
जीवन मंत्र डेस्क. होलिका दहन यानी फाल्गुन माह की पूार्णिमा के अगले ही दिन से चैत्र महीना शुरू हो जाता है। इस बार 10 मार्च से ये महीना शुरू हो गया है। फाल्गुन साल का आखिरी महीना और चैत्र पहला महीना है। ये दोनों महीने वसंत ऋतु में ही आते हैं। काशी के ज्योतिषाचार्य पं. गणेश मिश्रा के अनुसार चैत्र महीने में महत्वपूर्ण तीज और त्योहार आते हैं। हालांकि इस महीने में खरमास होने से विवाह और अन्य मांगलिक कार्य नहीं किए जा सकेंगे।
चैत्र कृष्ण पक्ष के त्यौहार (10 से 24 मार्चतक)
चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी को शीतला माता की पूजा एवं ठंडा भोजन किया जाता है। इसके बाद दशमी तिथि पर दशा माता की पूजा एवं व्रत का विधान है। परिवार में सुख, शांति और समृद्धि के लिए ये दोनाें व्रत किए जाते हैं। एकादशी को पापमोचिनी एकादशी कहते हैं। वहीं चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को कामदा एकादशी कहते हैं। शीत ऋतु की शुरुआत आश्विन मास से होती है, इसलिए आश्विन मास की दशमी को हरेला मनाया जाता है। ग्रीष्म ऋतु की शुरुआत चैत्र मास से होती है, इसलिए चैत्र मास की नवमी को हरेला मनाया जाता है।
चैत्र शुक्ल पक्ष के त्यौहार (25 से 8 अप्रैल तक)
- शुक्ल तृतीयों को उमा, शिव तथा अग्नि का पूजन करना चाहिए।
- शुक्ल तृतीया को दिन मत्स्यजयन्ती मनानी चाहिए, क्योंकि यह मन्वादि तिथि है।
- चतुर्थी को गणेशजी का पूजन करना चाहिए। पंचमी को लक्ष्मी पूजन तथा नागों का पूजन।
- षष्ठी के लिए स्वामी कार्तिकेय की पूजा।
- सप्तमी को सूर्यपूजन।
- अष्टमी को मां दुर्गा का पूजन और इस दिन का ब्रह्मपुत्र नदी में स्नान करेन का महतत्व भी है।
- नवमी को भद्रकाली की पूजा करना चाहिए।
- दशमी को धर्मराज की पूजा।
- शुक्ल एकादशी को कृष्ण भगवान का दोलोत्सव अर्थात कृष्णपत्नी रुक्मिणी का पूजन।
- द्वादशी को दमनकोत्सव मनाया जाता है।
- त्रयोदशी को कामदेव की पूजा। चतुर्दशी को नृसिंहदोलोत्सव, एकवीर, भैरव तथा शिव की पूजा।
- अंत में पूर्णिमा को मन्वादि, हनुमान जयंती तथा वैशाख स्नानारम्भ किया जाता है। वैसे वायु पुराणादि के अनुसार कार्तिक की चौदस के दिन हनुमान जयन्ती अधिक प्रचलित है। चैत्र मास की पूर्णिमा को चैते पूनम भी कहा जाता है।
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