Monday, June 29, 2020

राजधानी के 30 साल पुरानी 90 फीसदी बिल्डिंगों में दरार, भूकंप के झटकों के लिए नहीं है दिल्ली तैयार

भूकंप के झटकों को झेलने के लिए दिल्ली तैयार नहीं है। भूंकप के झटकों से बचने के लिए केन्द्र सरकार के सीपीडब्ल्यूडी और दिल्ली सरकार के पीडब्ल्यूडी, डीडीए, एनडीएएमसी, नॉर्थ, साउथ और ईस्ट तीनों एमसीडी ने कोई भी ठोस कदम नहीं उठाया है। इसी संबंध में दाखिल एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के फटकार के बाद साउथ-नार्थ एमसीडी अपने-अपने क्षेत्र में सौ-सौ और ईडीएमसी अपने क्षेत्र में 30 साल या इससे ज्यादा पुरानी हाई-राइज बिल्डिंगों को नोटिस जारी किया था। अब साउथ, नार्थ और ईडीएमसी के इन 30-90 साल पुरानी इमारतों के स्ट्रक्चरल स्थिति की कुछ की ऑडिट रिपोर्ट आई है जो काफी चौंकाने वाली है। इसमें 90 प्रतिशत बिल्डिंगों के बीम और कॉलम में दरार पाई गई है।

रिपोर्ट से यह साफ है कि अगर दिल्ली में 7 से अधिक रिएक्टर पर भूकंप आई तो ये बिल्डिंगें भूकंप के तेज झटकों को नहीं झेल सकती हैं। साउथ एमसीडी ने नेहरू प्लेस में बने 16 मंजिला मोदी टावर,17 मंजिला प्रगति देवी टावर, 15 मंजिला अंसल टावर, 17 मंजिला हेमकुंट टावर को स्ट्रक्चरल ऑडिट के लिए नोटिस जारी किया है। वहीं आश्रम चौक पर बनी नैफेड बिल्डिंग, सफदरजंग एन्क्लेव एरिया में स्थित कमल सिनेमा और जनकपुरी के भारती कॉलेज सहित करीब 100 बिल्डिंगों को नोटिस जारी किया गया है। जिनमें ग्रुप हाउसिंग सोसायटी, स्कूल और कॉमर्शियल बिल्डिंग्स हैं। इसी तरह से नॉर्थ एमसीडी ने भी 6 जोन में करीब 100 ऐसी बिल्डिंगों को नोटिस जारी किया है इसके अलावा ईस्ट एमसीडी द्वारा 66 बिल्डिंगों को नोटिस जारी किया गया है।

गौरतलब है कि एनडीएमए ने राज्य सरकारों से ऐसे कदम उठाने का अनुरोध किया है जिसमें आगामी निर्माणों में भूकंप के मद्देनजर निर्माण संबंधी नियमों का अनुपालन सुनिश्चित हो और कमजोर भवन का निर्माण नहीं हो। उसने राज्यों को जोखिम वाले ढांचों की पहचान करने और उनमें जरूरी सुधार करने का सुझाव दिया है।



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Cracks in 90 percent of 30-year-old buildings in the capital, Delhi is not ready for earthquake tremors


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