लखनऊ. दिल्ली में निर्भया और हैदराबाद में डॉक्टर को दुष्कर्म के बाद जिंदा जलाने जैसी घटनाओं से सबक लेते हुए प्रदेश सरकार महिला सुरक्षा का नए सिरे से खाका खींचने में जुट गई है। इसी कड़ी में केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी सेफ सिटी योजना सिर्फ लखनऊ तक सीमित नहीं रहेगी। फिलहाल सरकार ने सेफ सिटी लखनऊ योजना के लिए वर्ष 2020-21 के वित्तीय बजट में 97 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। अधिकारियों के मुताबिक लखनऊ के अतिरक्त प्रदेश के उन 17 शहरों को सेफ सिटी की छतरी के नीचे लाया जाने का प्लान है, जहां नगर निगम हैं। प्रोजेक्ट के तहत इन शहरों में महिलाओं की सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए जाएंगे।
निर्भया कांड के बाद केंद्र सरकार ने देश के चुनिंदा बड़े शहरों को सेफ सिटी बनाने का फैसला किया था। दिल्ली, लखनऊ, भोपाल जैसे शहरों में हर स्तर पर सेफ्टी ऑडिट के बाद योजना को परवान चढ़ाया जाने की कावायद शुरू की गई है। चूंकि, महिलाओं के खिलाफ अन्य शहरों में भी हिंसा और उत्पीड़न के मामले जारी हैं। लिहाजा, उप्र में सेफ सिटी की संख्या बढ़ाने का फैसला हुआ है। इस परियोजना का प्रस्ताव तैयार करने का जिम्मा मंडलायुक्तों को दिया है। साथ ही प्रस्तावों पर मंजूरी की मुहर लगवाने के लिए केंद्र सरकार और राज्य में पैरवी भी यही अफसर करेंगे।
सीएम की अध्यक्षता में सेफ सिटी योजना को लेकर हुई थी बैठक
महिला सुरक्षा को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई समीक्षा में सभी नगर निगमों में सेफ सिटी परियोजना लागू करने की योजना पर सहमति बनी थी। इस बार परियोजना का खाका तैयार करने का जिम्मा मंडलायुक्त को दिया गया है, जबकि पहले यह खाका पुलिस विभाग तैयार करता था।
लखनऊ को बाद इन शहरों को भी दायरे में लाया जाएगा
केंद्र सरकार की सेफ सिटी परियोजना में लखनऊ पहले से शामिल है। इसमें केंद्र 40 और राज्य सरकार 60 प्रतिशत रकम खर्च करेगी। केंद्र सरकार ने अपने अंश का 62.89 करोड़ जारी भी कर दिया है। सूत्रों के मुताबिक, अब कानपुर, प्रयागराज, मेरठ, अलीगढ़, बनारस, अयोध्या, मथुरा, शाहजहांपुर, सहारनपुर, गाजियाबाद, फिरोजाबाद, मुरादाबाद, आगरा, गोरखपुर, झांसी, बरेली भी सेफ सिटी बनेंगे।
महिलाओं की सुरक्षा के लिए शुरू किया गया हैसेफ सिटी का प्रोजेक्ट
सेफ सिटी में महिलाओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी महिला पुलिस कर्मियों के ऊपर ही होगी। उनके पास पिंक स्कूटर और एसयूवी वाहन होगा, जिससे वह शोहदों पर नजर रखेंगी। महिलाओं के लिए पिक टॉयलेट भी बनेंगे। ऐसे इलाकों को चिन्हित किया जाएगा, जहां महिलाओं का आवागमन रहता है। उनके लिए खतरा रहता है मगर, रोड लाइट फिर भी नहीं हैं।
अधिकारियों का कहना है कि कहीं पर उसकी रोशनी बहुत कम है। इन सड़कों पर शाम बाद तेज रोशनी के इंतजाम किए जाएंगे। बसों में सीसीटीवी कैमरे और पैनिक बजट भी होंगे। जगह-जगह महिला पुलिस कियास्क बनेंगे, जहां महिला पुलिस कर्मी तैनात होंगी। परियोजना पर निगाह रखने के लिए वूमेन पॉवर लाइन 1090 की क्षमता दोगुनी कर दी जाएगी। महिला कर्मियों को लाने ले जाने के लिए बस और एसयूवी की व्यवस्था की जाएगी।
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