
बस्ती(उत्तर प्रदेश). उत्तर प्रदेश के बस्तीजिलेसे 20 किमी दूर जगन्नाथपुर गांव है। साल 2012 के बाद यह गांव उस समय चर्चा में आया जब इस गांव केपवन गुप्ता ने दिल्ली में निर्भया के साथ ज्यादती की। पवन के जीवन के आखिरी रात से पहले इस गांव में सन्नाटा छाया रहा। अल सुबह जब भास्कर इस गांव में दोबारा पहुंचा तो गांव के लोग टीवी देखते नजर आए। कुछ लोग अपने मोबाइल पर फांसी की लाइव कवरेज देख रहे थे।
बस्ती से 20 किमी दूर है गांव
रास्ते में मनोरमा नदी है,जिस पर पुल बन रहा है। यहां से गांव तक डेढ़ किमी पैदल चलना पड़ता है। गांव में करीब 2200 मतदाता हैं। ज्यादातर लोग निषाद व मल्लाह बिरादरी से हैं। अन्य जातियों से भी तालुक रखने वालों का भी गांव में घर है। गांव में दाखिल होने पर एक गली मिलती है, जिसके मोड़ पर छोटी सी दुकान है। जहां कैमरा देखते ही बच्चे, बुजुर्ग, महिलाएं व युवकों की भीड़ लग गई। पवन को भले ही फांसी हो गई हो, लेकिन आज भी उसके संगी साथी उसे निर्दोष मानते हैं। पवन के वकील रहे एपी सिंह का नाम तो हर किसी जुबान पर है। सबने एक स्वर में वकील के प्रयासों की सराहना की। फांसी का मामला खासकर युवतियों व महिलाओं में चर्चा का विषय बना हुआ है।
15 साल पहले दिल्ली जाकर बस गया था परिवार
पवन का परिवार 15 साल पहले अपना घर बेचकर दिल्ली चला गया था। परिवार में माता-पिता, छोटा भाई व दो बहनें हैं। निर्भया कांड के बाद पवन की एक बहन की मौत हो गई थी। पवन के पिता निर्भया कांड से पहले गांव आते रहते थे। उन्होंने महादेवा चौराहे के पास घर बनवाना शुरू किया था। लेकिन, निर्भया कांड के बाद निर्माण ठप हो गया। इसके बाद वे दोबारा लौटकर नहीं आए। गांव में अब पटीदार रहते हैं। पवन के गांव के राम जनम व पड़ोसी उमेश ने कहा- पवन ने कक्षा छह तक लालगंज में द्वारिका प्रसाद चौधरी इंटर कॉलेज में पढ़ाई की थी। वह क्रिकेट खेलने का शौकीन था।
एपी सिंह एक अच्छे वकील, उन्होंने बचाने का पूरा प्रयास किया
गांव के तमाम युवक मोबाइल पर फांसी से जुड़ी जानकारियों को देखते नजर आए। उनसे बातचीत शुरु हुई तो सभी ने एक स्वर ने फांसी की सजा को गलत ठहराया है। कहा- कोर्ट को फांसी की सजा नहीं देना चाहिए था। क्या इसके बाद दुष्कर्म रुक जाएंगे? हम उस बेटी का भी दर्द समझते हैं, लेकिन फांसी नहीं होनी चाहिए थी। वह हमारे गांव का लड़का था। वकील एपी सिंह ने एक अच्छे वकील हैं, जो उन्होंने अब तक बचाए रखा। इसके पीछे कोई चमत्कार भी था।गांव वाले इस आस में भी है कि शायद सुबह कोई चमत्कार हो जाये और फांसी रुक जाए।
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