एक तरफ राज्य सरकार जहां प्रवासी लोगों को अपने घर पहुंचाने का काम कर रही है। वहीं दूसरी तरफ राजस्थान के जिले की सीमाओं पर लगे पुलिस नाके पर अपने घर जा रहे प्रवासी लोगों को बेवजह रोककर उन्हें परेशान करने का काम कर रहे हैं। ये राज्य सरकार के नियमों की अवहेलना कर रहे हैं।
पंजाब के तरनतारन जिले के कोटवाड़ा गांव निवासी जगरूप सिंह ने बताया कि वह गत दो-तीन माह से राजस्थान के बाड़मेर जिले में फसल कटाई के लिए गया हुआ था। लॉकडाउन के कारण वही फंस गया। काफी प्रयास के बाद वहां से घर वापसी के लिए शिव तहसील के तहसीलदार द्वारा घर वापसी के आदेश दिए और बस के लिए परमिशन भी दी।
वहां से बुधवार को रवाना हुए और गुरुवार सुबह जब अर्जुनसर पहुंचे तो जिले की सीमा पर श्रीगंगानगर जिले के राजियासर पुलिस ने यह कहकर रोक दिया कि आपको आगे नहीं जाने दिया जाएगा। हमारे पूछने पर उन्होंने यह कहकर यह रोक दिया कि पंजाब की सीमा पूरी तरह से सील की जा चुकी है। वहां किसी का प्रवेश नहीं होने दिया जा रहा है। इसलिए आपको वहां घुसने नहीं दिया जाएगा और आपको हमें श्रीगंगानगर में ही रखना पड़ेगा जो कि अब संभव नहीं है।
सूरतगढ़ उपखंड अधिकारी मनोज मीणा से बात करने पर उन्होंने यह कहकर टाल दिया कि आप राजियासर थाना अधिकारी से बात करें। राजियासर थाना अधिकारी सुरेश कुमार ने बताया कि पूर्व में पंजाब जाने वाली बसों को छूट दी गई थी। मगर पंजाब में उन्हें घुसने नहीं दिया गया और उन्हें श्रीगंगानगर में ही रखना पड़ा। चूंकि अब जिला प्रशासन से यह निर्देश आए हैं कि ऐसी बसों को जिले में भी प्रवेश नहीं दिया जाए इसी आधार पर इस बस को रोका गया है। बस में सवारी जगरूप सिंह ने बताया कि बस में कुल 33 सवारी है जिसमें 18 महिलाएं व 15 पुरुष और एक-दो बच्चे भी है।
सुबह बाड़मेर से 65000 रुपए में बस किराए पर करके लाए थे जिसका समय भी समाप्त होने वाला है। घर भी नहीं पहुंच पाएंगे और किराया भी बहुतलग जाएगा।
सूरतगढ़ एसडीएम आए मगर जाने नहीं दिया, अर्जुनसर में रुके हैं सभी मजदूर
मामला की जानकारी मिलने पर गुरुवार दोपहर बाद सूरतगढ़ एसडीएम मनोज मीणा, तहसीलदार रामस्वरूप मीणा व राजियासर एसएचओ सुरेश सियाग मौके पर पहुंचे। उन्होंने वहां जानकारी ली मगर किसी को भी अपने जिले से आगे जाने की अनुमति नहीं दी। कुछ देर रुकने के बाद अपने जिले के जवानों को उन्हें वहीं रोकने के आदेश देकर चले गए। सूचना मिलने पर कस्बे के युवा वहां पहुंचे। उन्होंने उन सभी श्रमिकों की मदद की। उनके खाने-पीने की व्यवस्था की।
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