। असल में भिखारी नहीं महामारी के मारे हैं। कोरोनाकाल से पहले ये महिलाएं वल्ला सब्जी मंडी में बाहर से आने वाली गाड़ियों से जमीन पर गिरीं और फेंकी जाने वाली सब्जियों को साफ करके मंडी के गेट पर बेचती थीं, जिनसे चार पैसे आते थे और घर का चूल्हा जलता था, लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते मंडी में इनके आने-जाने पर रोक लगा दी। मंडी के बाहर झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले ये लोग अब दो वक्त की रोटी के लिए परेशान हैं। कारोबारियों ने तो इनकी झुग्गियों को यहां से हटाने तक की मांग की थी। रोजगार के बाद अशियाना छिन जाने का भी इन लोगों को डर है। इस वजह सेरविवार को इन लोगों ने मंडी के बाहर परिवार सहित बर्तन लेकर प्रदर्शन किया और बर्तन खड़का कर अपने लिए रोजगार की मांग की।


ये तस्वीरपठानकोट का दानवीर शख्सकी है... भीख मांगकर बांटे 3 हजार मास्क और गरीबों को राशन

ये तस्वीरपठानकोट का दानवीर शख्स की है... जिसने पीएम मोदी के मन को छुआ, भीख मांगकर बांटे 3 हजार मास्क और गरीबों को राशन बांटा। सवा महीने के भीतर ही पीएम नरेंद्र मोदी ने पठानकोट के दो लोगों को प्रेरणास्रोत बताया। 24 अप्रैल को यहां की युवा सरपंच पल्लवी ठाकुर की के बाद रविवार को मन की बात में मोदी ने पठानकोट के दिव्यांग राजू को प्रेरणास्रोत बताया। बचपन से पोलियोग्रस्त 45 वर्षीय राजू शहर के ढांगू रोड पर 35 सालों से भीख मांगते हैं। बकौल राजू वह भीख से कमाए पैसे से गरीब कन्याओं की शादियों में, भंडारा कराने व राशन बांटकर उनकी मदद कर रहे हैं। लाॅकडाउन के दौरान 3000 से अधिक मास्क बांटे और 100 परिवारों को राशन दिया। प्रधानमंत्री द्वारा नाम लिए जाने के बाद उसके घर लोग बधाइयां देने पहुंचने लगे। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अश्वनी शर्मा भी पहुंचे।

कंटेनमेंट जोन से मुक्त होने की खुशी


यह फोटो चंडीगढ की है।यूटी प्रशासन ने रविवार को मनीमाजरा के शास्त्री नगर को खोल दिया है। यहां से एक कोरोना पॉजीटिव केस आया था जिसके बाद प्रशासन ने काॅलोनी के 8 मकानों को सील कर दिया था। यहां करीब 160
लोग रह रहे हैं। शास्त्री नगर शहर का तीसरा एरिया है जहां से प्रशासन ने कंटेनमेंट जोन हटाया है। इससे पहले सेक्टर-38ए की ईडब्ल्यूएस काॅलोनी और सेक्टर-52 की पुनर्वास काॅलोनी को भी कंटेनमेंट से हटाकर खोल दिया गया था।एडवाइजर मनाज परिदा ने रविवार को शास्त्री नगर को खोले जाने के संबंध में ऑर्डर किए। उन्होंने कहा कि भले ही इस एरिया को कंटेनजमेंट जोन से बाहर कर दिया है, लेकिन यहां रेजिडेंट्स की हेल्थ को नियमित तौर पर मॉनिटर किया जाएगा, ताकि यहां बीमारी को फैलने से रोका जा सके।

200 परिवार पानी के लिए 2 किमी दूर जाने को मजबूर...

तस्वीर मध्यप्रदेश के मुरैना स्थितरामपुरकलां की है। नौतपा की भीषण गर्मी के दिनों में घाटी क्षेत्र स्थित ग्राम पंचायत रुनधान खालसा के नौरावली गांव में 200 परिवार पानी के लिए 2 किलोमीटर का सफर कर रहे हैं। क्योंकि इस गांव के प्राथमिक स्कूल पर लगे हैंडपंप का पानी सूख गया है। इसके अलावा गांव लगे हैंडपंप का पानी खारा है तथा काफी देर बाद पानी आता है। इस हाल में गांव में रहने वाली महिलाओं, किशोरियों व युवाओं को दो किलोमीटर की दूर तय कर पहाड़ों के बीच स्थित प्राचीन कुंए से पानी लाना पड़ रहा है। इसी प्रकार के हालात बामसौली क्षेत्र के धोबीपुरा गांव में बने हुए हैं। इस फोटो कोराघवेंद्र भदौरिया ने अपने कैमरे में कैद किया है।

आज से पर्यटकों के लिए खुलेगी फूलों की घाटी


उत्तराखंड के चमोली स्थितजोशीमठ की तस्वीर है। 12000 फीट की ऊंचाई पर स्थित फूलों की घाटी आज से पर्यटकों के लिए खुलेगी। वन विभाग की टीम ने रास्ता खोल दिया है। इसी टीम ने यह फोटो उपलब्ध कराया है। फॉरेस्ट इंस्पेक्टर दिनेश लाल ने बताया कि निचले क्षेत्र में बर्फ पिघल चुकी है, फूल खिलने लगे हैं। जुलाई में फूलों की बहार होगी। यहां 500 से अधिक प्रजाति के फूल खिलते हैं, जिसमें ब्रह्मकमल, पोटैंटिला, सनफ्लावर, एनीमून शामिल हैं।

ख्वाजा साहब की दरगाह में चिराग रोशन कर कोरोना संक्रमण से मुक्ति के लिए मांगी दुआ

राजस्थान के अजमेर स्थित ख्वाजा साहब की दरगाह रविवार को ऐतिहासिक पल की गवाह बनी। पहली बार दरगाह में 21 हजार चिराग रोशन किए गए। जश्ने ख्वाजा उस्मान हारुनी के तहत 21,000 चिराग रोशन कर कोरोना संक्रमण से मुक्ति के लिए दुआ की गई। लॉकडाउन के दौरान हुए आयोजन का सोशल साइट पर लाइव प्रसारण किया गया। चिश्तिया सूफी मिशन की ओर से यह आयोजन किया गया। मिशन के सैयद यासिर गुर्देजी, जकरिया गुर्देजी, अली अब्बास, अली दुजाना, गजनवी सहित विभिन्न खादिमों ने दरगाह में चिराग रोशन किए। निजाम गेट से ही चिराग रोशन करने का सिलसिला शुरू हो गया था। शाहजहांनी दरवाजे, बुलंद दरवाजा, सहन चिराग , क्वीन मैरी हौज, संदल खाना गेट, बाबा फरीद का दालान, शाहजहानी मस्जिद, बेगमी दालान सहित विभिन्न क्षेत्रों में चिराग रोशन किए गए। दरगाह में पहली बार इस तरह का आयोजन इतने बड़े पैमाने पर किया गया।

अव्यवस्था की बारिश...

यह तस्वीर पंजाब की पठानकोट की है।इस प्रवासी मजदूर को परिवार के साथ ट्रेन से घर जाना था, लेकिन इसकी बारी तो नहीं आई पर बारिश जरूर आ गई। 8 बसों में लुधियाना भेजे छत्तीसगढ़ के 200 मजदूर, आगे ट्रेन से होंगे रवाना, कई अभी भी इंतजार में है। जिले से रविवार को छत्तीसगढ़ के 200 प्रवासी मजदूर 8 बसों में लुधियाना भेजे गए। आगे वे ट्रेन से गए। वहीं, 2 दिन पैदल चलकर जम्मू से शनिवार रात 24 मजदूर राधा स्वामी सत्संग घर पठानकोट पहुंचे। जहां सत्संग घर के सेवकों ने उनको खाना खिलाया। रात को ठहराया। सुबह मजदूर नाश्ता कर बिना बताए पैदल ही घर जाने के लिए निकल पड़े। सत्संग घर के सेवकों को पता चला तो वे वापस ले आए और कहा कि जब तक आपकी ट्रेन नहीं आती तब तक आप हमारे मेहमान हैं।

काेरोना वॉरियरर्स को सलाम...

यह फोटो देश की राजधानीनई दिल्ली की है। यहांकोरोना वॉरियर्स उत्साहवर्धन करता नजारा देखने को मिला। कोरोना वॉरियर्स कोसलाम करती यहां एक वॉलपेंटिंग बनाई गई। इस तस्वीर में डॉक्टर, पुलिसी, नर्स, डिलवरी बॉय, सफाईकर्मी और मीडियाकर्मी की मास्क पहने तस्वीर बनाई गई है।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
A ray of hope seen in Nagaur, Rajasthan, a donor fakir in Pathankot, begging and distributing masks and rations among the poor; Salute to Corona Warriors by creating wallpaintings in Delhi


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3gHXFXd
दिल्ली-एनसीआर में बारिश से सुहाना हुआ मौसम, सप्ताहभर ऐसा ही रहने के आसार

दिल्ली-एनसीआर में बारिश से सुहाना हुआ मौसम, सप्ताहभर ऐसा ही रहने के आसार

रविवार जल्द सुबह दिल्ली-एनसीआर में हुई बारिश से मौसम दिनभर सुहाना बना रहा। इसके कारण अधिकतम तापमान ने 6 और न्यूनतम तापमान ने 7 डिग्री की डुबकी लगाई। आने वाला सप्ताह भी ज्यादा गर्म नहीं रहने के आसार मौसम विभाग ने जताए हैं। मौसम विभाग के मुताबिक रविवार को दिल्ली का अधिकतम तापमान 34.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जोकि सामान्य से 6 डिग्री कम था। वहीं न्यूनतम तापमान सामान्य से 7 डिग्री कम रहकर 20 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया। 24 घंटे में बारिश 9.2 मिली मीटर दर्ज की गई। शाम 5:30 तक 9 घंटे की बारिश की बात की जाए तो यह 2.2 मिली मीटर रही।

सबसे ज्यादा बारिश लोधी रोड एरिया में 12.5 मिली मीटर दर्ज की गई। दिन के समय आसमान में बादल और सूरज के बीच लुकाछिपी का खेल भी चलता रहा। हवा की दिशा ईस्ट और नॉर्थ ईस्ट रही। हवा की न्यूनतम स्पीड 10 और अधिकतम 30 किलोमीटर प्रति घंटा रही। मौसम विभाग ने आने वाले सप्ताह की भविष्यवाणी करते हुए ज्यादा गर्मी नहीं होने के आसार जताए हैं। अधिकतम तापमान 39 डिग्री सेल्सियस, जोकि 3 जून को रह सकता है और न्यूनतम तापमान 21 डिग्री सेल्सियस 1 जून का रहने की संभावना जताई है। सोमवार को अधिकतम तापमान 38 और न्यूनतम 21 डिग्री सेल्सियस रहने के आसार हैं।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
दिल्ली एनसीआर में रविवार को हुई बारिश के बाद आसमान में इस तरह नजर आया इंद्रधनुष।


