Wednesday, October 14, 2020

आम आदमी की दिवाली आपके हाथ में है, कुछ ठोस कदम उठाएं : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने लोन मोरेटोरियम की अवधि के ब्याज पर ब्याज माफ करने की मांग को लेकर दायर कई याचिकाओं पर बुधवार को फिर सुनवाई की। इस दौरान ब्याज माफी योजना के अमल में देरी पर केंद्र की खिंचाई की। जस्टिस अशोक भूषण नेतृत्व वाली तीन सदस्यीय पीठ ने केंद्र को और मोहलत देने से इनकार करते हुए कहा कि इतने छोटे से फैसले को लागू करने के लिए एक महीने का समय क्यों चाहिए...। कृपा कर आम लोगों की दुर्दशा देखें, आम आदमी की दिवाली सरकार के हाथ में है। इसलिए दो करोड़ रुपए तक के लेनदारों को सरकार की छूट का लाभ जल्द-से-जल्द मिलना चाहिए।’

कोर्ट ने पूछा- फैसला कब लागू होगा? केंद्र की तरफ से सॉलिसिटर जनरल ने कहा- थोड़ी मोहलत दी जाए
सुनवाई शुरू होते ही कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा- ये फैसला कब लागू होगा? बैंकों को सर्कुलर कब जारी करेंगे? इस पर मेहता ने कहा, कर्ज देने के मामलों में विविधता और विभिन्न प्रक्रियाओं का पालन जरूरी है। परामर्श जारी है। थोड़ी मोहलत दें। इस पर कोर्ट ने सही एक्शन प्लान लेकर आने को कहा। अगली सुनवाई 2 नवंबर को होगी।

याचिकाकर्ता ने कहा- बैंक मनमानी कर रहे, कोर्ट के आदेश की परवाह नहीं

याचिकाकर्ता वकील विशाल तिवारी ने कहा कि बैंकों को इस मामले में जारी आदेश या निर्देश की परवाह नहीं है। वे मनमानी कर रहे हैं। इसलिए कोर्ट कोई अंतरिम आदेश जारी करे। तिवारी ने लिखित याचिका दायर करते हुए कहा कि कोटर् को 9 अक्टूबर को रिजर्व बैंक द्वारा दायर हलफनामे पर विचार करना चाहिए।

आरबीआई ने उस हलफनामे में कहा था कि कोरोना काल में मोरटोरियम को 6 महीने से ज्यादा नहीं बढ़ाया जा सकता। अगर एेसा हुआ तो आर्थिक संकट बढ़ेगा। छह और महीने का मोरटोरियम उधार लेने वालों के व्यवहार को प्रभावित कर सकता है और निर्धारित भुगतानों को फिर से शुरू करने में देरी के जोखिम बढ़ जाएंगे।



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