
यहां के 26 गांवों को नगर निगम की सीमा में शामिल किए जाने का विरोध तेज होता जा रहा है। पंचायतों के लोग विधायक से लेकर मंत्री तक अपना विरोध दर्ज करा नगर निगम में शामिल न होने का विरोध कर रहे हैं। साथ ही अब वह इसके खिलाफ कोर्ट में भी जाने की तैयारी कर रहे हैं। उनका कहना है नगर निगम जिन ग्राम पंचायतों को अपनी सीमा में लेना चाहता है उनमें से कई गांवों की आमदनी 100-100 करोड़ से अधिक है।
इन ग्राम पंचायतों को अपने विकास के लिए सरकार की ओर नहीं देखना पड़ता है। उनका आरोप है कि नगर निगम यहां की जमीन और पैसों को हड़पना चाहता है ताकि वह कंगाली से उबर सके। ग्रामीण बोले नगर निगम फरीदाबाद को बीहड़ बनाने की साजिश कर रहा है। एक ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गांवों को आत्मनिर्भर बनाने पर जोर दे रहे हैं।
वहीं दूसरी ओर राज्य सरकार नगर निगम के साथ मिलकर संपन्न पंचायतों को लूटना चाहती है। यहां की पंचायतें किसी भी सूरत में नगर निगम में शामिल नहीं होना चाहतीं। इसके खिलाफ यदि कोर्ट जाना पड़ा तो उसका भी दरवाजा खटखटाएंगे। रविवार को ग्रामीणों का एक प्रतिनिधिमंडल परिवहन मंत्री मूलचंद शर्मा से मिला और उन्हें ज्ञापन सौंपकर विरोध जताया।
इसका नेतृत्व सरपंच एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष महिपाल आर्य, युवा मोर्चा के जसवंत पंवार एवं चंदावली के प्रतिनिधि गिरिराज यादव ने किया। प्रतिनिधिमंडल ने सरकार के सामने 13 बिंदुओं को रख नगर निगम में शामिल न होने की बात कही। प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री के सलाहकार अजय गौड़ को भी ज्ञापन सौंपकर इसे मुख्यमंत्री तक पहुंचाने की मांग की। ज्ञापन देने वालों में जाजरू के सरपंच प्र्रेम सिंह, जगदीश, जगबीर सिंह, वेद प्रकाश, देवीराम, नवीन, परमीत आदि शामिल थे।
नगर निगम ने सात विभागों से मांगी है जानकारी
मास्टर प्लान 2031 को सिरे चढ़ाने की कवायद शुरू करने के लिए नगर निगम ने अपने क्षेत्र का दायरा बढ़ाने की तैयारी की है। 26 गांवों को चिह्नित कर अन्य विभागों से गांवों के बारे में रिपोर्ट मांगी है। निगम कमिश्नर ने एसएसवीपी के स्टेट आफिसर, जिला राजस्व अधिकारी, डीडीपीओ, डीएचबीवीएन के सुपरिंटेंडेंट इंजीनियर, डिप्टी टाउन प्लानर, जिला सांख्यिकीय अधिकारी और एचएसआईआईडीसी के स्टेट मैनेजर को पत्र लिख गांव का क्षेत्रफल, आबादी, उपलब्ध जमीन, कोर्ट केस, बिजली कनेक्शन, गांव की आमदनी का जरिया आदि के बारे में रिपोर्ट मांगी है।
इन गांवों को निगम में शामिल करने की है योजना
नगर निगम ने खेड़ी गुजरान, सरूरपुर, समयपुर, नगला जोगियान, करावल, सीकरी, जाजरू, मलेरना, शाहपुरा, चंदावली, मुझेड़ी, मिर्जापुर, नीमका, बड़ौली, भतोला, खेड़ी खुर्द, खेड़ीकलां, बादशाहपुर, टिकावली, तिलपत, प्याला, फरीदपुर, ददसिया, कौराली, रिवाजपुर, बिंदापुर गांव को शामिल करने की योजना बनाई है। इनमें ज्यादातर गांव ग्रेटर फरीदाबाद, बाइपास रोड और नेशनल हाइवे से लगते हैं।
इन गांवों की आमदनी 100 करोड़ से अधिक है: सरपंच एसोसिएशन के प्रधान महिपाल आर्य का कहना है कि मुझेड़ी, नीमका, चंदावली, मछगर, साहूपुरा, प्याला, सीकरी, खेड़ी गुजरान, मिर्जापुर, भतौला आदि ग्राम पंचायतों की आमदनी 100 करोड़ से अधिक है। ये गांव फरीदाबाद केसबसे संपन्न गांव माने जाते हैं। इनका कहना है कि अभी एचएसवीपी से इन गांवों को और पैसे मिलने हैं। इन गांवों के विकास के लिए सरकार अथवा किसी अन्य सरकारी विभाग का मुंह नहीं देखना पड़ता है। बल्कि सामाजिक कार्यों के लिए ये ग्राम पंचायतें सरकार को पैसे देती हैं। कोरोना संकट में चंदावली गांव की पंचायत ने एक करोड़ रुपए मुख्यमंत्री राहतकोष में दिया है।
पीएम के विजन को पलीता लगाना चाहता है निगम: उक्त लोगों ने कहा कि पीएम गांवों को आत्मनिर्भर बनाने पर जोर दे रहे हैं लेकिन यहां राज्य सरकार और नगर निगम मिलकर उनके विजन को पलीता लगाना चाहता है। उनका कहना है कि जब गांव ही नहीं बचेंगे तो वह आत्मनिर्भर कैसे होंगे। निगम की सीमा में अभी तक जो गांव शामिल हैं उनके हालात बद से बदतर हैं।
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