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/36McaVn
बेटा पापा से बोला आप कोरोना के संक्रमण से खुद को बचाकर रखना, मेरा सबसे बड़ा बर्थडे गिफ्ट यही होगा

बेटा पापा से बोला आप कोरोना के संक्रमण से खुद को बचाकर रखना, मेरा सबसे बड़ा बर्थडे गिफ्ट यही होगा

बेटा पापा से बोला कि कि आप कोरोना के संक्रमण से खुद को बचाकर रखना, मेरे लिए यही सबसे महत्वपूर्ण गिफ्ट होगा। यह बात गुरु तेग बहादुर अस्पताल में लैब टेक्नीशियन के तौर पर कार्यरत गुलाब रब्बानी के दस साल के बेटे ने अपने पिता से कही। रब्बानी का कहना है कि रमजान के दौरान उनकी डयूटी कोविड-19 में लगा दी गई। इस कारण वह अपने दो बच्चों का बर्थडे नहीं मना सके। उनकी एक बेटी का बर्थडे 22 मई को बेटे का 27 मई को बर्थडे होता है। बर्थडे के दिन जब वीडियो कॉल कर बेटा को जन्मदिन की बधाई दी तो वह कुछ नहीं बोले, केवल बातें सुनते रहे।

आखिर में उन्होंने कहा कि पापा आप खुद का ख्याल रखना। कोरोना के संक्रमण से खुद को बचाकर रखना मेरे लिए यही आपकी तरफ से सबसे बडा गिफ्ट होगा। रब्बानी ने बताया कि कोविड डयूटी के समय उन्हें होटल में रखा जाता है। हम लोग घर नहीं जा सकते है। घर जाने में परिवार में कोरोना संक्रमण होने का खतरा बना रहता है। ऐसे में कोविड ड्यूटी के लोगों को परिवार से अलग रखा जाता है।

पैरामेडिक व नर्सिंग स्टाफ को नहीं मिल रही मेडिकल कार्ड व लीव

दिल्ली सरकार के अस्पतालों में काम कर रहे संविदा पैरामेडिकल व नर्सिंग स्टॉफ को मेडिकल कार्ड व लीव नहीं मिल रही है। इस कारण स्वास्थ्यकर्मी इंफेक्टिड होने पर उसकी सेलरी काट दी जाती है और किसी प्राइवेट अस्पताल में इलाज भी ठीक प्रकार से नहीं हो रहा है। दिल्ली स्टेट कॉन्टैक्ट एंप्लाइज एसोसिएशन के महासचिव गुलाब रब्बानी का कहना है कि दिल्ली सरकार के अस्पतालों में संविदा पर करीब 2000 से अधिक पैरामेडिकल व नर्सिंग स्टॉफ इस कोरोना महामारी में मरीजों की सेवा पूरी तन्मयता से काम कर रहा है।

लेकिन जब उनके ये कर्मचारी कोरोना से संक्रमित हो जाते है तो उनकी सेलरी काटी जा रही है और ना ही प्राइवेट अस्पतालों में अच्छा इलाज मिल पा रहा है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि इन दो हजार स्वास्थ्य कर्मचारियों को भी दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य कर्मियों की तरह मेडिकल कार्ड व लीव दी जाए। जिससे ये स्वास्थ्य कर्मियों खुद को और अपने परिवार को भी कोरोना संक्रमण होने से बचा सके।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
Son said to Papa, you should protect yourself from corona infection, this will be my biggest birthday gift


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3ezRXEP
दिल्ली विश्वविद्यालय में 262 पदों के लिए 15 विषयों की स्क्रीनिंग लिस्ट जारी

दिल्ली विश्वविद्यालय में 262 पदों के लिए 15 विषयों की स्क्रीनिंग लिस्ट जारी

दिल्ली यूनिवर्सिटी के विभिन्न विभागों में खाली पड़े सहायक प्रोफेसरों के 262 पदों की नियुक्ति के लिए 15 विषयों की स्क्रीनिंग कर लिस्ट वेबसाइट पर सार्वजनिक कर डाल दी गई है। अन्य बचे हुए विषयों की सूची भी जल्द जारी किए जाने की संभावना है। इन पदों का विज्ञापन गत वर्ष जुलाई 2019 में आया था। सूत्रों के मुताबिक जुलाई/अगस्त महीने में स्थाई नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू हो सकती है। विज्ञापन के अनुसार सहायक प्रोफेसर के 262 पदों में से सामान्य के लिए 98 ,एससी के लिए 36, एसटी के लिए 21, ओबीसी के लिए 69 ,पीडब्ल्यूडी के लिए 08 और ईडब्ल्यूएस के लिए 30 पद है।

हाल ही में 15 विभागों की स्क्रीनिंग लिस्ट जारी की जा चुकी है। ऐसी संभावना जताई जा रही है कि लॉक डाउन खुलते ही इन विभागों में जुलाई/अगस्त माह में नियुक्ति प्रारंभ हो जाएगी। उनका कहना है कि यह इसलिए किया जा रहा है कि कहीं विज्ञापनों की समय सीमा पिछली बार की तरह रद्द न हो जाए इसलिए विभागों में नियुक्ति शुरू कराई जाए।

प्रोफ़ेसर सुमन ने बताया है कि दिल्ली यूनिवर्सिटी प्रशासन ने जिन 15 विषयों की स्क्रीनिंग लिस्ट जारी की है उनमें म्यूजिक, लिंग्विस्टिक ,पर्सियन, सोशलॉजी, इकनॉमिक्स ,बॉयोमेडिकल रिसर्च ,बॉटनी, कम्प्यूटर साइंस, ऑपरेशनल रिसर्च, एंथ्रोपोलॉजी, इलेक्ट्रॉनिक साइंस, बायोफिजिक्स, माइक्रोबायोलॉजी, बायोकेमिस्ट्री, जियोलॉजी आदि पदों की स्क्रीनिंग लिस्ट जारी कर वेबसाइट पर डाल दी गई है। बाकी बचे हुए विषयों की स्क्रीनिंग का कार्य जोरों पर चल रहा है।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
Screening list of 15 subjects released for 262 posts in Delhi University


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3djIlhm
दिल्ली सरकार के पास वेतन देने को पैसे नहीं, केंद्र से 5 हजार करोड़ रुपए की मदद मांगी

दिल्ली सरकार के पास वेतन देने को पैसे नहीं, केंद्र से 5 हजार करोड़ रुपए की मदद मांगी

उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने केंद्र सरकार से 5 हजार करोड़ की आर्थिक सहायता मांगी है। दिल्ली को राजस्व प्राप्त नहीं हो रहा है। इसलिए केंद्र से मदद मिलना जरूरी है। जिससे कर्मचारियों, शिक्षकों, डॉक्टर, इंजीनियर, सिविल डिफेंस के लोग तथा कोरोना राहत में जुटे अन्य कर्मियों को सैलरी का भुगतान कर पाएंगे। सिसोदिया ने केंद्रीय वित्त मंत्री को 26 मई को पत्र लिखा है। इस संबंध में रविवार को ऑनलाइन प्रेसवार्ता में सिसोदिया ने जानकारी दी। सिसोदिया ने कहा कि लॉकडाउन के कारण पूरे देश की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ा है। दिल्ली पर भी इसका काफी असर हुआ है।

दिल्ली सरकार ने अपने न्यूनतम खर्च की समीक्षा की है। इसके अनुसार केवल वेतन तथा कार्यालय खर्च पर न्यूनतम 3500 करोड़ का मासिक खर्च है। वहीं, पिछले दो माह में जीएसटी से मात्र 500 करोड़ मासिक प्राप्त हुआ है। जीएसटी तथा अन्य स्रोत मिलाकर प्रथम तिमाही में कुल 1735 करोड़ रुपए मात्र का संग्रह हुआ है। पिछले साल इस अवधि में 7799 करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ था। इस साल राजस्व में 78 फीसदी की गिरावट आई है। सिसोदिया के अनुसार वर्तमान में दिल्ली को न्यूनतम 5000 करोड़ की आवश्यकता है।

आपदा राहत कोष से अन्य राज्यों को केंद्र सरकार से मदद मिली, लेकिन दिल्ली सरकार को कोई मदद नहीं मिली है। लॉकडाउन के दौरान दिल्ली में नौ लाख बच्चों ने ऑनलाइन शिक्षा का लाभ उठाया है। नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत करना अनोखा प्रयोग है। इस संकट के दौर में डिजिटल तकनीकों की मदद से ऑनलाइन कक्षाओं का संचालन करना, काफी चुनौतीपूर्ण था। हमने पहले कभी ऐसी तकनीक का इस्तेमाल नहीं किया था। लेकिन अब हम कोरोना के समय में पेरेंटिंग के समापन सत्र में पहुंच गए हैं। यह बात उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कही। लॉकडाउन के दौरान दिल्ली सरकार के स्कूलों में ऑनलाइन शिक्षा का रविवार को समापन हुआ।

पत्र में क्या लिखा
सिसोदिया ने केंद्रीय वित्तमंत्री को पत्र में लिखा है कि कोरोना नियंत्रण में दिल्ली देश के अग्रणी राज्यों में है। दिल्ली अपना समस्त खर्च अपने संसाधनों से उठाती है। वित्त वर्ष 2020-21 में दिल्ली विधानसभा ने 65000 करोड़ का बजट पास किया है। इसमें 35500 करोड़ का खर्च स्थापना, लोकल बॉडीज को योगदान तथा ब्याज इत्यादि में होता है। सामान्य स्थिति में दिल्ली अपने संसाधनों से अपना खर्च उठाने में सक्षम है। लेकिन मौजूदा संकट में केंद्र की मदद आवश्यक है। केंद्र से 5000 करोड़ अनुदान मिलने पर दिल्ली नगर निगम को वेतन तथा स्थापना व्यय देने में भी सुविधा होगी।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
Delhi government has no money to pay salaries, seeks help of 5 thousand crores from center


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2MiWX4E
राजधानी में 24 घंटे में रिकॉर्ड 1295 नए मामले, 416 मरीज ठीक हुए

