
जीवन मंत्र डेस्क. देव गुरु बृहस्पति रविवार, 29 मार्च को मकर राशि में प्रवेश कर रहा है। 25 मार्च से चैत्र नवरात्रि शुरू होगी। नवरात्रि के बीच में गुरु का राशि परिवर्तन सभी 12 राशियों के लिए खास रहने वाला है। इस राशि में गुरु नीच का रहता है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार मकर में स्वराशि का शनि और उच्च का मंगल पहले से ही स्थित है। इन तीनों ग्रहों का योग सभी राशियों पर असर डालेगा। 4 मई को मंगल के राशि परिवर्तन से ये योग टूटेगा।
14 मई को होगा वक्री
पं. शर्मा के अनुसार गुरु ग्रह करीब 12 साल में राशि चक्र पूरा करता है यानी 12 वर्षों में करीब 1-1 वर्ष के सभी राशियों में रुकता है। मकर राशि में गुरु नीच का रहता है। इसका अर्थ है, इस राशि में गुरु प्रसन्न नहीं रहता। 14 मई से इसी राशि में गुरु वक्री होगा। 29 जून से वक्री रहकर ही धनु राशि में फिर से जाएगा। धनु में वक्री रहेगा। 13 सितंबर से धनु राशि में मार्गी हो जाएगा और 20 नवंबर को मकर में प्रवेश कर नीच का हो जाएगा।
मेष- ये तीनों ग्रह दशम रहेंगे। राशि स्वामी मंगल उच्च का रहेगा। अत: कार्य की अधिकता करने वाला होगा। विवादों में विजय दिलाने वाला होगा। पद प्राप्ति होगी।
वृषभ- तीनों ग्रह नवम रहेंगे। अत्यंत सचेत रहें। विचारों में द्वंद रहेगा। आय अच्छी रहेगी, पर संतुष्टि नही हो पाएंगी। मूल्यवान सामान गुम हो सकता है। धन का लेन-देन नगदी में करने से बचें।
मिथुन- राशि से अष्टम स्थान पर यह युति बनेगी। अत्यंत सावधानी से रहने का समय होगा। स्वयं पर नियंत्रण रखें और जोखिम के कार्यों से दूरी बनाएंगे तो बेहतर रहेगा। शत्रु हावी होने का प्रयास करेंगे और उनके मौके भी प्राप्त होंगे।
कर्क- राशि के ठीक सामने सप्तम स्थान पर यह युति होगी। इस युति से लाभ-हानि बराबर रहेगी। किसी प्रकार के बड़े नुकसान की संभावना नहीं है। कुछ योजनाएं बिगड़ सकती हैं एवं कुछ नई सफल भी होंगी।
सिंह- राशि से षष्ठम भाव में यह युति होगी। यह विरोधियों का शमन करने वाली भी होगी और बढ़ाने वाली भी होगी। विचलित भी रखेगी। क्रोध को बढ़ा सकती है। संयम से लाभ होगा।
कन्या- पंचम स्थान पर यह युति होगी। नौकरी में बदलाव के साथ आर्थिक लाभ भी प्राप्त होगा। जमीन से लाभ एवं संतान से सुख प्राप्त होगा।
तुला- चतुर्थ भाव में यह युति होगी। संभलकर रहने का समय है। योजनाएं बिगड़ सकती हैं। विरोधी नुकसान पंहुचाने का प्रयास करेंगे। कीमती सामान की सुरक्षा करें एवं वाहनादि का प्रयोग में सावधानी रखें।
वृश्चिक- तृतीय स्थान पर यह युति होगी। भाइयों से प्रेम बढ़ेगा और सहयोग मिलेगा। विरोधी भी परास्त होंगे। व्यापार में आगे बढऩे के मौके प्राप्त होंगे एवं पराक्रम श्रेष्ठ रहेगा।
धनु- द्वितीय स्थान पर यह युति होगी। स्थाई संपत्ति के लिए यह अत्यंत लाभकारी होगी, साथ ही समस्याओं का स्थाई समाधान प्राप्त होगा। नई जगहों पर जाने का मौका प्राप्त होगा।
मकर- यह अत्यंत सफलता दिलाने वाला होगा। शनि के कारण सम्मान एवं धन की प्राप्ति होगी एवं मंगल के कारण शत्रु परास्त करने में सफलता मिलेगी। गुरु नीच का होने के कारण कुछ दिक्कतें आ सकती हैं।
कुंभ- द्वादश स्थान पर यह युति होगी और व्यय की अधिकता को बढ़ाने वाली होगी। कार्य स्थल पर मन नहीं रहेगा। विचलन ज्यादा होगी। समस्याएं एक के बाद एक आती जाएंगी।
मीन- एकादश स्थान पर इन तीन ग्रहों की युति होगी। पदोन्नती, समस्याओं का निदान और विरोधी परास्त होंगे। मित्रों का सहयोग प्राप्त होगा। धन लाभ में वृद्धि और संपत्ति में वृद्धिकारक होगा।
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