वाराणसी (अमित मुखर्जी). उत्तर प्रदेश में नागरिकता कानून के खिलाफ हुए प्रदर्शन के दौरान गिरफ्तार की गई पर्यावरण एक्टिविस्ट एकता शेखर को 14 दिन बाद जमानत मिल गई। रिहा होते ही एकता महमूरगंज स्थित घर पहुंचकर अपनी 14 माह की बेटी से मिलीं। दैनिक भास्कर से बातचीत में एकता ने 19 दिसंबर से आज तक की पूरी कहानी को बयां किया। पढ़िए उनके ही शब्दों में पूरा घटनाक्रम।
19 दिसंबर का घटनाक्रम
एकता ने कहा- "19 दिसंबर को सुबह 10 बजे हम दोनों (एकता और पति रवि शेखर) घर से निकले थे। उस दिन असफाक उल्ला खान और राम प्रसाद बिस्मिल का शहादत दिवस था। कार्यक्रम बेनियाबाग में होना था। सभा में संविधान और कानून से अगर कोई छेड़छाड़ की गई है, तो उस पर बात होनी थी। रैली और जनसभा से पहले पुलिस ने नाकेबंदी कर रखी थी। हम लोग गलियों से होकर रैली में शामिल हुए। करीब 12 बजे बस से हम सभी को लेकर पुलिस लाइन भेज दिया गया। पुलिस लाइन में बैनर के साथ सभा की गई। रोजगार, दवाओं के दामों पर बात रखी गई। शाम करीब 5.30 से 6 बजे हम लोगों को पता चला कि चालान काटकर जिला कारागार शिफ्ट किया जा रहा है। घर से कई काम लेकर भी हम दोनों निकले थे। बच्ची का दूध और डाइपर लेना था। घर बता दिया कि जेल भेजा जाएगा। हमारे बड़े जेठ जेल के बाहर आ चुके थे। उनको सारी बातें बताकर हम दोनों अंदर चले गए।"
जेल में 14 दिन : पत्नी को मिलने से रोका, पति पर हड़ताल पर बैठे
एकता कहती हैं- "5 दिनों तक घर के भी किसी सदस्य को नहीं मिलने दिया गया। कहा गया कि ऊपर से बहुत प्रेशर है। गेट से परिजन वापस कर दिए गए। 5 दिन बाद परिजन जेल में मुझसे मिल पाए। पति से मिलने के लिए मुझे पता चला कि ब्लड रिलेशन या पति-पत्नी शनिवार को 15 मिनट मिल सकते हैं। शुक्रवार को जेलर को मैंने चिठ्ठी लिखी कि पति से मिलने दिया जाए, जिसे खारिज कर दिया गया। मेरे पति भी उधर भूख हड़ताल पर बैठ गए थे। प्रेशर की वजह से शनिवार को जेलर ने अपने सामने 5 मिनट की मुलाकात कराई। अगले शनिवार को एप्लिकेशन स्वीकर की गई और हम दोनों करीब 25 मिनट आराम से मिले। चंपक के बारे में भी बातें हुईं। 14 दिन में करीब 2 बार जेल में पति से मुलाकात हुई।"
जेल में सबका बिहैव अच्छा रहा, ऊपर से प्रेशर की बात करते थे
एकता ने कहा- "जेल के अधिकारी, बंदीरक्षक हर सवालों का जवाब सहज तरीके से देते थे। उनकी तरफ से बहुत अच्छा बिहैव रहा। बस वो ऊपर से प्रेशर की बात करते थे। जेल में खाने को लेकर दो बार भूख हड़ताल की। उनकी ओर से बहुत कॉपरेट किया गया। मूली के पत्ते की सब्जी खाने में मिली, जिसका विरोध करने पर गोभी की सब्जी और अन्य चीजें खाने को मिली।"
जेठ की मदद से हम बाहर आ पाए
एकता बताती हैं कि "डे वन से हमारे जेठ शशिकांत तिवारी ने वकील से बातचीत की और प्रॉसेस फॉलो किया। वे कोर्ट के बाहर सुबह से शाम तक रहे। जेल में मिलना, सबसे ज्यादा मदद उन्होंने ने ही की, तभी आज हम रिहा हो पाए।"
14 दिन बाद आप बच्ची के पास पहुंची तो क्या अनुभव की?
एकता ने कहा- "एक्टिविस्ट होकर जेल में रहना मेरे लिए गर्व की बात थी। बच्ची से दूर रहना बेहद मुश्किल भरा रहा। एक मां होकर एक एक-एक पल पहाड़ की तरह कट रहा था। मेरी बच्ची मेरे दूध पर निर्भर है। अगर इसे वनवास का नाम दिया गया तो ये एक बेहतर काम के लिए ही था। आज चंपक बेहद खुश है। खेल रही है। मानो सभी खुशियां मिल गईं।माँ से उसकी बच्ची मिली, सभी का आशीर्वाद है।"
पुलिस के साथ धक्का मुक्की और निषेधाज्ञा उल्लंघन के आरोप में कार्रवाई
19 दिसंबर को वाराणसी के बेनियाबाग में नागरिकता संसोधन बिल के विरोध के लिए जनसभा आयोजित हुई थी। बेनिया मार्ग पर सैकड़ों लोगों ने जब प्रदर्शन शुरू किया तो पुलिस ने उन्हें रोकने का प्रयास किया। लेकिन भीड़ ने पुलिस के साथ धक्का-मुक्की की और नारेबाजी कर धारा 144 का उल्लंघन किया। इसी मामले में 56 लोगों की गिरफ्तारी हुई थी। जिसमें बाद में विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लोगों को जेल भेज दिया गया। जिसमें एकता और रवि को भी जेल भेजा गया था। पुलिस इस कार्रवाई को उचित बता रही है।
25 -25 हजार बंध पत्र जमा करने पर रिहाई
एकता को कोर्ट के आदेश पर गुरुवार सुबह जिला कारागार से रिहा कर दिया गया। जमानत में 25 -25 हजार रुपए के बंध पत्र जमा कराए गए हैं। एकता की 14 माह की दुधमुंही बच्ची चंपक की हालत बिगड़ रही थी। कोर्ट ने मर्सी के आधार पर एकता को सुबह जेल से रिहा करने का आदेश दिया था। रवि के कागजात पूर्ण होते ही रिहा कर दिया जाएगा।
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