राजधानी में 24 घंटे में रिकॉर्ड 1295 नए मामले, 416 मरीज ठीक हुए

राजधानी में लगातार चौथे दिन कोरोना के 1 हजार से ज्यादा मामले आए। इसके साथ ही कोरोना संक्रमण के फैलने की रफ्तार भी तेज हो गई है। दिल्ली सरकार के हेल्थ बुलेटिन के अनुसार 24 घंटे में रिकॉर्ड 1295 नए मामले सामने आए। दिल्ली में अब तक 19844 लोग संक्रमित हो चुके है। वहीं, पिछले 24 घंटे में 416 मरीज ठीक हुए। अब तक 8478 मरीज अस्पताल से ठीक होकर घर चले गए है। वहीं, गत शनिवार को एक दिन में 13 मरीजों की मौत हुई। वहीं, डेथ ऑडिट कमेटी ने पुरानी 44 मौतों को भी कोरोना से होना माना है। इसके साथ ही 57 मौतों के साथ अब तक 473 लोगों की कोरोना से मौत हो गई है। अभी 10893 सक्रिय कोरोना मरीज है।

तारीख नए केस मौत
19मई 500 6
20मई 534 10
21मई 571 18
22मई 660 14
23मई 591 23
24मई 508 30
25मई 635 15
26मई 412 12
27मई 792 15
28मई 1024 13
29मई 1106 82
30मई 1165 16
31 मई 1295 57

13 दिन में बढ़े 10089 नए केस

लॉकडाउन 4.0 शुरू के 13 दिन में कोरोना के 10089 मामले बढ़ गए। यह संख्या दिल्ली में अब तक ठीक होने वाले मरीजों की संख्या 8478 से भी ज्यादा है। बता दें दिल्ली में 17 मई को कोरोना के 9755 मामले ही थे। वहीं, दिल्ली में अब तक 2 लाख 12 हजार 784 लोगों की कोरोना जांच हो चुकी है। बता दें दिल्ली में सरकार हल्के लक्ष्ण वाले मरीजों को होम आइसोलेशन में रख रही है। ऐसे करीब 5781 पॉजिटिव मरीज होम आइसोलेशन में है।

डीडीजी और दिल्ली कोविड सेल में तैनात डॉक्टर कोरोना संक्रमित

केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय में तैनात डीडीजी डा. अनिल कुमार 26 मई से दिल्ली के सफदरजंग में भर्ती है। जिसकी पुष्टि सफदरजंग अस्पताल के पीआरओ दिनेश नारायण ने नहीं की, भास्कर को पड़ताल में पता चला कि डा. अनिल कुमार उत्तर प्रदेश के इंदिरापुरम में रहते हैं। वहीं पर उन्हें जांच में कोरोना पॉजेटिव पाई गई थी। वे सफदरजंग कोविड हॉस्पिटल में भर्ती हो गए।

डेथ की रिपोर्ट न देने पर चार अस्पताल को नोटिस

दिल्ली सरकार ने अस्पताल में कोरोना संक्रमित/संदिग्ध की मौत होने पर स्टेट सर्विलांस सेल को प्रतिदिन शाम 5 बजे तक मृतक की केस सीट देने के दिल्ली डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (डीडीएमए) के आदेश का उल्लंघन करने का दोषी माना है। इसको दिल्ली सरकार के लोक नायक और केंद्र सरकार के एम्स, सफदरजंग, आरएमएल अस्पताल से लिखित में स्पष्टीकरण मांगा गया है।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
A total of 1295 new cases, 416 patients were cured in 24 hours in the capital


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3exa1iI
दिल्ली पुलिस के तीन कर्मियों की मौत, 2 एएसआई की कोरोना संक्रमण से मौत

दिल्ली पुलिस के तीन कर्मियों की मौत, 2 एएसआई की कोरोना संक्रमण से मौत

दिल्ली पुलिस के लिए रविवार का दिन बुरी खबर लेकर आया। कोरोना संक्रमण ने दो असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर (एएसआई) की जान ले ली। कई दिन से उनका अस्पताल में इलाज चल रहा था। इनमें एक की मौत शनिवार को हुई जबकि दूसरे ने रविवार को दम तोड़ा। एक एएसआई की दो काेरोना टेस्ट रिपोर्ट नेगेटिव आने पर तीसरी रिपोर्ट पॉजिटव आ गई। वहीं, नार्थ ईस्ट कंट्रोल रुम में तैनात एक पुलिस इंस्पेक्टर पानी का ढक्कन ठीक करते समय घर की चौथी मंजिल से नीचे गिर गया, जिस कारण उसकी मौत हो गई।
केस-1

एएसआई शेष मणि पांडे कमला मार्किट मोबाइल क्राइम टीम में फ्रिंगर प्रिंट एक्सपर्ट थे। वह पूर्व सैनिक थे जिन्होंने एक नवम्बर 2014 को ही दिल्ली पुलिस ज्वाइन की थी। वह मूलरुप से रेवा एमपी के रहने वाले थे। यहां नारायणा गांव में रहते थे। इनका 26 मई को कोरोना टेस्ट लेडी हार्डिंग अस्पताल में हुआ था, जिसकी रिपोर्ट 28 मई को पॉजिटिव आई। उसी दिन इस पुलिसकर्मी को आर्मी बेस हॉस्पिटल में भर्ती करवा दिया गया, जहां शनिवार शाम उन्होंने दम तोड़ दिया।

केस-2

इंस्पेक्टर चंचल सिंह दिल्ली पुलिस के नार्थ ईस्ट डिस्ट्रिक कंट्रोल रुम में तैनात थे। वह टाइप तीन पुलिस कॉलोनी सीमापुरी इलाके में रहते थे। आज दिन में करीब ग्यारह बजे वह घर की छत पर पानी की टंकी का ढक्कन ठीक कर रहे थे, तभी उनका पैर फिसल गया और वह चौथी मंजिल से नीचे आ गिरे। इस घटना के बाद गंभीर हालत में परिजन उन्हें नजदीकी अस्पताल लेकर गए, जहां डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। उनके परिवार में पत्नी और दो बच्चे हैं।

केस-3

आउटर डिस्ट्रिक के सुलतानपुरी थाने में विक्रम एएसआई थे। एक मई से वह हाईवे पेट्रोलिंग ड्यूटी कर रहे थे। बुखार और खांसी की शिकायत होने पर उन्होंने 11 मई और 22 मई को अपना कोरोना टेस्ट करावाया, लेकिन दोनों ही बार उनकी रिपोर्ट नेगेटिव आई। 25 मई को तबीयत बिगड़ने पर उन्होंने एसजीएम अस्पताल में दिखाया, जहां डॉक्टर ने उन्हें एक सप्ताह के मेडिकल रेस्ट की हिदायत दी।

26 मई की सुबह उन्हें सांस लेने में दिक्कत हुई जिसके बाद वह अस्‍पताल गए। डॉक्टर की सलाह पर उन्होंने तीसरी बार कोरोना का टेस्ट करवाया, जिसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई। उनका इलाज दिल्ली कैंट स्थित आर्मी हॉस्पिटल में चल रहा था, जहां रविवार दिन में उन्होंने काेरोना के आगे हार मान ली। वह इंदर एंक्लेव किराडी सुलमान एरिया में रहते थे।

इधर सफाई कर्मी की कोरोना से मौत, परिजनों का आरोप-5 दिन बाद भी सूचना नहीं दी

कोरोना से लड़ाई में एक और सफाईकर्मी जीवन की जंग हार गया है। दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के बदरपुर वार्ड-95 एस में तैनात सफाई कर्मी सुभाष (52) की कोरोना से मौत हो गई है। अस्पताल में 26 मई को हुई सुभाष मौत के बावजूद भी परिजन को इसकी सूचना 5 दिन तक नही दी गईं। परिजनों का आरोप है कि अस्पताल जाकर पूछताछ के बाद पता चला कि उनकी मौत हो गई है।
परिजनों का कहना है कि सुभाष को 14 मई को तबियत खराब होने पर लेडी हार्डिंग अस्पताल में भर्ती कराया गया था। कोरोना संक्रमण के अलावा अन्य बीमारियां होने पर उन्हें 21 मई को लोक नायक जय प्रकाश अस्पताल में भर्ती कराया गया। 31 मई को निगम बोध घाट में अंतिम संस्कार कराया गया है। दिल्ली सफाई एक्शन कमिटी के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र चुड़ियाना का आरोप है कि सुभाष की मौत 26 मई को हो गई थी, लेकिन अस्पताल और निगम प्रशासन ने परिजन को इसकी सूचना 31 मई तक नहीं दी। वहीं निगम प्रशासन ने सुभाष की मौत पर दुख व्यक्त करते हुए हर संभव मदद की बात कही है।

प्रशासन का कहना है कि सुभाष को कई अन्य बीमारियां थी, जिसके चलते उन्हें लेडी हार्डिंग से एलएनजेपी अस्पताल के लिए रेफर किया था। निगम लगातार अपने सफाई सैनिक के परिजनों से संपर्क में था। बता दे कि दक्षिणी दिल्ली नगर निगम में यह दूसरे सफाई कर्मी की मौत है इससे पहले जंगपुरा में तैनात 56 वर्षीय विनोद की मौत हुई थी। वहीं पूर्वी दिल्ली नगर निगम रघुबीरपुरा वार्ड की सफाई कर्मी सुनीता और दया की को मौत हो गई थी। जबकि उत्तरी दिल्ली नगर निगम में रामरती, मीना, सुभाष, सतबीर की मौत हो चुकी है। जबकि प्रशासन अभी भी सिर्फ एक मौत की बात स्वीकार रहा है।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
Three Delhi Police personnel killed, 2 ASIs die due to corona infection


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2ZTNBUU
पायलट ट्रेनिंग के बाद भी नौकरी नहीं मिली तो कानपुर की सौम्या ने उधार की ड्रेस बेचकर खड़ा किया बिजनेस

पायलट ट्रेनिंग के बाद भी नौकरी नहीं मिली तो कानपुर की सौम्या ने उधार की ड्रेस बेचकर खड़ा किया बिजनेस

2007 की आर्थिक मंदी में कानपुर की सौम्या गुप्ता के भी सपने टूटे थे। तब 19 साल की सौम्या ने 65 लाख रुपए खर्च कर अमेरिका में पायलट की ट्रेनिंग पूरी की थी। लेकिन लाख कोशिशों के बाद भी नौकरी नहीं मिली। इसलिए जिम रिसेप्शनिस्ट से लेकर कॉल सेंटर तक में काम किया। फिर उधार लेकर कपड़ों का अपना बिजनेस शुरू किया। आज उनकी कंपनी में 35 कर्मचारी काम करते हैं और उनके डिजाइन किए करीब दस हजार कपड़े रोज बिकते हैं।

