Tuesday, February 4, 2020

सिर्फ पत्थर या धातु नहीं, हल्दी की गांठ और आंकड़े की जड़ से भी बनाई जाती है गणेश की मूर्तियां

जीवन मंत्र डेस्क. बुधवार भगवान गणपति की आराधना का दिन है। बुध और बुद्धि के देवता गणपति की पूजा से विद्या, धनादि की प्राप्ति होती है, ऐसा धर्मग्रंथों का मानना है। गणपति को ध्यान का देवता भी माना जाता है। जिन लोगों को ध्यान करना हो, उनके लिए गणपति की उपासना प्रमुख है। इसके पीछे कारण है, हमारे शरीर के सात चक्रों में से पहले मूलाधार चक्र का स्वामी भगवान गणेश को माना गया है। मूलाधार के जागरण के साथ ही मनुष्य के शरीर के चक्रों का जागरण शुरू होता है। ध्यान और पूजा के लिए भगवान गणेश की कई तरह की प्रतिमाओं का उपयोग किया जाता है। सोने, चांदी जैसी धातुओं से लेकर मिट्टी, सफेद आंकड़े की जड़ और हल्दी की गांठ जैसी चीजों से भी गणपति प्रतिमाएं बनाई जाती हैं।

जानिए, कौन सी मूर्ति किस लिए पूजी जाती है...

सोने की मूर्ति - मंदिरों में स्थापना के लिए, घर की तिजोरी में रखने के लिए। इस मूर्ति को धनदायक माना गया है।

चांदी की मूर्ति - घर के मंदिर के लिए। इस तरह की प्रतिमा को आरोग्य देने वाला माना गया है।

तांबे की मूर्ति - मंदिर, घर के मंदिर के लिए। ऐसी प्रतिमाओं को सकारात्मक ऊर्जा देने वाला माना गया है।

कांसे की मूर्ति - घर की सजावट के लिए। इस तरह की प्रतिमा को घर में शुभ योगों का निर्माण और खुशहाली देने वाला गया है।

पंचधातु की मूर्ति - पंचधातु की प्रतिमाओं को मनोकामना पूर्ण करने वाली और हर तरह की समृद्धि देने वाली माना गया है।

पत्थर की मूर्ति - इस तरह की प्रतिमाओं को मंत्र पूजा, जाप आदि के लिए श्रेष्ठ माना गया है। ये मनोकामना पूर्ण करने वाली मानी जाती हैं।

मिट्टी की मूर्ति - इस तरह की प्रतिमाएं मांगलिक कार्यों और व्रत आदि के लिए शुभ मानी जाती है।

लकड़ी की मूर्ति - सफेद आंकड़े की जड़ से बनी गणेश प्रतिमा के लिए मान्यता है कि ये वंशवृद्धि और समृद्धि देने वाली होती है।

हल्दी की गांठ की मूर्ति - इस तरह की मूर्ति ग्रह दोषों को दूर कर, बृहस्पति आदि ग्रहों का शुभ फल दिलाने वाली मानी जाती है।



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Lord Ganesh idols are not just made of stone or metal, but also from the root of turmeric knots and figures.


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