श्री लक्ष्मी पूजन की सरल विधि 10 स्टेप्स में
- अमावस्या पर स्नान के बाद किसी मंदिर जाएं या घर के मंदिर में ही लक्ष्मी पूजन की व्यवस्था करें। पूजा शुरू करने से पहले गणेशजी का पूजन करें। भगवान गणेश को स्नान कराएं। वस्त्र अर्पित करें। गंध, पुष्प, चावल चढ़ाएं।
- गणेशजी के बाद देवी लक्ष्मी की पूजा शुरू करें। माता लक्ष्मी के साथ ही भगवान विष्णु की चांदी, पारद या स्फटिक की प्रतिमा का पूजन कर सकते हैं।
- देवी-देवताओं की मूर्ति अपने पूजा घर में स्थापित करें। भगवान का आवाहन करें। आवाहन यानी लक्ष्मीजी और विष्णु को आमंत्रित करें, अपने घर बुलाएं।
- भगवान को अपने घर में सम्मान सहित स्थान दें। यानी आसन दें। ये भावनात्मक रूप से करना चाहिए।
- लक्ष्मी-विष्णु की प्रतिमाओं को स्नान कराएं। स्नान पहले जल से फिर पंचामृत से और फिर जल से कराना चाहिए। दक्षिणावर्ती शंख में केसर मिश्रित दूध भरें और इससे अभिषेक करें।
- लक्ष्मी-विष्णु को वस्त्र अर्पित करें। वस्त्रों के बाद आभूषण पहनाएं। पुष्पमाला पहनाएं। सुगंधित इत्र अर्पित करें। प्रसाद चढ़ाएं।
- कुमकुम से तिलक करें। अब धूप और दीप जलाएं। गुलाब और कमल के फूल चढ़ाएं।
- बिल्वपत्र और बिल्व फल अर्पित करने से भी महालक्ष्मी की प्रसन्न होती हैं। ये चीजें भी देवी को चढ़ा सकते हैं। चावल अर्पित करें।
- श्रद्धानुसार घी या तेल का दीपक जलाएं। आरती करें।
- आरती के बाद परिक्रमा करें। महालक्ष्मी पूजन में ऊँ महालक्ष्मयै नमः और ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करते रहना चाहिए।
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