सौम्या कहती हैं कि 2006 में मेरा करिअर शुरू होने से पहले ही खत्म हो गया। ट्रेनिंग के बाद नौकरी मिलना तय था। पर अचानक पूरी इंडस्ट्री अनिश्चितताओं के घेरे में आ गई। इसका कारण था अमेरिका का सब-प्राइम मोर्गेज डिफाल्ट, जिसके कारण लेहमन ब्रदर्स जैसे बड़े बैंक और अमेरिकन इंश्योरेंस ग्रुप दिवालिया हो गई थीं।

वे बताती हैं कि 2008 का पूरा साल मैंने नौकरी की तलाश में बिता दिया। आखिर मैंने 5000 रुपए महीने की नौकरी जिम में रिसेप्शनिस्ट के तौर पर शुरू की। कुछ दिनों बाद ही एक कॉल सेंटर ज्वाइन कर लिया। रात में यहां काम करती और दिन में दूसरी नौकरी की तलाश।

इस बीच एक मेरी मुलाकात राबर्टो कवाली और गॉटियर जैसे ब्रांड के कपड़ों का एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट का काम करने वाली एक महिला से हुई। मैंने उनसे 20 ड्रेसें उधार लीं और घर में दोस्तों के लिए इन कपड़ों की सेल लगाई। एक घंटे में 100% मुनाफा कमाया।

ये 2009 की बात है। मैंने कॉल सेंटर की नौकरी छोड़ दी और कपड़ों के बिजनेस में आ गई। स्नैपडील, फ्लिपकार्ट और दूसरे छोटे-बड़े ऑनलाइन प्लेटफार्म पर कपड़े बेचने की जद्दोजहद शुरू कर दी। आज मेरी कंपनी 10 ऑन 10 हर रोज 10 हजार ड्रेस बेचती है। कंपनी का काम अभी अमेरिका से चल रहा है और कनाडा और यूरोप में बिजनेस शुरू किया है।

अब मास्क का एक्सपोर्ट

सौम्या बताती हैं कि कोरोनावायरसके आने पर उन्हें लगा जैसे वो 2007 में पहुंच गई हों। फर्क सिर्फ इतना था कि आज कमाई नौ अंकों में होती है। ड्रेस की बिक्री घटी तो मास्क का एक्सपोर्ट शुरू किया है।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
सौम्या कहती हैं कि कोरोना के कारण ड्रेस की बिक्री घटी तो उन्होंने मास्क का एक्सपोर्ट शुरू कर दिया है।


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2ZPXpzk
मंदी में नौकरी गई, पत्नी के जेवर बेच फैक्ट्री लगाई, अब टर्नओवर 100 करोड़ रुपए हुआ

मंदी में नौकरी गई, पत्नी के जेवर बेच फैक्ट्री लगाई, अब टर्नओवर 100 करोड़ रुपए हुआ

कोरोना काल में जब नौकरियां जा रही हैं, ऐसे में उत्तराखंड के हर्षपाल सिंह चौधरी की कहानी किसी आदर्श से कम नहीं है। साल 2007 की वैश्विक मंदी में उनकी नौकरी छिन गई थी। तब उन्हें 6700 रुपए सैलरी मिलती थी, लेकिन हर्षपाल निराश नहीं हुए। उन्होंने पत्नी के गहने बेचकर 2 लाख रुपए जुटाए और हर्बल प्रोडक्ट बनाने की एक छोटी फैक्ट्री शुरू की।

आज इनकी कंपनी का टर्नओवर 100 करोड़ रु. पहुंचने जा रहा है। इन्होंने अपने पूरे गांव को रोजगार दिया है। हर्षपाल उत्तराखंड के छोटे किसान परिवार से हैं। माइक्रोबायोलॉजी और फूड सैंपलिंग की पढ़ाई करने के बाद 1994 में उन्होंने हेल्थ केयर और फूड सैंपलिंग सेक्टर में नौकरी शुरू की थी।

स्टार्टअप शुरू करने के लिए मेरे पास पैसे नहीं थे- चौधरी

सोनीपत में उनकी नाैकरी ठीक चल रही थी कि 2006 में मंदी की आहट सुनाई देने लगी। वे बताते हैं कि तब मेरे पास पैसे नहीं थे, लेकिन मैं स्टार्टअप शुरू करना चाहता था। मैंने पत्नी बीना के गहने बेच दो लाख रुपए जुटाए। इन पैसों से गुजरात के नवसारी में एक छोटी फैक्ट्री डाली। बीना इसका काम देखने लगी और मैंने नौकरी जारी रखी।

पहला ऑर्डर अमेरिका से अनार के जूस से 2 किलो पाउडर तैयार करने का मिला। इस बीच मेरी नौकरी चली गई। मैं फैक्ट्री के काम में लग गया और हर्बल प्रोडक्ट्स एब्सट्रैक्ट की ट्रेडिंग के लिए अंबे फाइटोएस्ट्रैक्ट्स कंपनी शुरू की। काम बढ़ने लगा तो बड़ी फैक्ट्री की जरूरत महसूस हुई।

छह लोगों से शुरू फैक्ट्री में अब 100 लोग हैं

जमीन खरीदने के लिए दो करोड़ रुपए की जरूरत थी। इतना पैसा नहीं था। इसलिए मैंने उत्तराखंड में पौड़ी गढ़वाल के अपने गांव जामरिया में पैतृक जमीन पर फैक्ट्री लगाने का फैसला किया। गांव में दो करोड़ की मशीनें लगाईं। इस इलाके में यह पहली फैक्ट्री थी। 2012 में फैक्ट्री तैयार हो गई। कच्चे माल के लिए गांव के लोगों को ही ट्रेनिंग दी। छह लोगों से शुरू फैक्ट्री में अब 100 लोग हैं। अधिकतर गांव के ही हैं।

अमेजन से डील की...

हर्षपाल की कंपनी में तैयार आंवला, हल्दी, अदरक, गिलोय, तुलसी, एलोवेरा, काली मिर्च समेत 100 प्रोडक्ट्स का अर्क पूरी दुनिया में जाता है। हर्षपाल ने अमेजाॅन के साथ सैनिटाइजर की डील की है।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
आज हर्षपाल सिंह चौधरी की कंपनी का टर्नओवर 100 करोड़ रु. पहुंचने जा रहा है। इन्होंने अपने पूरे गांव को रोजगार दिया है।


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3dnp4eH
पंचायत ने तय किया- लॉकडाउन में खाली नहीं बैठना है, 10 हजार परिवार कृषि क्रांति ले आए, हर खाली जगह पर सब्जियां उगा दीं

पंचायत ने तय किया- लॉकडाउन में खाली नहीं बैठना है, 10 हजार परिवार कृषि क्रांति ले आए, हर खाली जगह पर सब्जियां उगा दीं

लॉकडाउन में केरल की एक पंचायत ने नई कृषि क्रांति खड़ी कर दी है। जब 23 मार्च को 21 दिन के लॉकडाउन के घोषणा हुई थी, तभी एर्नाकुलम जिले की वडक्ककेरा ग्राम पंचायत ने तय किया वे इस समय का बखूबी इस्तेमाल करेंगे। सामूहिक चर्चा के बाद तय हुआ कि गांव की खाली पड़ी जगह, घरों के आसपास और छतों पर सब्जियां उगाएंगे।

पहले हफ्ते करीब 4800 परिवार इस मुहिम में जुड़े। कुछ ही दिनों में गांव के 10 हजार 312 परिवारों में 9417 परिवार जुड़ चुके हैं। अब केरल सरकार के कृषि विभाग ने इन किसानों के लिए बाजार भी तैयार कर दिया है, जहां सभी अपनी उपज बेच सकते हैं। पंचायत की तरफ से बेस्ट फार्म और बेस्ट किसान को अवॉर्ड भी दिया जा रहा है।

द वेजिटेबल फार्मिंग चैलेंज मुहिम के तहत खुद को सब्जियों के मामले में आत्मनिर्भर बनाने वाले इस गांव के परिवारों ने पहले छोटे-छोटे समूह बनाए और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए अपने-अपने घरों के आसपास खाली पड़ी जगहों को साफ किया। इसके बाद इनकी जुताई कर इन्हें सब्जी बोने लायक खेत में तब्दील किया।

लोगों ने तय किया- पेस्टीसाइड का इस्तेमाल नहीं करेंगे

ग्राम पंचायत ने अलग-अलग किस्म के बीजों के 20 हजार से अधिक पैकेट मुफ्त बांटे। तय हुआ कि पेस्टीसाइड का इस्तेमाल नहीं करेंगे और आर्गेनिक फार्मिंग अपनाएंगे। आज यहां के हर घर में भिंडी, बैंगन, कद्दू, करेला, लाल भाजी और लौकी की फसलें लहरा रही हैं।

सामूहिक प्रयासों से मिली सब्जी की उपज इतनी ज्यादा थी कि केरल सरकार के कृषि विभाग ने किसानों के लिए बाजार तैयार करके दिया है, जहां गांव के लोग अपनी सब्जियां बेच सकते हैं। यह मार्केट सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक चलता है।

पंचायत के सहायक कृषि अधिकारी एस सीना बताते हैं कि हमने लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए यह फार्मिंग प्रोग्राम शुरू किया था, ताकि लॉकडाउन में घर में रहते हुए वह सब्जियां उगाएं। यह प्रयोग पूरी तरह सफल रहा। गांव के ज्यादातर लोग अब साथ खेती का आनंद उठा रहे हैं।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
पंचायत की तरफ से लोगों को बीज के मुफ्त पैकेट बांटे गए, केरल सरकार ने सब्जी बेचने के लिए बाजार तैयार किया।


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2MdBiuy
रेल मंत्री ने कहा- आज से चलने वाली 200 ट्रेनों में बिना रिजर्वेशन किसी को सीट नहीं, जनरल में भी जितनी सीटें उतनी ही एंट्री देंगे

रेल मंत्री ने कहा- आज से चलने वाली 200 ट्रेनों में बिना रिजर्वेशन किसी को सीट नहीं, जनरल में भी जितनी सीटें उतनी ही एंट्री देंगे

देश में 68 दिन के लॉकडाउन के बाद रेलवे 200 यात्री ट्रेनें 1 जून यानी सोमवारसे शुरू कर रहा है। इन ट्रेनों में बिना रिजर्वेशन कोई नहीं बैठ सकेगा। रिजर्व बोगियों में केवल कन्फर्म टिकिट वाले यात्री ही बैठ सकेंगे। वेटिंग टिकिट वालों की एंट्री नहीं हो सकेगी। जनरल बोगियों में भी सीटों की संख्या से ज्यादा लोगों को चढ़ने नहीं दिया जाएगा। यह बात रेल और वाणिज्य उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने रविवार को दैनिक भास्कर से चर्चा करते हुए कही। पेश है उनसे की गई बातचीत के प्रमुख अंश...

