Saturday, February 29, 2020

पीड़ित बोला- मैंने जली गाड़ी को चेसिस नंबर से पहचाना, आप शव का डीएनए टेस्ट करवा दो

नई दिल्ली (आनंद पवार/शेखर घोष ).उत्तर पूर्वी दिल्ली की हिंसा में जान गंवाने वाले परिजनों का अस्पताल और पुलिस प्रशासन की अव्यवस्था दर्द बढ़ा रही है। इसका गुस्सा शनिवार को जीटीबी अस्पताल की मोर्चरी के सामने पहुंचे स्वास्थ्य मंत्री सत्येन्द्र जैन के ऊपर फूटा। यहां पीड़ित परिजनों ने मंत्री के सामने अपनी पीड़ा के साथ ही सरकार की अव्यवस्था पर जमकर विरोध किया। हिंसा में चार दिन से गायब मोहसीन के रिश्तेदार ने मंत्री से गुहार लगाई कि मैंने खुद चेसिस नंबर से जली गाड़ी मेरे परिचित की होने की पहचान की। उस गाड़ी के पास जली लाश की पहचान जल्दी करने डीएनए टेस्ट करने में मदद कीजिए। मंत्री ने जवाब दिया कि हमारा काम सिर्फ सैंपल जांच के लिए भेज सकते हैं।

उन्होंने पुलिस की लापरवाही के आरोपों पर कहा कि हम सिर्फ उनसे निवेदन कर सकते हैं। बता दें मोहसीन मंगलवार को नोएडा से अपने घर लौट रहे थे, लेकिन घर नहीं लौटे। उनकी अंतिम लोकेशन करावल नगर के पास मिली। वहीं पास में एक जली लाश भी मिली है। जिसकी पहचान के लिए डीएनए टेस्ट होना है। एक शख्स परवेज ने हाथ जोड़कर मंत्री से कहा कि यहां पर अव्यवस्था फैली हुई है। लोगों की मदद के लिए कोई सुविधा नहीं है। एक हेल्प डेस्क लगा दीजिए। जिस पर कोई अधिकारी सीधे लोगों की समस्याएं सुने। इस पर मंत्री बोले आपका नाम क्या है। इस पर जवाब मिला कि नाम छोड़िए। लोगों की मदद का इंतजाम कीजिए।


नन्हें नितिन को भी दंगाइयों ने नहीं बख्शा: दंगाइयों ने 15 साल के नितिन पासवान को भी नहीं बख्शा। नि‌तिन अपने पिता राम सुगारत के साथ सब्जी एवं फलों की ठेली लगाते थे। उनके पिता ने बताया कि हम गोकुलपुरी में रहते हैं। रोज की ही तरह हम सोमवार को भी सब्जी बेचने निकले थे, इसी‌ बीच दंगे शुरू हो गए। इससे पहले हमारी समझ में कुछ आता तो दंगाइयों ने मेरे बेटे को गोली मार दी। अब उसके शव के पोस्टमॉर्टम के इंतजार में बैठे हैं।

मंत्री बोले- हम सैंपल लेकर जांच के लिए भेज सकते हैं

मंत्री को पीड़ित परिवार ने बताया कि उनके शव की शिनाख्त होने के बावजूद उनको देने में देरी की जा रही है। शव की कार्रवाई करने के लिए आईओ थाने आने को कह रहा है। पुलिस के अधिकारी दोपहर में आ रहे है। यहां पर शव को लाने ले जाने के लिए कोई इंतजाम नहीं है। यहां कुछ लोग जरूरतमंदों की मदद कर रहे हैं। सरकार की तरफ से कोई व्यवस्था नहीं है। लोगों ने अस्पताल की अव्यवस्था की समस्या को भी मंत्री के सामने उठाया। जिस पर मंत्री ने कहा कि सीटी स्कैन मशीन ठीक हो गई है। इसके अलावा भी यदि किसी को निजी अस्पताल में इलाज कराना है तो वह करा सकता है। सरकार उसका सारा खर्च उठाएगी।

शाहबाज बोला- लौट आऊंगा, लेकिन नहीं लौटा

हिंसा में करावल नगर से 22 वर्षीय शाहबाज मंगलवार दोपहर से गायब है। उसके परिजन इधर उधर ढूंढ रहे, लेकिन कोई पता नहीं चल रहा। शाहबाज के भाई मत्लुम आलम ने बताया कि शाहबाज वेल्डिंग काम करता था। लोनी में परिवार के साथ रहता था। मूलत: परिवार बिहार के मुज्जफरपुर का रहने वाला है। शाहबाद की आंख में वेल्डिंग चला गया था। इसको निकालने के लिए गुरुनानक अस्पताल गया था। लौटते वक्त उसने कॉल करके जानकारी दी थी। करावल नगर पहुंचने पर दोपहर 2.25 बजे कॉल करके शाहबाज ने बताया कि यहां पर दंगा हो रहा है। गाड़ी से निकाल कर मार रहे है। मैंने कहा कि तुम वापस लौट जाओ। उसने कहा कि मैं अंदर की गलियों से आ जाऊगा। इसके एक घंटे बाद भी घर नहीं पहुंचने पर मैंने कॉल लगाया तो उसका मोबाइल स्विच ऑफ था। उसके बाद से कोई पता नहीं चल रहा।

