
प्रयागराज. नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में हुई हिंसा के आरोपियों के बैनर-पोस्टर लगाने के मामले में योगी सरकार आज इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपना जवाब दाखिल करेगी। बीते 8 मार्च को हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस गोविंद माथुर ने मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए सुनवाई की थी। साथ ही बैनर व पोस्टर लगाने को निजता का उलंघन माना था। प्रदेश सरकार को 16 मार्च को अनुपालन रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया था।
हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल के समक्ष लखनऊ के डीएम रिपोर्ट दाखिल करेंगे। हालांकि, सरकार ने अभी तक वसूली वाले बैनर-पोस्टर हटाए नहीं है। माना जा रहा है कि, सरकार हाईकोर्ट में हलफनामा दाखिल कर सुप्रीम कोर्ट में चल रही एसएलपी (विशेष अनुमति याचिका) का हवाला दे सकती है। बैनर व पोस्टर हटाने के लिए और वक्त मांगा जाएगा।
हाईकोर्ट ने की थी ये टिप्पणी
बीते आठ मार्च को इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस गोविंद माथुर और जस्टिस रमेश सिन्हा की बेंच ने कहा था कि यूपी सरकार हमें यह बता पाने में नाकाम रही कि चंद आरोपियों के पोस्टर ही क्यों लगाए गए, जबकि यूपी में लाखों लोग गंभीर आरोपों का सामना कर रहे हैं। बेंच ने कहा कि चुनिंदा लोगों की जानकारी बैनर में देना यह दिखाता है कि प्रशासन ने सत्ता का गलत इस्तेमाल किया है। हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को आदेश दिया था कि सीएए हिंसा के आरोपियों के बैनर-पोस्टर 16 मार्च से पहले हटाए जाएं।
सुप्रीम कोर्ट ने फैसले पर रोक लगाने से इंकार किया था
हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए योगी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। सुप्रीम कोर्ट ने हिंसा के आरोपियों के पोस्टर के हटाने के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। 12 मार्च को जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की वेकेशन बेंच में इस मामले में सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट ने योगी सरकार से पूछा कि किस कानून के तहत आरोपियों के होर्डिंग्स लगाए गए। अब तक ऐसा कोई प्रावधान नहीं, जो इसकी इजाजत देता हो।
यूपी सरकार ने 57 लोगों को 88 लाख की रिकवरी का नोटिस भेजा था
19 दिसंबर, 2019 को जुमे की नमाज के बाद लखनऊ के चार थाना क्षेत्रों में हिंसा फैली थी। ठाकुरगंज, हजरतगंज, कैसरबाग और हसनगंज में तोड़फोड़ करने वालों ने कई गाड़ियां भी जला दी थीं। राज्य सरकार ने नुकसान की भरपाई प्रदर्शनकारियों से कराने की बात कही थी। इसके बाद पुलिस ने फोटो-वीडियो के आधार पर 150 से ज्यादा लोगों को नोटिस भेजे। जांच के बाद प्रशासन ने 57 लोगों को सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का दोषी माना। उनसे 88 लाख 62 हजार 537 रुपए के नुकसान की भरपाई कराने की बात कही गई। लखनऊ के डीएम अभिषेक प्रकाश ने कहा था- अगर तय वक्त पर इन लोगों ने जुर्माना नहीं भरा, तो इनकी संपत्ति कुर्क की जाएगी।
होर्डिंग में शामिल लोग बोले- मॉब लिंचिंग का खतरा
जिन लोगों की तस्वीरें होर्डिंग में लगाई गई हैं उनमें पूर्व आईपीएस एसआर दारापुरी, एक्टिविस्ट सदफ जफर और दीपक कबीर भी शामिल हैं। कबीर ने कहा- सरकार डर का माहौल बना रही है। होर्डिंग में शामिल लोगों की कहीं भी मॉब लिंचिंग हो सकती है। दिल्ली हिंसा के बाद माहौल सुरक्षित नहीं रह गया है। सरकार सबको खतरे में डालने का काम कर रही है।
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