सवाल: ट्रेनों की सामान्य स्थिति कब तक बहाल होगी?
जैसे-जैसे डिमांड बढ़ेगी, ट्रेनों की संख्या बढ़ाई जाएगी और हम सामान्य स्थिति की ओर लौटेंगे। अभी भी जो 200 ट्रेन हम चला रहे हैं, वह पूरी तरह फुल नहीं हुई हैं। लोग जरूरी होने पर ही यात्रा कर रहे हैं। बाद में निजी ट्रेनें भी चलाएंगे।

सवाल: 15 जोड़ी राजधानी ट्रेन शुरू की गई हैं, उनमें डायनामिक फेयर लिया जा रहा है, ऐसा क्यों?
अधिकांश ट्रेन अभी भी फुल नहीं जा रही हैं। पुराने सिस्टम में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। सिर्फ केटरिंग का चार्ज कम किया है। सब कुछ जाे पहले था उसी को बरकरार रखा है।

सवाल: रेलवे सिर्फ कंफर्म टिकट के आइडिया पर जाएगा?
आपका सुझाव सोचने लायक है, अभी हमने इस दिशा में सोचा नहीं है। अभी हम श्रमिकों की सेवा में लगे हैं। देश के कोने-कोने तक सामान और श्रमिक पहुंचें यहीं प्राथमिकता है।

सवाल: श्रमिक स्पेशल ट्रेनों को लेकर केरल, प. बंगाल और महाराष्ट्र ने भेदभाव के आरोप लगाए हैं, क्या कहेंगे?
मैं दावे से कह सकता हूं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में किसी भी मंत्री ने, किसी भी राज्य सरकार के साथ कोई भी भेदभाव नहीं किया है। अभी तक राज्यों ने जितनी भी ट्रेन मांगी, हमने दी हैं। बल्कि समस्या उल्टी है। 250 ट्रेन ऐसी रहीं, जो राज्य सरकारों ने मांगी और फिर चल नहीं पाईं।

महाराष्ट्र का आपने जिक्र किया तो मैं बता दूं कि 109 ट्रेनों को राज्य सरकार की रिक्वेस्ट पर हमने तैयार किया और फिर भी वो ट्रेन चला ही नहीं पाए। पश्चिम बंगाल तो ट्रेन लाने ही नहीं दे रहा था। यहां तक कि उसने श्रमिक ट्रेन को कोरोना एक्सप्रेस तक कह दिया। राज्य जितनी श्रमिक एक्सप्रेस ट्रेन मांगेंगे, हम देते रहेंगे। हम श्रमिकों की सेवा कर रहे हैं।

आज से चलने वाली 200 ट्रेनों में....
सवाल: सोशल डिस्टेंसिंग के दौर में काउंटर बुकिंग का भविष्य क्या होगा?
पहले हमने काउंटर बुकिंग शुरू नहीं की थी, आईआरसीटीसी की वेबसाइट से ही बुकिंग की सुविधा थी। फिर कई राज्यों की रिक्वेस्ट मिली कि हमारे यहां कई लोग जाना चाहते हैं और उनको इंटरनेट चलाना नहीं आता है। हमने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए काउंटर शुरू किए। ये काउंटर वहां शुरू नहीं किए जहां से श्रमिक स्पेशल ट्रेन चल रही थीं, उससे कुछ दूरी पर शुरू किए। रेलवे धीरे-धीरे सभी काउंटर खोलेगा। काउंटर कम नहीं करेंगे।

सवाल: लॉकडाउन के दौरान मालगाड़ियों से कितना गुड्स भारत वर्ष में पहुंचाया?
लॉकडाउन के दौरान 24 मार्च से 25 मई तक दो महीने में 16 करोड़ टन माल का परिवहन किया है। देश के कोने-कोने में एक भी दिन अनाज, खाद और कोयला आदि की कमी नहीं रही। देश के कोने-कोने में हम ये सामान पहुंचाते रहे। अगर अनाज देखें तो वो इस दौरान दोगुना हो गया। दूध, कोयला, लोहा, आयात-निर्यात आदि सामान की ढुलाई इस दौरान हमने की है।

सवाल: रेलवे की इस साल कमाई का लक्ष्य क्या है?
यह एक समस्या है। हम वित्त मंत्रालय से चर्चा कर आगे का रास्ता खोजेंगे। फिलहाल हमारी प्राथमिकता समय पर सबको सामान मिले और श्रमिक अपने घर पहुंचे, यही है। रेलवे के वेतन में करीब 90 हजार करोड़ और पेंशन में 50 हजार करोड़ रुपए प्रतिवर्ष खर्च होते हैं। यह पिछले पांच वर्ष में लगभग डबल हो गया है।

सवाल: 20 लाख करोड़ रु. के पैकेज का फायदा एक्सपोर्टर कैसे ले सकते हैं?
एमएसएमई सेक्टर हमारे एक्सपोर्ट को बहुत योगदान देता है। उन्हें सात-साढ़े सात फीसदी ब्याज दर पर 20% अतिरिक्त लोन मिल पाएगा। निर्यातकों, उनकी एसोसिएशन, प्रमोशन काउंसिल आदि से लागातार मेरी बैठक होती है। आज ही फार्मास्युटिकल वालों से चर्चा की है। हमारी सोच है कि विभिन्न इंडस्ट्री से बात कर उनकी समस्या का समाधान संवेदना के साथ करें। अप्रैल में एक्सपोर्ट बीते वर्ष की तुलना में 60% गिरा था, मई में यह 35% कम था, जून के आंकड़ों में और सुधार देखने को मिलेगा। धीरे-धीरे वापसी होगी। सोमवार एक जून से फिर एक्टिविटी बढ़ेगी, उससे और अधिक कारोबार बढ़ेगा।

सवाल: श्रमिक एक्सप्रेस ट्रेनों से कितनों को गंतव्य तक पहुंचाया गया है?
मैं दिन में तीन बार श्रमिक एक्सप्रेस ट्रेन की स्थिति की समीक्षा करता हूं। 30 मई तक देश में 4,040 श्रमिक एक्सप्रेस के माध्यम से करीब 54 लाख से अधिक श्रमिकों को उनके घरों तक पहुंचा गया है। ट्रेनों के भटकने या सात या नौ दिन में पहुंचने की बात बेबुनियाद है। सिर्फ 71 ट्रेन यानी 1.75% ट्रेन डायवर्ट हुईं। वह भी राज्यों के कहने, अधिक संख्या में एक ही स्टेशन पर ट्रेन के पहुंचने जैसे कारणों से हुई। किसी भी व्यक्ति की मृत्यु, भूख या प्यास के कारण नहीं हुई है। रेलवे ने 1.19 लाख खाना और 1.5 करोड़ बोतल पानी श्रमिकों के बीच दिया।

सवाल: लॉकडाउन के समय बड़ी संख्या में निजी क्षेत्र में नौकरियां जा रही है? इस वर्ष रेलवे कितनी भर्ती करेगा?
अभी हमारी भर्ती की प्रक्रिया डायनामिक है। अभी टेस्ट, ट्रेनिंग आदि चल रहा है। लोग रिटायर होते हैं, वैसे ही भर्ती करेंगे। अभी रेलवे में कोई शॉर्टेज नहीं है। 1.5 लाख लोगों की भर्ती प्रक्रिया चल रही है।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
रेल मंत्री पीयूष गोयल। (फाइल)


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2XklgFB
दिव्यांग राजू , जिसने पीएम मोदी के मन को छुआ, भीख मांगकर बांटे 3 हजार मास्क और गरीबों को राशन

दिव्यांग राजू , जिसने पीएम मोदी के मन को छुआ, भीख मांगकर बांटे 3 हजार मास्क और गरीबों को राशन

सवा महीने के भीतर ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पठानकोट के दो लोगों को प्रेरणास्रोत बताया। 24 अप्रैल को यहां की युवा सरपंच पल्लवी ठाकुर के बाद रविवार को मन की बात में पीएम मोदी ने पठानकोट के दिव्यांग राजू को प्रेरणास्रोत बताया। बचपन से पोलियोग्रस्त 45 वर्षीय राजू शहर के ढांगू रोड पर 35 सालों से भीख मांगते हैं।

बकौल राजू वह भीख से कमाए पैसे से गरीब कन्याओं की शादियों में, भंडारा कराने और राशन बांटकर उनकी मदद कर रहे हैं। उन्होंने लाॅकडाउन के दौरान 3000 से अधिक मास्क बांटे और 100 परिवारों को राशन दिया। प्रधानमंत्री द्वारा नाम लिए जाने के बाद उसके घर लोग बधाइयां देने पहुंचने लगे। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अश्वनी शर्मा भी पहुंचे।

लोग मेरी मदद करते हैं, इसलिए मैं दूसरों की मदद करता हूंः राजू
राजू के मुताबिक, वह बचपन से ही पोलियोग्रस्त है। 10 साल की उम्र में मां-बाप का साया सिर से उठ जाने पर वह सड़क पर आ गया। दिव्यांगता के कारण उसे कोई काम नहीं मिला तो भीख मांगना मजबूरी बन गई। राजू की तो शादी भी नहीं हुई। दो भाइयों का परिवार है, लेकिन वह अलग रहता है। खाना भी पड़ोसी बनाकर देता है।

राजू बताता है कि भीख से रोजाना 500 से 700 रुपए मिलते हैं। खाने और खर्च के बाद कमाई का बाकी हिस्सा लोगों की सेवा पर खर्च करता है। मंदिरों में दान देना, गरीबों की बेटियों की शादियों में मदद, हर साल भंडारा कराना आदि में खर्च करता है। अब तक 22 गरीब लड़कियों की शादी में राशन व अन्य मदद दे चुका है।

7 जून को भी एक सफाई सेवक की बेटी की शादी में 1100 रुपये शगुन, 50 किलो चावल और एक पंखा देगा। ढांगू रोड पर 30 हजार खर्च कर एक टूटी पुलिया की रिपेयर कराई है। राजू कहते हैं कि लोग मेरी मदद करते हैं इसलिए मैं दूसरों की मदद करता हूं। भीख मांगना तो चंगा नहीं लगदा लेकिन, सेवा करना चंगा लगदा ए। राजू ने पीएम का आभार भी जताया।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
राजू कहते हैं कि लोग मेरी मदद करते हैं इसलिए मैं दूसरों की मदद करता हूं।


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2zLZMIE
जीवन अच्छे भविष्य की कामना के साथ जिया जाना चाहिए, लेकिन इसके बीच मौजूदा वक्त को जीना भूलना नहीं चाहिए

जीवन अच्छे भविष्य की कामना के साथ जिया जाना चाहिए, लेकिन इसके बीच मौजूदा वक्त को जीना भूलना नहीं चाहिए

