(पवन कुमार). देश में काेराेनावायरस के मरीजाें की संख्या लगातार बढ़ रही है, लेकिन जांच का दायरा नहीं बढ़ रहा है। सरकार ने जांच के जो मानक तय किए हैं, उनके मुताबिक भी शत-प्रतिशत जांच नहीं होरही है। विशेषज्ञों के अनुसार सरकार का अगर यही रवैया रहा, तो आने वाले समय में भीषण नतीजे भुगतने पड़ सकते हैं।21 दिन का लॉकडाउनतभी कारगर होगा, जब कोरोना के संदिग्धों की बड़ी संख्या में जांच की जाएगी।
सर गंगाराम अस्पताल के सेंटर फॉर चेस्ट सर्जरी के चेयरमैन डॉ. अरविंद कुमार सिंह कहते है कि एक पाॅजिटिव मरीज भी लॉकडाउन तोड़ता है तो समाज में बीमारी फैला देगा। सरकार जांच की क्षमता बढ़ाए। उनकी भी जांच करे, जिनके किसी के संपर्क में आने की आशंका है। इटली, स्पेन, फ्रांस और दक्षिण कोरिया में अधिक से अधिक जांच के बाद पाॅजिटिव लोगोंकोअलग किया जा रहा है, ताकि वायरस पर अंकुश लगे।
इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बैलियरी साइंसेज के निदेशक डॉ. एसके सरीन ने भी अधिक से अधिक जांच की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि इस बीमारी के 80% से ज्यादा मरीजों को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं है। लेकिन यदि मरीज को बीमारी का पता नहीं होगा, तो उससे परिवार के दूसरे लोगोंकोभी बीमारी होसकती है। आईएमए के पूर्व अध्यक्ष डॉ. केके अग्रवाल ने कहा कि डब्ल्यूएचओ के अनुसार, जिसके संक्रमित होने की आशंका हो, उसे जांच के बाद आइसोलेट कर दिया जाना चाहिए। लेकिन, भारत के पास इतनी क्षमता नहीं है। ऐसे में ज्यादा जांच करना जरूरी है। जो पाॅजिटिव न मिले, उसे काम पर लगाना चाहिए, ताकि अर्थव्यवस्था कोनुकसान न हाे। अभी भारत सरकार की जोरणनीति है, उसकी निंदा करने के बजाय सख्ती से पालन करना चाहिए।
उधर डैंग लैब के प्रमुख डॉ. नवीन डैंग के अनुसार सरकार की जांच का क्राइटेरिया कुछ दिन पहले तक तो ठीक था, लेकिन अब दायरा बढ़ाना ही होगा। कम जांच से नुकसान ही होगा। अभी तोसरकार के क्राइटेरिया के अनुसार भी शत-प्रतिशत जांच नहीं होरही। निजी लैब के पास किट नहीं हैं। सैंपल लेने वालों की कमी है।
डब्ल्यूएचओ ने क्या कहा है-
कोविड-19 की जांच के संबंध में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का सिर्फ यही कहना है कि ज्यादा से ज्यादा जांच करें। जहां भी लोगों को आशंका हो या उनमें लक्षण दिखें, उनकी जांच की जाए।
भारत में पांच तरह के लोगों कोजांच के दायरे में रखा गया
- वो लोग जो विदेश से आए हों और जिनमें कोरोना के लक्षण दिखाई दें।
- विदेश से आए लोग जिनमें कोरोना केलक्षण थे, उनके संपर्क में आए वो लोग जिनमें लक्षण दिख रहे हों।
- कोरोना मरीज के परिजन जो किसी रूप में उसके संपर्क में आए हों।
- अस्पतालाें में भर्ती वे मरीज, जिन्हें सांस की बीमारी है और उनमें लक्षण दिख रहेहों।
- स्वास्थ्य कर्मी या डॉक्टर जो कोरोना मरीजों या संदिग्धों के इलाज में लगे हों और उनमें भी लक्षण दिख रहे हों। ऐसे लोगों की जांच को सरकार ने मानक बनाया है।
द. कोरिया ने विदेश से लौटे हर व्यक्ति की जांच की
सिर्फ दक्षिणकोरिया ने हर उस व्यक्ति की जांच की, जिसने पिछले दिनों क्रूज शिप में यात्रा की हो याविदेश से लौटा हो। कोरोना पॉजिटिव के संपर्क मेंआने वाले और हैल्थ वर्कर की भी जांच की गई। भारत में ऐसा सिर्फ निजामुद्दीन में होने जा रहा है। जबकि, दुनियाभर में सिर्फ उन लोगों की जांच की जा रही है, जिनमें लक्षण दिखाई दे रहे हैं।
निजी लैब को भी सरकार ने जांच की इजाजत दी
सरकार ने कोरोनावायरस की जांच के लिए मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं की सूची जारी की है। https://ift.tt/2H6SUX3 पर यहलिस्ट उपलब्ध है। कोविड-19 के परीक्षण के लिए सरकार ने निजी अस्पतालों और निजी प्रयोगशालाओं को कुछ शर्तों के साथ जांच की अनुमति दी है। निजी प्रयोगशालाएं जांच के लिए 4,500 रुपए से अधिक शुल्क नहीं वसूल सकतीं। हालांकि सरकार ने निजी लैब से भी जांच सुविधा बिना किसी लागत के उपलब्ध कराने का कहा है।
दुनिया के प्रमुख देशों में टेस्ट का डाटा
देश |
कुल टेस्ट |
टेस्ट प्रति
10 लाख
|
मरीज प्रति
1000 टेस्ट
|
अमेरिका |
10.21 लाख |
3,078 |
159 |
द. कोरिया |
4.10 लाख |
6,931 |
24 |
इटली |
4.77 लाख |
3,657 |
213 |
भारत |
42.7 हजार |
32 |
29 |
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