
मुंबई (अमित कर्ण) .'मर्दानी 2' एक्ट्रेस रानी मुखर्जी अपना 42वां जन्मदिन मना रही हैं। हाल ही में हुई खास बातचीत में उन्होंने अपने जन्मदिन और बचपन से जुड़ी कुछ खास बातों को शेयर किया है।
बर्थ डे से जुड़ी इनिशियल यादें क्या रही हैं?
'बचपन से लेकर कॉलेज एज तक हमेशा मेरे बर्थडे के दौरान एग्जाम्स होते रहे हैं। बर्थडे को सेलिब्रेट करने का मौका नहीं होता था, क्योंकि एग्जाम होते थे। पोस्ट एग्जाम भी सेलिब्रेशन नहीं हो पाता था, क्योंकि सारे बच्चे तो एग्जाम के बाद निकल जाया करते थे। बचपन से ही काफी दुख रहा है किमेरे बर्थडे के दौरान ही एग्जाम क्यों रहते रहे हैं'।
एग्जाम से पीछा छूटने के बाद फिर किस तरह से बर्थडे सेलिब्रेशन का मामला रहा करता था?
'उस दौरान तो फिर मैं काम में ही लग गई फिर तो फिल्मों के सेट पर ही सेलिब्रेशन होते थे। ज्यादातर मॉम डैड के साथ बर्थडे सेलिब्रेट करती थी। फिल्म पहेली के दौरान बर्थडे सेलिब्रेशन हुआ था। मुझे याद है फिल्म सिटी में सेट लगा हुआ था। सब लोगों ने केक कटिंग के साथ मेरा बर्थडे मनाया था'।
फैमिली के साथ जब टाइम स्पेंड कर रही होती हैं तो क्या विशेज मिलते रहते हैं? कौन सबसे पहले बर्थडे विश करता है?
'दरअसल मुझे खुद से ज्यादा दूसरों के बर्थडे सेलिब्रेट करने अच्छे लगते हैं। बचपन मनाया बर्थडे याद करूं तो वह केक याद आता है। समोसे याद आते हैं। स्कूल में कैसे हम वह इक्लेयर्स के चॉकलेट बांटा करते थे'।
कोई ऐसा सरप्राइज या स्पेशल बर्थडे सेलिब्रेशन रहा हो?
'अभी तो खैर मेरी बच्ची को काफी एक्साईटमेंट रहती है कि मम्मी का बर्थडे कब आने वाला है? वह मेरे लिए कार्ड बनाती है तो वो ही स्पेशल बर्थडे सेलिब्रेशन होता है मेरे लिए'।
इतने सालों में फैमिली से या फिर इंडस्ट्री वाली फैमिली से क्या-क्या सीखने को मिलता रहा है?
'मम्मी से यह सीखा है कि ज्यादा बातों को दिल पर नहीं लेना चाहिए। और मेरे डैडी काफी पंक्चुअल और सिंसेयर हुआ करते थे। मैंने भी यह डैडी से सीखा है।मैं काम को लेकर पंक्चुएलिटी में कभी कोई कमी नहीं रखती।मेरे चलते मेरी टीम है पंक्चुअल रहती है। यह चीज मुझे अच्छी लगती है। डैडी के साथ बचपन में एक फिल्म की थी जो मुझे हमेशा याद रहेगी।हर किसी को बहुत अच्छा लगता है कि उनके आसपास माता पिता का साया हो। उनके ना होने से एक वैक्यूम तो क्रिएट हो ही गया है। वह भरना भी काफी मुश्किल होगा। मेरे साथ रहेगा यह वैक्यूम जिंदगी भर'।
उनके न होने को लेकर किन मौकों पर सबसे ज्यादा इमोशनल हो जाती हैं?
'यही जब हर बार बर्थडे आता है तब। वही मुझे याद आता है कि सबसे पहले मेरे डैड मुझे विश किया करते थे। वह चीज तो अलग हो ही गई है मेरे लास्ट बर्थडे से। वह तो मुझे हमेशा खलेगा ही'।
आगे आने वाले बर्थडे के मौकों पर क्या करते रहना चाहती हैं आप?
'फिल्मों की मैं लगातार हिस्सा बनती रहूंगी, जिनमें कहने को काफी कुछ है। जो मैं पहले भी करती रही हूँ, जैसे ‘राजा की आएगी बारात’ रेप के ऊपर थी। ‘मेहंदी’ डाउरी पर थी। ‘बाबुल’ वीडो मैरेज पर थी। ‘हिचकी’, ‘ब्लैक’, ‘मर्दानी’ भी मुद्दा प्रधान फिल्में थी। ऐसी फिल्मों के गीत कभी-कभार ऐसी कहानी आ जाती है, जिनका लोगों तक पहुंचाना बहुत जरूरी हो जाता है। एक किरदार मन को छू जाता है'।
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