सबसे अच्छा जीवन तभी जिया जा सकता है, जब हम हरदम इसे ज्यादा से ज्यादा सरल बनाने की कोशिश में ना लगे रहें। जीवन में वह समय भी आता है, जब जवाबों को खोजने की ज़रूरत पड़ती है और कभी ऐसा वक्त भी आता है जब सवालों को उसी स्थिति में छोड़ देना ही बेहतर हो जाता है।

अगर हर जवाब अगले सवाल का कारण बन जाए या हर जवाब के साथ सवाल भी बढ़ते जाएं तो फिर यह उलझनें, मानसिक अशांति और जीवन में मौजूद यह शोर कभी ख़त्म नहीं होने वाला। और अगर ज़िंदगी इन्हीं उलझनों और त्रास में फंसी रही, तो जीवन के असली आनंद को महसूस करने से हम वंचित रह जाएंगे। इसलिए ‘कार्पे डियम्’ यानी कल की चिंता छोड़कर इस पल को भरपूर जिएं। इस क्षण को महसूस कीजिए और पूरे आनंद से अपना जीवन जिएं।

हमारे ज्ञान, असीमित बुद्धिमत्ता से भी हम जीवन के बारे में कुछ खास नहीं समझ सकते। आप जीवन के सार को खोजने के लिए भले ही हर संभव प्रयास करते हैं, वह सब कुछ करने की कोशिश करते हैं, जो वाकई में किया जा सकता है, जो आपके दायरे में है, लेकिन आप देखेंगे कि वह भी अपर्याप्त जान पड़ेगा।

निर्वाण, मोक्ष या ठहराव तो दरअसल जीवन के विरोधाभासों को संतुलित करने से ही मिलेगा। जीवन-मृत्यु, लेना-देना, आत्मकेंद्रित या जुड़े रहना, साम्य या बिखराव...सारा जीवन ही विरोधाभासों से भरा हुआ है।
सवाल है कि इन सब विरोधाभासों के भंवर में बीच का रास्ता कैसे मिले।

इन सब उलझनों और विरोधाभासों के बीच झूलते हुए, ज़िंदगी में सबकुछ हासिल करने के बाद भी महसूस होता है कि जैसे हमें जीवन का मूल ही समझ नहीं आया, लगता है कि आज भी वहीं खड़े हैं, जहां से शुरुआत हुई थी। आप इस खोज में जीवन की दौड़ में भागे जा रहे हैं क्योंकि आपको लगता है कि इस जीवन के अंतिम पड़ाव से भी आगे कोई नहीं शुरुआत है।

जहां से शुरू किया था, वहीं फिर से वापस आने के लिए आप भागे जा रहे हैं। जैसे कि महान दार्शनिक उमर खय्याम ने कहा था- ‘मैं उसी दरवाज़े से बाहर आया हूं जिससे मैं भीतर गया था।’इस दुनिया की आपसे अपेक्षाएं, दुनिया से आपकी अपेक्षाएं, खुद की खुद से उम्मीदें असीम हैं, अनंत हैं, इनका कोई ओर-छोर नहीं है। ये उम्मीदें फिर उसी मानसिक अशांति को ओर ले जाएंगी। सवाल है कि क्या यह वाकई उतना मायने रखता है? सवाल यह भी है कि जीवन का मकसद क्या है?

फिलहाल एक काम कीजिए- एक गहरी श्वास लीजिए और धीरे सेे कहिए ‘कार्पे डियम्’ यानी भविष्य की चिंता छोड़कर वर्तमान को भरपूर जिएं।हां, यह बात बिल्कुल ठीक है कि सुनहरे भविष्य की कल्पना करना बुरा नहीं है। जीवन अच्छे भविष्य की कामना के साथ भी जिया जाना चाहिए, लेकिन इस सब में मौजूदा वक्त, इस क्षण को जीना भूलना नहीं चाहिए।

हमें इस क्षण को भी महसूस करना शुरू करना होगा। अभी मुस्कराइए, क्योंकि खुशी-प्रसन्नता इसी क्षण में है, जो सुखद अनुभूति सामने घट रही है, उसे महसूस करके प्रसन्न होइए। भविष्य कल घटित होगा। यह क्षण सामने है और अभी है। खुशी चेहरे पर आने से, मुस्कराहटों को होंठों पर आने से मत रोकिए।

आंसू हैं तो उनको भी बहने दीजिए। भावनाओं को मत रोकिए। जो कुछ होगा इसी क्षण में घटित होगा, होने दीजिए। अब फिर से एक गहरी सांस लीजिए। चेहरे पर कोई तनाव मत लाइए, रिलेक्स कीजिए और खुद को हल्का महसूस कीजिए।

आइए जीवन के हर क्षण को महत्वपूर्ण बनाएं। इस क्षण के लिए सजग, जीवंत और सचेत हो जाएं। भले ही आपने ज़िंदगी बहुत अच्छी गुजारी हो या जीवन अभावों में गुजरा हो, जिंदगी के खेल के बाद जाना सबको एक ही जगह होता है। हम अपने साथ जो करते हैं, वही हमारे साथ जाता है और जो दूसरों के लिए करते हैं वह सब यहीं, इस दुनिया में रह जाता है।हर क्षण के बाद अगला क्षण आएगा इसलिए हर क्षण को उपयोगी बनाएं, हर क्षण जीवन की पूर्णता के साथ जिएं और इस जीवन को जीवंत बनाएं।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
Make every moment of your life useful


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/36Lw4Q6
हम जितना अपनी क्षमता को पहचानेंगे, उतना ही हम जीवन को रीडिजाइन और रीस्टार्ट कर पाएंगे

हम जितना अपनी क्षमता को पहचानेंगे, उतना ही हम जीवन को रीडिजाइन और रीस्टार्ट कर पाएंगे

कोरोना के साथ जीना होगा, यह जानकर निराशा होना स्वाभाविक है। लेकिन उम्मीद कभी नहीं छोड़नी चाहिए। निराशा में हम परिस्थिति का सामना करने में अक्षम हो जाते हैं। लेकिन यह कहना आसान है कि उम्मीद बनाए रखें। अभी उम्मीद केवल भावना केंद्रित नहीं बल्कि इतिहास केंद्रित होनी चाहिए।

एक पुराना गीत है, ‘गम की अंधेरी रात में दिल को न बेकरार कर, सुबह जरूर आएगी सुबह का इंतजार कर।’ सुबह का इंतजार करना होगा। लेकिन वह अपने हिसाब से होगी। इसी तरह परिस्थितियां अपने हिसाब से बदलती हैं। दुनिया में ऐसी महामारियां, समस्याएं पहले भी आ चुकी हैं और हम इनसे बाहर निकले हैं। यही इतिहास केंद्रित उम्मीद है।

फिर न्यू नॉर्मल अपनाना हमारे लिए कौन-सी नई बात है। जैसे पहले बैलगाड़ी थी, फिर गाड़ी आई, फिर रेलगाड़ी आई, हवाईजहाज आया, हम सब अपनाते गए। शुरुआत में थोड़ी कठिनाई हुई, लेकिन हम थोड़ी मेहनत से, थोड़ी अनुकूलता लाकर उसे अपना लेते हैं।

पहले औद्योगिक क्रांति आई, तब लोग जीने के लिए नौकरी करते थे। फिर आईटी क्रांति आई, लोग जीवनस्तर बेहतर बनाने के लिए नौकरी करने लगे। अब हम डिजिटल और सोशल क्रांति को अपना रहे हैं। कितनी बार हमारा नॉर्मल बदला है और हमने न्यू नॉर्मल अपनाया है। इसलिए मेरे हिसाब से सकारात्मकता के लिए इतिहास को गौर से देखना जरूरी है। उसमें उम्मीद है कि ये हमारे लिए नई बात नहीं है।

मैं अक्सर कहता हूं, ‘अपने विचारों पर ध्यान दें, वे शब्दों में बदलते हैं। शब्दों पर ध्यान दें, वे कार्य में बदलते हैं। कार्यों पर ध्यान दें, वे आदत में बदलते हैं। आदतों पर ध्यान दें, वे चरित्र में बदलती हैं और अपने चरित्र पर ध्यान दें, यह आपकी किस्मत बदलता है।’

यानी सबकुछ विचारों से शुरू होता है। इसलिए उन्हें बदलना जरूरी है। न्यू नॉर्मल को परिवार और पेशेवर स्तर पर अपनाना जरूरी है। हम में ऐसा करने की क्षमता है। जैसे मशहूर फिल्म लॉयन किंग की कहानी है। इसमें छोटे शेर सिम्बा में बहुत शक्ति है क्योंकि वह जंगल के राजा मुफासा का बेटा है। लेकिन उसका चाचा स्कार, मुफासा को मरवा देता है और आरोप सिम्बा पर डाल देता है।

सिम्बा सब छोड़कर टिमॉन और पुम्बा (नेवला और जंगली सुअर) की संगत में चला जाता है और उसे लगने लगता है कि वह भी उन्हीं की तरह है। फिर रफिकी आकर उसको याद दिलाता है कि तुम सिम्बा हो, शेर के बच्चे हो। तुम में अनुकूल बनने की, एडजस्ट करने की, स्कार को मात देने की क्षमता है। आज की हमारी इस परिस्थिति में कोरोना स्कार की तरह है, लेकिन हम मुफासा की संतान हैं, हम सिम्बा हैं। हम जितना अपनी क्षमता को पहचानेंगे, उतना ही हम जीवन को रीडिजाइन और रीस्टार्ट कर पाएंगे।

इस दौरान हमें भावनात्मक, पेशेवर और आध्यात्मिक सहारे की भी जरूरत है। स्टीव जॉब्स ने अपने एक भाषण में बताया था कि जब उन्होंने एपल इंकॉर्पोरेशन की शुरुआत की तो कई लोगों को नियुक्त कर बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स बनाया और इसी बोर्ड ने मिलकर स्टीव को बाहर निकाल दिया। वे निराश हो सकते थे। जिन लोगों को नौकरी दी, उन्हीं ने आपको, आपकी ही कंपनी से निकाल दिया।

लेकिन स्टीव ने अपने रिश्तों, जीवन, पेशेवर कामकाज, अध्यात्म पर काम किया। वे 10 साल एपल से दूर थे। इसी दौरान शादी हुई, पिक्सार और नेक्स्ट एनिमेशन बना, आध्यात्मिक जीवन पर भी काम किया। वे भारत आकर नीम करोली बाबा से मिले। यानी 10 सालों में उन्होंने अपने लिए भावनात्मक, पेशेवर और आध्यात्मिक सहारा बना लिया। उन्हें बढ़ता देख बोर्ड ने उन्हें वापस ले लिया।

