
बॉलीवुड डेस्क. बॉलीवुड में हमेशा से ही रंगो के त्यौहार होली को बड़ी धूम धाम से मनाया गया है। हाल ही में करिश्मा कपूर ने आरके स्टूडियो और दिव्या दत्ता ने अमिताभ बच्चन के घर की होली पार्टी की कुछ यादगार बातें शेयर की हैं।
आर के स्टूडियो की होली का किस्सा खुद राज कपूर की पोती की जुबानी
‘जो भी सूखा या कम रंगा हुआ नजर आता था, उसे उठाकर रंग से भरे हुए टैंक में पटक दिया जाता था’-करिश्मा कपूर।
होली तो मैंने देखी है मेरे दादाजी श्री राज कपूर को खेलते हुए। उस समय करीना तो बहुत छोटी थी, लेकिन मैंने वह सब देखा है तो आरके स्टूडियो की होली से जुड़ी वो सब यादें मुझे जस की तस याद हैं। मेरे दादाजी होली बहुत भव्य तरीके से मनाते थे। फैमिली मेंबर के साथ पूरी इंडस्ट्री के लोग वहां आते थे। आर.के. स्टूडियो पूरा खचाखच भरा होता था। वहां पर एक छोटा सा टैंक होता था, जिसमें रंग भर दिया जाता था, जिसमें सब लोग डुबकियां मारते थे। जो नहीं मारता था या कम रंगा दिखता था उसे लाकर उसमें पटक दिया जाता था। वह यादें मेरे लिए बहुत भावुकता भरी हैं। मेरे दादाजी के निधन के बाद वहां पर होली का आयोजन बंद कर दिया गया। यह उनके सम्मान में किया गया था। वह एक अलग दौर था। उसके बाद तो बॉलीवुड में कहीं भी इतने भव्य तरीके से होली नहीं मनाई जाती। मेरे दादाजी उस समय ही इतने जागरुक थे कि तभी इकोफ्रेंडली होली मनाते थे। दादाजी का कहना था कि केमिकल कलर के साथ मत खेलो। सिर्फ गुलाल के साथ होली खेलो, वह भी ड्राई हो। उस जमाने से ही उनकी सीख को फॉलो करते आई हूं। उनकी सीख मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

अमिताभ बच्चन की होली का किस्सा वहां रंगी जा चुकीं एक्ट्रेस की जुबानी
‘अभिषेक बच्चन और वहां मौजूद एक्ट्रेसेज ने मुझे पकड़ लिया और धड़ाम से पूल में पटक दिया’- दिव्या दत्ता।
मेरी सबसे यादगार होली बच्चन साहब के यहां मनने वाली होली रही थी। आज भी याद है कि मुझे गेट के करीब से ही पकड़ लिया था। मैं न्यूकमर थी, पर यह बहुत प्यारी बात है कि आप छोटे-बड़े चाहे कोई भी हों, आपका वहां स्वागत होता है। वहां सभी को पूल में डुबोया जाता है। अभिषेक और वहां मौजूद सभी लड़कियों ने मुझे गेट से ही पकड़ लिया था और फिर सीधा ले जाकर धड़ाम से पूल में पटक दिया था। मैं उनके साथ घुल-मिल गई थी। मेरी उनके साथ दोस्ती हो गई थी। काफी खुशी- हंसी भरा माहौल होता है वहां का। मुझे लगता है जैसा फिल्मों की होली में दिखाया जाता है, हूबहू वैसी ही होली वहां मनाई जाती है। इसके अलावा मैंने एक और यादगार होली शबाना जी के घर पर मनाई हुई है। मैं वहां अपनी मां के साथ जाया करती थी। वहां के रंग, चमक, खुशी सब यादगार हैं और वह कभी होली के दौरान पानी का इस्तेमाल नहीं करते। हमेशा सूखे रंग के साथ होली खेली जाती है। वहां का म्यूजिक और ढोल आज भी मुझे याद है। मैं अपनी मां के साथ जाती थी और काफी एंजॉय करती थी और यह कब परंपरा बन गयी पता नहीं चला।
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