भगदड़ के बाद हमजा गायब
29 वर्षीय हमजा अपने जीजा के साथ मुस्तफाबाद में ही नए खोले चाइनीज रेस्टारेंट से लौट रहे थे। मंगलवार शाम को अचानक रास्ते में भगदड़ होने के बाद हमजा गायब हो गया, जिसका कहीं कोई पता नहीं चल रहा। हमजा के भाई शाहरुख ने बताया कि हमजा को जीटीबी अस्पताल की इंमरजेंसी, वार्ड और मोर्चरी में तलाश कर लिया, लेकिन उसका कहीं कोई पता नहीं चल रहा।

दिनेश दूध लेने के लिए गए थे, वापस नहीं आए

दंगे में मारे गए शिव विहार के दिनेश खटीक के बड़े भाई सुरेश ने बताया कि 24 फरवरी को दिल्ली के शिव विहार इलाके में दिनेश घर से उसके लिए दूध लेने निकले तो फिर वापस नहीं आए। जिहादी भीड़ ने उन्हें अपना शिकार बना लिया। उनके सिर में गोली मार कर उनकी हत्या कर दी गई थी। सुरेश ने बताया कि 29 फरवरी को गोलू अभी महज डेढ़ वर्ष का है। किसी की मौत क्या होती है इसे कुछ पता नहीं। पर आज जन्मदिन पर जब शाम को पिता को लेकर आने की जिद करता है तो उसे क्या समझाए। जिहादी हिंसा ने उसके पिता को उससे छीन लिया है उसे इसकी भी खबर नहीं है।

शिव विहार के आलोक को घेरकर सिर में मार दी गोली

शिव विहार के ही रहने वाले सुमित तिवारी ने बताया कि उसके जीजा आलोक तिवारी (32) करावल नगर मेंं गत्ता फैक्ट्री मेंं प्राइवेट कंपनी काम करते थे। वो जब मंगलवार को शाम को फैक्ट्री से घर लौट रहे थे रास्ते में दंगा देखकर बच्चों के लिए दूध लेने के लिए गली में दुकान तक गए। वहीं जिहादी दंगाइयों ने घेरकर सिर में गोली मार कर हत्या कर दी। मौके पर कोई गाड़ी अस्पताल ले जाने के लिए नहीं मिली, दो घंटे बाद गुरुतेग बहादुर अस्पताल पहुंचा। अगले दिन उपचार के दौरान दम तोड़ दिया। उनका चार वर्ष का बेटा और 9 वर्ष की बेटी है। इनके घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। उनका अंतिम संस्कार भी आसपास के लोगों ने मिलकर किया है।

इंस्टिट्यूट में लगा दी आग, अंदर 35 बच्चे फंस गए थे

भजनपुरा चौराहे पर होराइजन नाम से हाई स्कूल से लेकर इंटर तक के बच्चों के लिए इंस्टिट्यूट चलाने वाले नवनीत गुप्ता ने बताया कि दंगाइयों ने मंगलवार को उनके इंस्टिट्यूट में आग लगा दी। उस समय उनके इंस्टिट्यूट के अंदर 35 बच्चे फंसे थे जिनमें 20 लड़कियां थीं। गुप्ता ने बताया कि दंगाई डेढ़ हजार से अधिक की संख्या में आए थे। वो वही लोग थे जो पिछले 15 दिनों से सीएए के विरोध में धरना प्रदर्शन कर रहे थे। उन्होंने बताया कि ये लोग अचानक इतने हिंसक हो जाएंगे इसका उन्हें अंदाजा नहीं था। उन सभी के हाथों में बंदूक, तलवार, कुल्हाड़ी थी, पेट्रोल बम और पत्थर थे, जिसको देखते उसी पर चला रहे थे। गुप्ता ने कहा कि यह दंगा सुनियोजित था।



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जीटीबी अस्पताल की मोर्चरी में पोस्मार्टम की लेटलतीफी के चलते परिजनों का पुलिस पर फूट रहा गुस्सा।
जीटीबी अस्पताल पहुचें स्वास्थ मंत्री सतेन्द्र जैन और महिला बाल विकास मंत्री राजेन्द्र पाल गौतम।


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