
अयोध्या के श्रीराम जन्मभूमि पर गरजती जेसीबी मशीनें मंदिर निर्माण के लिए जमीन तैयार कर रही हैं। 11 मई से चल रहे समतलीकरण के काम में एक दर्जन से अधिक पाषाण स्तंभ पर बनी मूर्तियाें के अलावा बड़ी संख्या में देवी-देवताओं की खंडित मूर्तियां, नक्काशीदार शिवलिंग और चौखट आदि मिले हैं। जिस स्थान पर ढांचे के तीन गुंबद थे, उनमें से एक के नीचे कुआं भी मिला है।
इसके अलावा कई स्थानों से चांदी के छत्र, सिंहासन और रामदरबार से जुड़े कई महत्वपूर्ण अवशेष मिले हैं, जिसकी जानकारी रामजन्मभूमि ट्रस्ट आने वाले दिनों में देगा। पुरातत्वविद केके मोहम्मद इन अवशेषों को 8वीं शताब्दी का बता रहे हैं।
कोरोना प्रकोप के बाद मंदिर निर्माण के लिए भूमि और नींव पूजन
श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के ट्रस्टी विमलेंद्र मोहन मिश्र ने कहा कि कोरोना का प्रकोप कम होने के बाद मंदिर निर्माण के लिए भूमि और नींव पूजन एक साथ होगा। श्रीरामजन्म भूमि को दर्शाने वाले उस पिलर को समतलीकरण में भी जस का तस रखा गया है, जो अंग्रेजों के जमाने मेें लगाया गया था। पीपल और बरगद के वृक्षों से घिरे श्रीरामजन्मभूमि गर्भगृह टीले को भी समतल कर दिया गया है।
1989 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने गर्भगृह से कुछ ही दूरी पर मंदिर निर्माण के लिए शिलान्यास किया था, उस हिस्से को भी समतल किया जाएगा। 2.77 एकड़ भूमि का पश्चिमी हिस्सा बेहद गहराई में और पूर्वी हिस्सा जहां गर्भगृह मौजूद है, टीलेनुमा ऊंचाई वाला था। इन दोनों हिस्से को समतल किया जा रहा है। यहीं श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण होना है।
यहां करीब 40 फिट की नींव खोदी जाएगी। बाकी 67.7 एकड़ में तीर्थयात्रियों के लिए सुविधाएं, प्रसादालय आदि बनना है। रामघाट पर मौजूद राममंदिर निर्माण कार्यशाला अगले कुछ दिनों में परिसर में स्थानांतरित की जाएगी। भारी पत्थरों को लाने के लिए सड़क भी कुछ दिनों में बन जाएगी। ट्रस्ट के सदस्य डाॅ. अनिल मिश्र ने कहा कि संभव है कि नींव खुदाई में भी और अवशेष मिले।

समतलीकरण का काम वैज्ञानिक तरीके से किया जाए
पुरातत्वविद केके मोहम्मद का कहना है कि वे पहले भी कह चुके हैं कि राम जन्मभूमि परिसर में स्वर्णिम अतीत दफन है। इसलिए समतलीकरण का काम भी वैज्ञानिक तरीके से करना होगा। ट्रस्ट को निर्माण के दौरान पुरातात्विक धरोहरों को संरक्षित करने के साथ अतीत के संकेतों को ध्यान में भी रखकर निर्माण की दिशा तय करनी होगी। समतलीकरण में मिली प्रतिमाएं और स्तंभों की तस्वीर देखने के बाद मैं यह कह सकता हूं कि यह 8वीं शताब्दी की हैं।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2LQ7FiI
0 comments: