(पवन कुमार)काेराेनावायरस से लाॅकडाउन के बीच दैनिक भास्कर ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डाॅ. हर्षवर्धन से बातचीत की। उन्हाेंने कहा कि देश में 80% संक्रमण मामूली लक्षण वाले हैं। 15% गंभीर हैं, जिन्हें ऑक्सीजन की जरूरत है। महज 5% नाजुक हैं, जिन्हें वेंटिलेटर लगाना पड़ सकता है। मुख्य अंश....
सवाल-कोविड-19 पर नियंत्रण के प्रयास पर लोगों ने संतोष जताया है। लोग जानना चाहते हैं कि क्या भारत ने प्रोएक्टिव कदम उठाए हैं?
जवाब-हमने पोलियो को न केवल भारत बल्कि समूचे दक्षिण एशिया से समाप्त कर अपनी नीति की उपयोगिता और क्षमता को सिद्ध किया था। इसी तरह चेचक का भी उन्मूलन किया। हमने कोविड-19 का मुकाबला करने के लिए सारी शक्ति लगा दी है। चीन ने 7 जनवरी को कोरोनावायरस के संक्रमण की विश्व को जानकारी दी थी और हमने 8 जनवरी से तैयारियां शुरू कर दी थीं। प्रधानमंत्री ने मंत्री समूह का गठन किया। विदेशों से आने वाले यात्रियों की थर्मल स्क्रीनिंग की गई। जरूरत के मुताबिक उन्हें अस्पताल में आइसोलेशन वार्ड या होम क्वारेंटाइन एवं सरकारी फैसेलिटी में रखा गया। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अंतरराष्ट्रीय मीडिया में भारत के प्रयासों की सराहना की।
सवाल-दिल्ली-पंजाब में संदिग्ध लोगों के हाथ पर मुहर लगाई जा रही है? कई राज्यों में ऐसा नहीं किया जा रहा। ऐसा क्यों?
जवाब-यह राज्य सरकारों पर है। वे वर्तमान स्थिति और होम क्वारेंटाइन के लिए तय यात्रियों के गायब होने की संख्या के मद्देनजर निर्णय लेती हैं। राज्य सरकारें अपने तरीके से इसकी चिंता कर रही हैं।
सवाल-देश में 11 केस में ट्रेवल हिस्ट्री नहीं मिली। यह सामुदायिक संक्रमण नहीं तो क्या है?
जवाब-कुछ मामलों के रिपोर्ट नहीं किए जाने और रोग के घटनाक्रम यानी इतिहास की जानकारी के बिना कोई निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता। समुदाय में जब रोग की दहशत हो और सामाजिक कलंक तथा बहिष्कार का भय हो, तो कोई भी रोग को छिपा सकता है। ऐसा भी होता है कि एक अकेले मामले के आधार पर लोग कह सकते हैं कि मध्य प्रदेश का इंदौर शहर सामुदायिक संक्रमण यानी तीसरे चरण में प्रवेश कर गया है, वे नकारात्मक प्रतिक्रिया भी कर सकते हैं।
सवाल- हर राज्य की अलग-अलग रणनीति क्यों है?
जवाब-यह हर जगह की परिस्थितियों पर निर्भर करता है। भीलवाड़ा में एक अस्पताल में क्लस्टर बना। यह अस्पताल 6 हजार से ज्यादा लोगों को चिकित्सा दे चुका था और डॉक्टर स्टाफ भी संक्रमित पाए गए थे। इसलिए यह जरूरी था।
सवाल- जो लोग विदेश से आए हैं, वे क्वारेंटाइन रहे या नहीं, क्या इसका रिकॉर्ड है?
जवाब-अस्पतालों में भर्ती होने वाले हर व्यक्ति औरसब क्वारेंटाइन (होम या इंस्टीट्यूशनल) का रिकॉर्ड रखा जाता है। सरकारी अधिकारी उन पर देशभर में पैनी नजर रखे हैं।
सवाल- अस्पताल में बिस्तरों की संख्या की कमी को देखते हुए क्या जगह-जगह खड़ी ट्रेनोंको भी अस्पताल बनाया जा सकता है?
जवाब-इस विषय पर विचार किया गया है और उपलब्ध सभी साधनों का भरपूर इस्तेमाल करना सुनिश्चित कर रहे हैं। पर्याप्त बेड केंद्र के सरकारी अस्पताल, दूसरे केंद्रीय मंत्रालयों के अस्पताल, राज्य सरकारों के अस्पताल और निजी क्षेत्र में काफी संख्या में आइसोलेशन बेड तैयार किए गए हैं। आपातकालीन स्थिति के लिए नई प्रगतिशील व्यवस्थाओं के बारे में भी विचार किया जा रहा है। रेलवे का इस्तेमाल भी उनमें से एक है। रेलवे ने एक कोच को आइसोलेशन वार्ड में परिवर्तित कर उसमें चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराई हैं।
सवाल- कोरोना का असर देश में कब तक रहेगा। क्या मरीजों-मृतकों की संख्या का संभावित अनुमान लगाया जा सकता है?
जवाब-हम एकजुट होकर लगातार प्रभावी और धारदार कदम उठा रहे हैं। उभरती स्थानीय और वैश्विक स्थिति को देखते हुए नीति और कार्ययोजना संशोधित भी कर रहे हैं। सरकार की ओर से संसाधनों और राशि की कोई कमी नहीं है। विश्व के संपन्न देशों में इस संक्रमण से हुए नुकसान को देखकर मन दुखी होता है। हम चाहेंगे कि इस संकट का जल्द से जल्द पटाक्षेप हो और किसी भी अन्य रोगी को जान न गंवानी पड़े।
सवाल-कहा जा रहा है कि 5-6 घंटे संक्रमित व्यक्ति के साथ रहने पर ही बीमारी होती है। वरना नहीं। क्या यह बात सही है?
जवाब- नहीं। यह एक ड्रॉपलेट (छोटी बूंद) का संक्रमण है। यह अवधि से संबंधित नहीं है, लेकिन इस तथ्य से संबंधित है कि क्या मैं ड्रॉपलेट या फोमाइट्स के संपर्क में आने के बाद अपने मुंह और नाक को छूता हूं, जहां वे मौजूद हैं। यह हवा से होने वाला संक्रमण नहीं है।
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