Thursday, January 2, 2020

मृत्यु किसी भी पल हो सकती है, इसीलिए सभी के साथ प्रेम से रहना चाहिए, किसी का अनादर न करें

जीवन मंत्र डेस्क। क्रोध की वजह से बने बनाए काम बिगड़ जाते हैं, अच्छे-अच्छे रिश्तों में दरार पड़ जाती है। इस बुराई से बचने पर ही जीवन में सुख-शांति बनी रह सकती है। क्रोध कैसे काबू किया जा सकता है, इस संबंध में एक लोक कथा प्रचलित है। इस लोक कथा के अनुसार पुराने समय में एक आश्रम में गुरु अपने कुछ शिष्यों के साथ रहते थे। गुरु बहुत ही शांत स्वभाव वाले थे। अगर कोई उनका अपमान भी कर दे तो वे शांत ही रहते। उनके शिष्यों में एक ऐसा था, जो बहुत गुस्से वाला था। छोटी-छोटी बातों में उसे गुस्सा आ जाता और वह छोटे-बड़े का आदर, मान-सम्मान भूल जाता था और ऐसे बातें बोल देता था, जिससे दूसरों को बहुत दुख होता था।
  • एक दिन क्रोधी शिष्य ने गुरु से कहा कि गुरुदेव मुझे भी आपकी तरह ही शांत स्वभाव वाला व्यक्ति बनना है। कृपया कोई ऐसा उपाय बताएं जिससे मेरा स्वभाव भी शांत हो सके। गुरु ने शिष्य से कहा कि अब कोई लाभ नहीं है, क्योंकि सात दिनों के बाद तुम्हारी मृत्यु होने वाली है। ये बात सुनते ही शिष्य उदास हो गया। उसने सोचा कि अब मेरे पास कुछ ही दिन का जीवन है। ऐसे में मुझे सभी से प्रेम से रहना चाहिए। ये सोचकर उसका स्वभाव एकदम बदल गया। अब वह सभी के साथ प्रेम से रहता।
  • क्रोधी शिष्य का स्वभाव एकदम शांत हो गया था। अगर उससे कभी कोई गलती हो भी जाती तो वह तुरंत ही क्षमा भी मांग लेता था। आश्रम के सभी लोग उसके इस व्यवहार से प्रसन्न थे। जैसे ही सात दिन पूरे हुए वह तुरंत ही गुरु से मिलने पहुंचा।
  • उसने गुरु से अपने किए बुरे कामोंं के लिए क्षमा मांगी और कहा कि गुरुजी आपके कहे अनुसार आज मेरी मृत्यु होनी है। कृपया मुझे मेरी गलतियों के लिए क्षमा करें। गुरु ने उससे कहा कि क्या तुमने इन सात दिनों में किसी पर क्रोध किया, किसी के साथ बुरा व्यवहार किया है? शिष्य ने कहा कि नहीं गुरुदेव मैं तो सभी के साथ प्रेम से रहा और सभी अपनी गलतियों के लिए क्षमा भी मांगी है।
  • शिष्य की ये बातें सुनकर गुरु ने कहा कि यही एक तरीका है अपना स्वभाव बदलने का। जब हम जानते हैं कि किसी भी पल हमारी मृत्यु हो सकती है तो हमें सभी के साथ प्रेम से ही रहना चाहिए। किसी पर क्रोध नहीं करना चाहिए। मेरा स्वभाव इसीलिए शांत है, क्योंकि मैं इस बात का पालन करता हूं। शिष्य समझ गया कि उसका स्वभाव बदलने के लिए गुरु ने उसे मृत्यु का भय दिखाया था। उस दिन के बाद शिष्य पूरी तरह बदल चुका था, वह सभी के साथ प्रेम से रहने लगा।


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