Tuesday, March 3, 2020

नागरिकता खोने के खौफ में 60 साल बाद गांव लौटा बुजुर्ग, बचपन के दोस्तों ने पहचाना तो किया गर्मजोशी से स्वागत

संतकबीरनगर. नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) लागू होने के बाद लोगों में राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) का डर सता रहा है। इसकी बानगी उत्तर प्रदेश के संतकबीरनगर जिले में देखने को मिली। यहां के रहने वाले 69 साल के शमीम बेग 60 साल पहले अपने परिवार के साथ गोरखपुर जाकर बस गए। लेकिन अब उन्हें नागरिकता खोने का डर सताने लगा है। सोमवार को शमीम बेग अपने पैतृक हरिहरपुर पहुंचे। जिस जगह को शमीम बेग छोड़कर चले गए थे, वह अब बिल्कुल बदल चुका है। उनकी हमउम्र के लोगों ने देखा तो वे शमीम को पहचान गए। शमीम को गले लगाकर उनका स्वागत किया गया।

संतकबीरनगर जिले के हरिहरपुर नगर पंचायत के रहने वाले शमीम बेग की उम्र महज 9 साल की थी तो उनका पूरा परिवार बिजनेस के सिलसिले में 60 साल पहले अपनी जायदाद छोड़कर गोरखपुर चले गए था। तभी से वहीं पर बस गए। लेकिन 60 साल के बाद जब उनकी आंखें बूढ़ी हो गई तो अचानक एनआरसी का खौफ उनको इस कदर सताने लगा कि वे सोमवार को हरिहरपुर पहुंचे। आज की पीढ़ी तो उनका नाम तक भुला चुकी थी। लेकिन जब उन्होंने अपनी उम्र के लोगों को अपने बारें में बताया तो लोग खुश हो उठे। बचपन के दोस्तों ने बड़े ही गर्मजोशी से शमीम का स्वागत किया।

शमीम बेग बड़ी उत्सुकता से अपने गांव हरिहरपुर को देख रहे थे। कहा कि, कभी ये वीरान हुआ करता था और आज यहां सबकुछ बदल गया है। इतना ही नही शमीम बेग कृषक पाल इंटर कॉलेज को निहार रहे थे। जिसमें उन्होंने एक साल पढ़ाई की थी। लेकिन स्कूल तो वही था, बस उसका नाम बदल गया है।

गांव वालों से मुलाकात के बाद शमीम बेग हरिहरपुर नगर पंचायतके चेयरमैन प्रतिनिधि पप्पू शाही के पास पहुंचे और उन्होंने अपने दादा के नाम के कागजात दिखाकर बताया कि, वे हरिहरपुर के निवासी हैं और एनआरसी/सीएएए को लेकर अपने पुरखों के नाम पर जमीन प्रमाण के कागजात के लिए आए हैं। पप्पू साही ने बताया कि शमीम बेग के परिवार का नाम नगर पंचायत में दर्ज है और इनको नगर पंचायत से जो भी कागजात की जरूरत पड़ेगी उनको मुहैया कराया जाएगा।



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गांव वालों ने शमीम (चश्मा लगाए हुए) का स्वागत किया।


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