पिछले करीब पच्चीस वर्षों में, भारत भर में मधुमेह रोगियों की संख्या 64 प्रतिशत बढ़ी है। यह खुलासा शोध संस्थानों इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च तथा इंस्टीट्यूट फॉर हैल्थ मीट्रिक्स एंड इवेलुएशन के अलावा एक एडवोकेसी संगठन पब्लिक हैल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया की नवंबर 2017 की एक रिपोर्ट में किया गया है।
इस बीच, भारत में पैथोलॉजी लैब्स की सबसे बड़ी श्रृंखलाओं में से एक, मैट्रोपॉलिस हैल्थकेयर द्वारा आंकड़ों के विश्लेषण से यह स्पष्ट हो चुका है कि दिल्ली तेजी से देश की मधुमेह राजधानी बन रही है।
जनवरी 2019 से अगस्त 2020 के दौरान, हमारी दिल्ली लैब में जांचे गए 1,37,280 नमूनों में करीब 18 फीसदी में मधुमेह पर खराब नियंत्रण की स्थिति सामने आयी है।
मधुमेह पर यह खराब नियंत्रण का मामला सबसे ज्यादा (25 प्रतिशत नमूनों में) 20 से 30 वर्ष की आयुवर्ग में पाया गया जबकि दूसरे स्थान पर (24 प्रतिशत नमूनों में) 30 से 40 वर्ष की आयुवर्ग और तीसरे स्थान पर (23 प्रतिशत नमूनों में) 40 से 50 वर्ष के आयुवर्ग के सैंपल रहे।
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