
रंग और मिठाइयां ही हैं मेरी होली के मायने- उर्वशी रौतेला, एक्ट्रेस
मैं नॉर्थ में ही पैदा हुई और पली-बढ़ी और वहां तो होली को बढ़े ही धूम-धाम से सेलिब्रेट करते हैं। मेरे लिए ये त्योहार का पर्याय रंग और मिठाइयां ही बन गई हैं। सभी लोग भेद भाव भुलाकर एक साथ आते और उधर मैं मिठाइयों के नजदीक आती। ऐसे ही हम होली सेलिब्रेट करते थे।
डबल डेकर बस के ऊपर वाले माले तक हम रंग फेंकते थे-अरशद वारसी
बचपन में हमारा घर जुहू में था। घर के पहले माले के सामने सड़क थी। वहां से डबल डेकर बस गुजरती थी। होली वाले दिन बस जब गुजरा करती तो मैं और दो दोस्त मिलकर बड़े बड़े गुब्बारों में रंग भरकर फेंकते थे। वो पानी इतना ज्यादा होता था कि डबल डेकर के पहले माले से निकल सीढ़ियों से होता हुआ उनके ग्राउंड फ्लोर वाली सीटों के नीचे बहा करता था। इंडस्ट्री में बच्चन साहब के यहां बड़ा मजा आया करता था। बाकी मैं कहीं गया नहीं। सारे दोस्त यार मेरे यहां ही आ जाया करते हैं। कबीर खान की पार्टी है न, वहां मिनी माथुर बहुत अच्छा अरेंज करती हैं।
मेरा किसी से कोई गिला-शिकवा ही नहीं, तो होली पर दूर क्या करूंगा- जैकी श्रॉफ, एक्टर
मेरा कभी किसी से कोई गिला-शिकवा ही नहीं रहा है, तो उसे होली पर दूर करने की बात ही नहीं आती। हां, होली पर झाड़ की फांदी काट-काट कर होलिका दहन में लकड़ियां जलाई जाती हैं। होलिका दहन का एक रिवाज है। उसे पूरा करते हैं, लेकिन जितनी फांदी काटते हैं, उतने पेड़ लगाए भी जाने चाहिए। इस रिवाज में मैं भी फांदी काटता हूं। लेकिन उसके साथ में एक झाड़ भी लगाता हूं। ऐसा मैं आज से नहीं, कई सालों से करते आ रहा हूं। स्कूल के दिनों में होली के समय शर्ट कलर करा कर आता था। एक-दूसरे को गुलाल लगाते थे। लेकिन उस समय के जैसे कलर और गुलाल अब नहीं रहे। अब गुलाल और कलर में मिलावट होने लगी है, इसलिए बच्चों से कहूंगा कि होली के दिन आंखों को संभालें। मोटरसाइकिल-स्कूटर से जाते लोगों को बिल्डिंग से फुग्गे भी मारे जाते हैं।
इतनी मस्ती की कि पानी पीना भी भूल गए- एली अबराम, डांसर-एक्ट्रेस
‘आखिरी बार मैंने दो साल पहले होली खेली थी जब मेरी मां इंडिया विजिट पर आई थी। चूंकि ये मेरा फेवरेट फेस्टिवल है तो वो हमेशा से ही मेरे साथ होली खेलना चाहती थीं। उस दिन हम दोनों पूरे दिन भर बाहर रहे और हमने इतनी मस्ती की कि हम पानी पीना तक भूल गए। जब मस्ती खत्म हुई और हम घर पहुंचे तो मुझे सन स्ट्रोक हो गया और मुझे तीन दिनों तक बेड रेस्ट करना पड़ा। तब से मैं होली खेलने से बहुत डरती हूं।’
हॉस्टल में प्रोफेसरों से आशीर्वाद- नीतेश तिवारी, डायरेक्टर
सबसे यादगार होली तो हॉस्टल डेज की रही है। आईआईटी में चार साल यह त्योहार सेलिब्रेट किया। इस दिन हम सब अपने प्रोफेसरों के यहां जाते थे। उनके चरण स्पर्श करते, उनसे अच्छे संस्कार के आशीर्वाद लेते थे। उनकी तरफ से भी हार्दिक शुभकामनाएं मिलती थीं। हॉस्टल में वैसे तो रैगिंग हुआ करती थी। पर होली पर हुड़दंग जैसी चीज मुझे कम ही देखने को मिली।
हर होली पर भांग का सुरूर चढ़ता था- आहना कुमरा
होलियों पर वह रंगने वाली मस्ती तो सभी करते हैं पर मैंने तो जमकर भांग पी है। खासकर कॉलेज के दिनों में तो इतनी भांग पी लेती थी कि फिर तो अगले ही दिन उठा करते थे। वे दिन अब बहुत याद आते हैं।
होली पर लोगों को माफ करना सीखा- दिव्या खोसला कुमार, एक्ट्रेस व प्रोड्यूसर
‘जब मैं छोटी थी तो मेरी एक दोस्त के साथ लड़ाई हो गई। मैं चीजों को जल्दी ही दिल पर ले लेती हूं। मैं उससे बात भी नहीं करना चाहती थी पर वो होली वाले दिन मेरे घर आई और उसने मुझे होली खेलने के लिए फोर्स किया। उस दिन मुझे एहसास हुआ कि मुझे छोटी मोटी बातों को भूलना सीखना चाहिए, क्योंकि अंत में गुस्सा नहीं प्यार जरूरी है। फिर क्या मैंने उसे माफ किया और फिर उसके साथ जमकर मस्ती की।
चंदन का तिलक लगाना ही काफी- हनी सिंह, पॉप सिंगर
बचपन में ग्रीस लगाकर बहुत होली खेली है। अंडे फेंककर भी होलियां खेली हैं। बहुत सारे लोगों को रगड़ा है। अब मगर अब ऐसा नहीं है। हम सेलिब्रेटी हैं तो हमें सही मापदंड कायम करने हैं। थोड़ा शक्ल का ख्याल रखना है, तो सूखी होली खेलनी चाहिए। चंदन का तिलक लगाना ही काफी है। दीवाली, होली ये दो त्योहार ऐसे हैं, जिन्हें हिंदुस्तान में हर मजहब में सेलिब्रेट करते हैं।
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