
लखनऊ. नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में हुई हिंसा के आरोपियों की वसूली वाले पोस्टर-बैनर को लेकर राजनीति शुरू हो गई है। गुरुवार रात समाजवादी पार्टी के नेता आईपी सिंह ने दुष्कर्म मामले में दोषी भाजपा के पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर व आरोपी पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री चिन्मयानंद की फोटो वाले बैनर लगवाए हैं। ये बैनर योगी सरकार द्वारा लगवाए गए वसूली वाले बैनर-पोस्टर के बगल लगे हैं। हालांकि, पुलिस ने शक्रवार सुबह तक सभी बैनर पोस्टरों को हटा दिया है।
सपा नेता ने टि्वट कर लिखा- सावधान रहें बेटियां
##57 लोगों पोस्टर-बैनर लगाए गए
19 दिसंबर, 2019 को जुमे की नमाज के बाद लखनऊ के चार थाना क्षेत्र ठाकुरगंज, हजरतगंज, कैसरबाग और हसनगंज में हिंसा हुई थी। प्रशासन ने नुकसान की भरपाई के लिए फोटो-वीडियो के आधार पर 150 से ज्यादा लोगों को नोटिस भेजे। जांच के बाद प्रशासन ने 57 लोगों को सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का दोषी माना और उनके फोटो, नाम व पते युक्त बैनर, पोस्टर सार्वजनिक जगहों पर लगाए। 88 लाख 62 हजार 537 रुपए के नुकसान की भरपाई कराने की बात कही गई। लखनऊ के डीएम अभिषेक प्रकाश ने कहा था- अगर तय वक्त पर इन लोगों ने जुर्माना नहीं भरा, तो इनकी संपत्ति कुर्क की जाएगी।
हाईकोर्ट ने 16 मार्च तक बैनर-पोस्टर हटाने का निर्देश दिया
इस मामले का हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया। हाईकोर्ट ने सीएए हिंसा के आरोपियों के बैनर-पोस्टर 16 मार्च से पहले हटाए जाने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट ने कहा कि आरोपियों के पोस्टर लगाना उनकी निजता में सरकार का गैरजरूरी दखल है। चीफ जस्टिस गोविंद माथुर और जस्टिस रमेश सिन्हा की बेंच ने कहा था कि यूपी सरकार हमें यह बता पाने में नाकाम रही कि चंद आरोपियों के पोस्टर ही क्यों लगाए गए, जबकि यूपी में लाखों लोग गंभीर आरोपों का सामना कर रहे हैं। बेंच ने कहा कि चुनिंदा लोगों की जानकारी बैनर में देना यह दिखाता है कि प्रशासन ने सत्ता का गलत इस्तेमाल किया है।
योगी सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में दी चुनौती
सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। गुरुवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पोस्टर के हटाने के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की वेकेशन बेंच में इस मामले में सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट नेयोगी सरकार से पूछा कि किस कानून के तहतआरोपियों के होर्डिंग्स लगाए गए। अब तक ऐसा कोई प्रावधान नहीं, जो इसकी इजाजत देता हो। इस मामले में अगले हफ्ते नई बेंच सुनवाई करेगी।
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