नगर निगम के अकाउंट विभाग के रिकार्ड रूम में लगी आग की जांच को लेकर शुक्रवार को जांच कमेटी की बैठक हुई। इसमें कमेटी के सदस्यों और शिकायतकर्ता पार्षद भी शामिल हुए। कमेटी ने अभी तक की हुई जांच का ब्यौरा पार्षदों के सामने रख बताया कि रिकार्ड रूम में फाइलों की जांच की गई है। इसमें 13 अन्य ठेकेदारों के वाउचरों की तलाश की गई।
इसमें सभी के वाउचर मिल गए लेकिन आरोपी ठेकेदार का एक भी वाउचर नहीं मिला। इस पर कमेटी के सदस्यों ने निर्णय लिया कि 50 करोड़ के इस घोटाले को सबके सामने लाने के लिए तत्कालीन चीफ इंजीनियर, एसई और फाइनेंस कंट्रोलर को नोटिस जारी किया आए ताकि वह जांच में शामिल हों। इसके अलावा जिस कर्मचारी की निगरानी में ठेकेदारों की फाइलें रखी जाती हैं उसके खिलाफ कार्रवाई की जाए।
वार्ड 37 से पार्षद दीपक चौधरी, वार्ड 36 के दीपक यादव, सुरेंद्र अग्रवाल, महेंद्र सरपंच समेत अन्य पार्षदों ने अकाउंट विभाग से वर्ष 2017 से 2019 तक निगम ठेकेदारों को विकास कार्यों के बदले किए गए भुगतान राशि के बारे में जानकारी मांगी थी। महीनों के बाद अकाउंट विभाग ने पार्षदों को आधी अधूरी जानकारी देकर पल्ला झाड़ लिया। इसके बाद पार्षदों ने निगम कमिश्नर डॉ. यश गर्ग से शिकायत कर बताया कि बल्लभगढ़ समेत अन्य वार्डों में विकास कार्यों के बदले भुगतान की जो जानकारी अकाउंट विभाग ने दी है वे काम वार्ड में हुए ही नहीं।
पार्षद दीपक चौधरी समेत अन्य ने आरोप लगाया कि निगम अधिकारियों से मिलीभगत कर आरोपी ठेकेदार ने बगैर काम किए ही करीब 50 करोड़ का निगम से भुगतान ले लिया।
पार्षदों ने बताया कि अकाउंट विभाग ने जो जानकारी उन्हें उपलब्ध कराई है जब उसका अध्ययन किया गया तो पता चला कि वर्ष 2017 से 2019 तक एनआईटी क्षेत्र के वार्ड नंबर 1, 8, 9, 10, फरीदाबाद क्षेत्र के वार्ड नंबर 33 और 34 तथा बल्लभगढ़ क्षेत्र में वार्ड नंबर 35 से 40 वार्ड में बगैर काम किए ही उसका भुगतान ठेकेदार को किया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि इतनी बड़ी रकम हजम करना बगैर निगम अफसरों की मिलीभगत से संभव नहीं है।
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