तो मुझे लगता है कि आप भी दोगुनी ताकत व ऊर्जा से जीवन को रीस्टार्ट कर सकते हैं। हम रिश्तों, अध्यात्म, पेशेवर जीवन पर काम करें। धनुष-बाण में जब बाण पीछे खींचते हैं तो यह नहीं सोचते कि बाण पीछे जा रहा है। बाण शक्ति इकट्‌ठी कर दोगुनी शक्ति से गंतव्य तक पहुंचता है।

तो अगर इस लॉकडाउन को, परिस्थिति को ऐसे देखेंगे कि यह थोपी गई है, तो इससे कुछ नहीं निकलेगा। लेकिन अगर यह सोचें कि बाण की तरह में शक्ति कैसे इकट्‌ठी करूं, अपने आप पर काम कैसे करूं, तो जब लॉकडाउन खुलेगा और परिस्थिति सुधरेगी, तो दोगुनी शक्ति से हम अपने आपको रीलॉन्च कर सकते हैं।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
It's time to prepare yourself and relaunch with double the power


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2MiRc72
दिव्यांग राजू , जिसने पीएम मोदी के मन को छुआ, भीख मांगकर बांटे 3 हजार मास्क और गरीबों को राशन

दिव्यांग राजू , जिसने पीएम मोदी के मन को छुआ, भीख मांगकर बांटे 3 हजार मास्क और गरीबों को राशन

सवा महीने के भीतर ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पठानकोट के दो लोगों को प्रेरणास्रोत बताया। 24 अप्रैल को यहां की युवा सरपंच पल्लवी ठाकुर के बाद रविवार को मन की बात में पीएम मोदी ने पठानकोट के दिव्यांग राजू को प्रेरणास्रोत बताया। बचपन से पोलियोग्रस्त 45 वर्षीय राजू शहर के ढांगू रोड पर 35 सालों से भीख मांगते हैं।

बकौल राजू वह भीख से कमाए पैसे से गरीब कन्याओं की शादियों में, भंडारा कराने और राशन बांटकर उनकी मदद कर रहे हैं। उन्होंने लाॅकडाउन के दौरान 3000 से अधिक मास्क बांटे और 100 परिवारों को राशन दिया। प्रधानमंत्री द्वारा नाम लिए जाने के बाद उसके घर लोग बधाइयां देने पहुंचने लगे। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अश्वनी शर्मा भी पहुंचे।

लोग मेरी मदद करते हैं, इसलिए मैं दूसरों की मदद करता हूंः राजू
राजू के मुताबिक, वह बचपन से ही पोलियोग्रस्त है। 10 साल की उम्र में मां-बाप का साया सिर से उठ जाने पर वह सड़क पर आ गया। दिव्यांगता के कारण उसे कोई काम नहीं मिला तो भीख मांगना मजबूरी बन गई। राजू की तो शादी भी नहीं हुई। दो भाइयों का परिवार है, लेकिन वह अलग रहता है। खाना भी पड़ोसी बनाकर देता है।

राजू बताता है कि भीख से रोजाना 500 से 700 रुपए मिलते हैं। खाने और खर्च के बाद कमाई का बाकी हिस्सा लोगों की सेवा पर खर्च करता है। मंदिरों में दान देना, गरीबों की बेटियों की शादियों में मदद, हर साल भंडारा कराना आदि में खर्च करता है। अब तक 22 गरीब लड़कियों की शादी में राशन व अन्य मदद दे चुका है।

7 जून को भी एक सफाई सेवक की बेटी की शादी में 1100 रुपये शगुन, 50 किलो चावल और एक पंखा देगा। ढांगू रोड पर 30 हजार खर्च कर एक टूटी पुलिया की रिपेयर कराई है। राजू कहते हैं कि लोग मेरी मदद करते हैं इसलिए मैं दूसरों की मदद करता हूं। भीख मांगना तो चंगा नहीं लगदा लेकिन, सेवा करना चंगा लगदा ए। राजू ने पीएम का आभार भी जताया।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
राजू कहते हैं कि लोग मेरी मदद करते हैं इसलिए मैं दूसरों की मदद करता हूं।


from Dainik Bhaskar /national/news/who-touched-pm-modis-mind-distributed-3-thousand-masks-and-rations-to-the-poor-by-begging-127361995.html
रेल मंत्री ने कहा- आज से चलने वाली 200 ट्रेनों में बिना रिजर्वेशन किसी को सीट नहीं, जनरल में भी जितनी सीटें उतनी ही एंट्री देंगे

रेल मंत्री ने कहा- आज से चलने वाली 200 ट्रेनों में बिना रिजर्वेशन किसी को सीट नहीं, जनरल में भी जितनी सीटें उतनी ही एंट्री देंगे

देश में 68 दिन के लॉकडाउन के बाद रेलवे 200 यात्री ट्रेनें 1 जून यानी सोमवारसे शुरू कर रहा है। इन ट्रेनों में बिना रिजर्वेशन कोई नहीं बैठ सकेगा। रिजर्व बोगियों में केवल कन्फर्म टिकिट वाले यात्री ही बैठ सकेंगे। वेटिंग टिकिट वालों की एंट्री नहीं हो सकेगी। जनरल बोगियों में भी सीटों की संख्या से ज्यादा लोगों को चढ़ने नहीं दिया जाएगा। यह बात रेल और वाणिज्य उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने रविवार को दैनिक भास्कर से चर्चा करते हुए कही। पेश है उनसे की गई बातचीत के प्रमुख अंश...

सवाल: ट्रेनों की सामान्य स्थिति कब तक बहाल होगी?
जैसे-जैसे डिमांड बढ़ेगी, ट्रेनों की संख्या बढ़ाई जाएगी और हम सामान्य स्थिति की ओर लौटेंगे। अभी भी जो 200 ट्रेन हम चला रहे हैं, वह पूरी तरह फुल नहीं हुई हैं। लोग जरूरी होने पर ही यात्रा कर रहे हैं। बाद में निजी ट्रेनें भी चलाएंगे।

सवाल: 15 जोड़ी राजधानी ट्रेन शुरू की गई हैं, उनमें डायनामिक फेयर लिया जा रहा है, ऐसा क्यों?
अधिकांश ट्रेन अभी भी फुल नहीं जा रही हैं। पुराने सिस्टम में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। सिर्फ केटरिंग का चार्ज कम किया है। सब कुछ जाे पहले था उसी को बरकरार रखा है।

सवाल: रेलवे सिर्फ कंफर्म टिकट के आइडिया पर जाएगा?
आपका सुझाव सोचने लायक है, अभी हमने इस दिशा में सोचा नहीं है। अभी हम श्रमिकों की सेवा में लगे हैं। देश के कोने-कोने तक सामान और श्रमिक पहुंचें यहीं प्राथमिकता है।

सवाल: श्रमिक स्पेशल ट्रेनों को लेकर केरल, प. बंगाल और महाराष्ट्र ने भेदभाव के आरोप लगाए हैं, क्या कहेंगे?
मैं दावे से कह सकता हूं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में किसी भी मंत्री ने, किसी भी राज्य सरकार के साथ कोई भी भेदभाव नहीं किया है। अभी तक राज्यों ने जितनी भी ट्रेन मांगी, हमने दी हैं। बल्कि समस्या उल्टी है। 250 ट्रेन ऐसी रहीं, जो राज्य सरकारों ने मांगी और फिर चल नहीं पाईं।

महाराष्ट्र का आपने जिक्र किया तो मैं बता दूं कि 109 ट्रेनों को राज्य सरकार की रिक्वेस्ट पर हमने तैयार किया और फिर भी वो ट्रेन चला ही नहीं पाए। पश्चिम बंगाल तो ट्रेन लाने ही नहीं दे रहा था। यहां तक कि उसने श्रमिक ट्रेन को कोरोना एक्सप्रेस तक कह दिया। राज्य जितनी श्रमिक एक्सप्रेस ट्रेन मांगेंगे, हम देते रहेंगे। हम श्रमिकों की सेवा कर रहे हैं।

आज से चलने वाली 200 ट्रेनों में....
सवाल: सोशल डिस्टेंसिंग के दौर में काउंटर बुकिंग का भविष्य क्या होगा?
पहले हमने काउंटर बुकिंग शुरू नहीं की थी, आईआरसीटीसी की वेबसाइट से ही बुकिंग की सुविधा थी। फिर कई राज्यों की रिक्वेस्ट मिली कि हमारे यहां कई लोग जाना चाहते हैं और उनको इंटरनेट चलाना नहीं आता है। हमने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए काउंटर शुरू किए। ये काउंटर वहां शुरू नहीं किए जहां से श्रमिक स्पेशल ट्रेन चल रही थीं, उससे कुछ दूरी पर शुरू किए। रेलवे धीरे-धीरे सभी काउंटर खोलेगा। काउंटर कम नहीं करेंगे।

सवाल: लॉकडाउन के दौरान मालगाड़ियों से कितना गुड्स भारत वर्ष में पहुंचाया?
लॉकडाउन के दौरान 24 मार्च से 25 मई तक दो महीने में 16 करोड़ टन माल का परिवहन किया है। देश के कोने-कोने में एक भी दिन अनाज, खाद और कोयला आदि की कमी नहीं रही। देश के कोने-कोने में हम ये सामान पहुंचाते रहे। अगर अनाज देखें तो वो इस दौरान दोगुना हो गया। दूध, कोयला, लोहा, आयात-निर्यात आदि सामान की ढुलाई इस दौरान हमने की है।

सवाल: रेलवे की इस साल कमाई का लक्ष्य क्या है?
यह एक समस्या है। हम वित्त मंत्रालय से चर्चा कर आगे का रास्ता खोजेंगे। फिलहाल हमारी प्राथमिकता समय पर सबको सामान मिले और श्रमिक अपने घर पहुंचे, यही है। रेलवे के वेतन में करीब 90 हजार करोड़ और पेंशन में 50 हजार करोड़ रुपए प्रतिवर्ष खर्च होते हैं। यह पिछले पांच वर्ष में लगभग डबल हो गया है।

सवाल: 20 लाख करोड़ रु. के पैकेज का फायदा एक्सपोर्टर कैसे ले सकते हैं?
एमएसएमई सेक्टर हमारे एक्सपोर्ट को बहुत योगदान देता है। उन्हें सात-साढ़े सात फीसदी ब्याज दर पर 20% अतिरिक्त लोन मिल पाएगा। निर्यातकों, उनकी एसोसिएशन, प्रमोशन काउंसिल आदि से लागातार मेरी बैठक होती है। आज ही फार्मास्युटिकल वालों से चर्चा की है। हमारी सोच है कि विभिन्न इंडस्ट्री से बात कर उनकी समस्या का समाधान संवेदना के साथ करें। अप्रैल में एक्सपोर्ट बीते वर्ष की तुलना में 60% गिरा था, मई में यह 35% कम था, जून के आंकड़ों में और सुधार देखने को मिलेगा। धीरे-धीरे वापसी होगी। सोमवार एक जून से फिर एक्टिविटी बढ़ेगी, उससे और अधिक कारोबार बढ़ेगा।

