लॉकडाउन के कारण तीन माह से बंद पड़े उद्योगों को हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने लाइसेंस रिन्यू कराने का नोटिस भेजना शुरू कर दिया है। साथ ही 50 फीसदी तक जुर्माना लगाने की चेतावनी भी दी है। नोटिस मिलने के बाद उद्यमियों में विभाग की मनमानी को लेकर आक्रोश है। उनका कहना है जब तीन महीने से उद्योग-धंधे बंद थे। कोई मालिक अथवा कर्मचारी फैक्ट्री में नहीं जा रहा था तो तीन माह पहले लाइसेंस को कैसे रिन्यू कराया जा सकता है। यह तो विभाग की मनमानी है। लॉकडाउन के कारण उद्योगों का बुरा हाल है। किसी तरह धीरे-धीरे उद्योग शुरू हुए हैं। अब विभाग राहत देने के बजाय उद्यमियों का शोषण करने पर उतर आया है।
औद्योगिक संगठनों ने इस बारे में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को पत्र लिख लाइसेंस रिन्यू करने की डेट आगे बढ़ाने की मांग की है। कोरोना के कारण प्रधानमंत्री की घोषणा के बाद 25 मार्च से फरीदाबाद के सभी उद्योग-धंधे बंद हो गए थे। इसके बाद लगातार लॉकडाउन का समय बढ़ता गया। मई अंत से उद्योग-धंधे धीरे-धीरे खुलने शुरू हुए। औद्योगिक संगठनों का कहना है कि कामगार घर जा चुके हैं। अभी भी बड़ी संख्या में उद्योग शुरू नहीं हो पाए हैं। तीन माह से उद्योग बंद होने से अर्थव्यवस्था पूरी तरह से चौपट हो चुकी है। ऑर्डर कैंसिल पड़े हैं। फरीदाबाद एमएसएमई का हब माना जाता है। यहां करीब 24000 से अधिक औद्योगिक इकाइयां चलती हैं।
मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन फरीदाबाद (एमएएफ) के महासचिव रमणीक प्रभाकर, लघु उद्योग भारती के अध्यक्ष रविभूषण खत्री,आईएमटी एसोसिएशन के प्रधान वीरभान शर्मा, उद्यमी एसएस कपूर का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान बंद पड़ी औद्योगिक इकाइयों को हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा नोटिस भेजना बिल्कुल गलत है। अभी धीरे-धीरे उद्योग चलने शुरू हुए हैं। ऐसे में जुर्माने का नोटिस भेजना उद्यमियों को मानसिक रूप से शोषण करना है। उनका कहना है विभाग को लाइसेंस रिन्यू कराने के लिए वक्त देना चाहिए।
रिन्यू के लिए छह महीने का समय देने की मांग
औद्योगिक संगठनों का कहना है कि प्रदूषण का लाइसेंस रिन्यू कराने के लिए विभाग को कम से कम छह माह का समय दिया जाना चाहिए और 50 फीसदी जुर्माने की राशि माफ की जानी चाहिए। रमणीक प्रभाकर और एफआईए के प्रधान बीआर भाटिया का कहना है कि लॉकडाउन के कारण बंद इकाइयों को नोटिस भेजना अन्याय है। जब मई के आखिरी सप्ताह तक उद्योग बंद थे तो तीन महीने पहले लाइसेंस रिन्यू कैसे कराया जा सकता था।
उद्यमी और वर्कर वैसे सही काम-धंधे से परेशान हैं। अभी महज 40-45 फीसदी ही काम हो रहा है। उद्यमियों के पास काम ही नहीं है। ऐसे में विभाग साथ देने के बजाय उनका शोषण करने पर उतारू है। एमएएफ ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन को पत्र भेजकर विभाग की इस कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग की है।
ढाई लाख रुपए तक है जुर्माने का प्रावधान| उद्यमी रमणीक प्रभाकर ने बताया कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की पॉलिसी के अनुसार 50 हजार से ढाई लाख रुपए तक जुर्माना वसूलने का अधिकार विभाग को है। ऐसे में यदि विभाग इसे लागू करेगा तो उद्यमी वैसे ही मर जाएंगे। उन्होंने कहा उद्यमी जब जीएसटी, एक्ससाइज, बिजली बिल आदि दे सकते हैं तो लाइसेंस रिन्यू क्यों नहीं करा सकते। सभी उद्यमी लाइसेंस रिन्यू कराने के लिए तैयार हैं। बशर्ते विभाग उन्हें समय दे।
पॉलिसी के अनुसार तीन महीने पहले प्रदूषण लाइसेंस को रिन्यू कराना होता है। जिन उद्योगों के लाइसेंस 30 सितंबर तक खत्म हो रहे हैं उन्हें ही नोटिस जारी किया जा रहा है। कारण बताओ नोटिस में 50 फीसदी जुर्माने की बात पॉलिसी के अधीन है। औद्योगिक संगठनों ने अपनी बात रखी है। उनकी समस्या को उच्चाधिकारियों को भेजा गया है। वहां से जो निर्णय होगा उसे लागू किया जाएगा।
-दिनेश कुमार, क्षेत्रीय अधिकारी, हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
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