सवाल: श्रमिक एक्सप्रेस ट्रेनों से कितनों को गंतव्य तक पहुंचाया गया है?
मैं दिन में तीन बार श्रमिक एक्सप्रेस ट्रेन की स्थिति की समीक्षा करता हूं। 30 मई तक देश में 4,040 श्रमिक एक्सप्रेस के माध्यम से करीब 54 लाख से अधिक श्रमिकों को उनके घरों तक पहुंचा गया है। ट्रेनों के भटकने या सात या नौ दिन में पहुंचने की बात बेबुनियाद है। सिर्फ 71 ट्रेन यानी 1.75% ट्रेन डायवर्ट हुईं। वह भी राज्यों के कहने, अधिक संख्या में एक ही स्टेशन पर ट्रेन के पहुंचने जैसे कारणों से हुई। किसी भी व्यक्ति की मृत्यु, भूख या प्यास के कारण नहीं हुई है। रेलवे ने 1.19 लाख खाना और 1.5 करोड़ बोतल पानी श्रमिकों के बीच दिया।

सवाल: लॉकडाउन के समय बड़ी संख्या में निजी क्षेत्र में नौकरियां जा रही है? इस वर्ष रेलवे कितनी भर्ती करेगा?
अभी हमारी भर्ती की प्रक्रिया डायनामिक है। अभी टेस्ट, ट्रेनिंग आदि चल रहा है। लोग रिटायर होते हैं, वैसे ही भर्ती करेंगे। अभी रेलवे में कोई शॉर्टेज नहीं है। 1.5 लाख लोगों की भर्ती प्रक्रिया चल रही है।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
रेल मंत्री पीयूष गोयल। (फाइल)


from Dainik Bhaskar /national/news/without-reservation-no-seat-will-be-given-in-200-trains-running-from-today-as-many-seats-will-be-given-as-same-in-general-piyush-goyal-127361994.html
पंचायत ने तय किया- लॉकडाउन में खाली नहीं बैठना है, 10 हजार परिवार कृषि क्रांति ले आए, हर खाली जगह पर सब्जियां उगा दीं

पंचायत ने तय किया- लॉकडाउन में खाली नहीं बैठना है, 10 हजार परिवार कृषि क्रांति ले आए, हर खाली जगह पर सब्जियां उगा दीं

लॉकडाउन में केरल की एक पंचायत ने नई कृषि क्रांति खड़ी कर दी है। जब 23 मार्च को 21 दिन के लॉकडाउन के घोषणा हुई थी, तभी एर्नाकुलम जिले की वडक्ककेरा ग्राम पंचायत ने तय किया वे इस समय का बखूबी इस्तेमाल करेंगे। सामूहिक चर्चा के बाद तय हुआ कि गांव की खाली पड़ी जगह, घरों के आसपास और छतों पर सब्जियां उगाएंगे।

पहले हफ्ते करीब 4800 परिवार इस मुहिम में जुड़े। कुछ ही दिनों में गांव के 10 हजार 312 परिवारों में 9417 परिवार जुड़ चुके हैं। अब केरल सरकार के कृषि विभाग ने इन किसानों के लिए बाजार भी तैयार कर दिया है, जहां सभी अपनी उपज बेच सकते हैं। पंचायत की तरफ से बेस्ट फार्म और बेस्ट किसान को अवॉर्ड भी दिया जा रहा है।

द वेजिटेबल फार्मिंग चैलेंज मुहिम के तहत खुद को सब्जियों के मामले में आत्मनिर्भर बनाने वाले इस गांव के परिवारों ने पहले छोटे-छोटे समूह बनाए और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए अपने-अपने घरों के आसपास खाली पड़ी जगहों को साफ किया। इसके बाद इनकी जुताई कर इन्हें सब्जी बोने लायक खेत में तब्दील किया।

लोगों ने तय किया- पेस्टीसाइड का इस्तेमाल नहीं करेंगे

ग्राम पंचायत ने अलग-अलग किस्म के बीजों के 20 हजार से अधिक पैकेट मुफ्त बांटे। तय हुआ कि पेस्टीसाइड का इस्तेमाल नहीं करेंगे और आर्गेनिक फार्मिंग अपनाएंगे। आज यहां के हर घर में भिंडी, बैंगन, कद्दू, करेला, लाल भाजी और लौकी की फसलें लहरा रही हैं।

सामूहिक प्रयासों से मिली सब्जी की उपज इतनी ज्यादा थी कि केरल सरकार के कृषि विभाग ने किसानों के लिए बाजार तैयार करके दिया है, जहां गांव के लोग अपनी सब्जियां बेच सकते हैं। यह मार्केट सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक चलता है।

पंचायत के सहायक कृषि अधिकारी एस सीना बताते हैं कि हमने लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए यह फार्मिंग प्रोग्राम शुरू किया था, ताकि लॉकडाउन में घर में रहते हुए वह सब्जियां उगाएं। यह प्रयोग पूरी तरह सफल रहा। गांव के ज्यादातर लोग अब साथ खेती का आनंद उठा रहे हैं।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
पंचायत की तरफ से लोगों को बीज के मुफ्त पैकेट बांटे गए, केरल सरकार ने सब्जी बेचने के लिए बाजार तैयार किया।


from Dainik Bhaskar /national/news/panchayat-decided-not-to-sit-vacant-in-lockdown-10-thousand-families-brought-agrarian-revolution-grew-vegetables-at-every-vacant-place-127361993.html
पायलट ट्रेनिंग के बाद भी नौकरी नहीं मिली तो कानपुर की सौम्या ने उधार की ड्रेस बेचकर खड़ा किया बिजनेस

पायलट ट्रेनिंग के बाद भी नौकरी नहीं मिली तो कानपुर की सौम्या ने उधार की ड्रेस बेचकर खड़ा किया बिजनेस

2007 की आर्थिक मंदी में कानपुर की सौम्या गुप्ता के भी सपने टूटे थे। तब 19 साल की सौम्या ने 65 लाख रुपए खर्च कर अमेरिका में पायलट की ट्रेनिंग पूरी की थी। लेकिन लाख कोशिशों के बाद भी नौकरी नहीं मिली। इसलिए जिम रिसेप्शनिस्ट से लेकर कॉल सेंटर तक में काम किया। फिर उधार लेकर कपड़ों का अपना बिजनेस शुरू किया। आज उनकी कंपनी में 35 कर्मचारी काम करते हैं और उनके डिजाइन किए करीब दस हजार कपड़े रोज बिकते हैं।

सौम्या कहती हैं कि 2006 में मेरा करिअर शुरू होने से पहले ही खत्म हो गया। ट्रेनिंग के बाद नौकरी मिलना तय था। पर अचानक पूरी इंडस्ट्री अनिश्चितताओं के घेरे में आ गई। इसका कारण था अमेरिका का सब-प्राइम मोर्गेज डिफाल्ट, जिसके कारण लेहमन ब्रदर्स जैसे बड़े बैंक और अमेरिकन इंश्योरेंस ग्रुप दिवालिया हो गई थीं।

वे बताती हैं कि 2008 का पूरा साल मैंने नौकरी की तलाश में बिता दिया। आखिर मैंने 5000 रुपए महीने की नौकरी जिम में रिसेप्शनिस्ट के तौर पर शुरू की। कुछ दिनों बाद ही एक कॉल सेंटर ज्वाइन कर लिया। रात में यहां काम करती और दिन में दूसरी नौकरी की तलाश।

इस बीच एक मेरी मुलाकात राबर्टो कवाली और गॉटियर जैसे ब्रांड के कपड़ों का एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट का काम करने वाली एक महिला से हुई। मैंने उनसे 20 ड्रेसें उधार लीं और घर में दोस्तों के लिए इन कपड़ों की सेल लगाई। एक घंटे में 100% मुनाफा कमाया।

ये 2009 की बात है। मैंने कॉल सेंटर की नौकरी छोड़ दी और कपड़ों के बिजनेस में आ गई। स्नैपडील, फ्लिपकार्ट और दूसरे छोटे-बड़े ऑनलाइन प्लेटफार्म पर कपड़े बेचने की जद्दोजहद शुरू कर दी। आज मेरी कंपनी 10 ऑन 10 हर रोज 10 हजार ड्रेस बेचती है। कंपनी का काम अभी अमेरिका से चल रहा है और कनाडा और यूरोप में बिजनेस शुरू किया है।

अब मास्क का एक्सपोर्ट

सौम्या बताती हैं कि कोरोनावायरसके आने पर उन्हें लगा जैसे वो 2007 में पहुंच गई हों। फर्क सिर्फ इतना था कि आज कमाई नौ अंकों में होती है। ड्रेस की बिक्री घटी तो मास्क का एक्सपोर्ट शुरू किया है।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
सौम्या कहती हैं कि कोरोना के कारण ड्रेस की बिक्री घटी तो उन्होंने मास्क का एक्सपोर्ट शुरू कर दिया है।


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2ZPXpzk
आज से नाइट कर्फ्यू में पाबंदी घटेगी, बंदिशें सिर्फ कंटेनमेंट जोन में; पढ़ें देश में अब क्या, कहां और कब से बदलने वाला है?

आज से नाइट कर्फ्यू में पाबंदी घटेगी, बंदिशें सिर्फ कंटेनमेंट जोन में; पढ़ें देश में अब क्या, कहां और कब से बदलने वाला है?

देश ने 68 दिन का दुनिया का सबसे बड़ा लॉकडाउन देखा। वो भी चार फेज में। इस दौरान सवा सौ करोड़ की आबादी बंदिशों में रही। पहला लॉकडाउन सबसे सख्त था। और 31 मई को खत्म हुए लॉकडाउन-4 में काफी छूट मिली हुई थी। पर अब कई बंदिशें हटा ली गई हैं। केंद्र और राज्य, दोनों स्तर पर। इसलिए 1 जून यानी आज से लॉकडाउन-5 की जो शर्तें रखी गई हैं, उसका नाम अनलॉक-1 कर दिया गया है। सरकार तो यही कह रही।

चलिये देखते हैं देश में आज से क्या-क्या खुल रहा है और कहां-कहां बंदिशें जारी रहेंगी... सिर्फ 13 तस्वीरों में...



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
Lockdown 5 Latest News | Coronavirus India Lockdown June 1 2020 Today Latest News Updates; Rajasthan Jharkhand Madhya Pradesh Maharashtra Haryana


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3gHxDTW