प्रयागराज. श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट में दलित समुदाय से एक सदस्य रखने का निर्णय लिया गया है। राम मंदिर आन्दोलन में प्रमुख भूमिका निभाने वालीं मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने ट्रस्ट में पिछड़ी जाति ने सदस्यों को भी जगह देने की मांग की है। इस पर ट्रस्टी स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती का कहना है- दोनों की मांग जायज है, इस पर बैठक में चर्चा की जा सकती है। उन्होंने यह भी साफ किया- जब घर का मुखिया चुन लिया जाता है तो जाति मायने नहीं रखती है। उन्होंने यह भी कहा- विहिप के मॉडल पर ही राम मंदिर का निर्माण किया जाएगा। प्रस्तुत हैं दैनिक भास्कर से उनकी बातचीत के प्रमुख अंश...
भास्कर: मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट का कर दिया गया है, इस पर सवाल उठाना कहां तक सही है?
स्वामी वासुदेवानंद: सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर केंद्र सरकार ने ट्रस्ट का गठन किया है। उसका मकसद सनातन धर्म की आस्था अनुरूप अयोध्या नगरी में राम लला मंदिर का भव्य निर्माण करना है। जहां तक ट्रस्ट के गठन और मंदिर निर्माण को लेकर लोगों की ओर से किए जा रहे सवाल है, वह सिर्फ मीडिया में बने रहने के लिए है। इसका कोई औचित्य नहीं है।
भास्कर: अयोध्या राम मंदिर निर्माण के लिए बनाए गए ट्रस्ट में महंत नृत्य गोपाल दास को शामिल न किए जाने को आप किस तरह से देखें और क्यों?
स्वामी वासुदेवानंद: राम मंदिर निर्माण की लड़ाई में नृत्य गोपाल दास जी का बड़ा योगदान रहा है। अभी ट्रस्ट की बैठक होनी है, उसमें इस बात की कोशिश की जाए- उनके नाम को जोड़ा जाए बाकी वह ट्रस्ट में रहे या ना रहे उनका मार्गदर्शन और सहयोग हमेशा राम मंदिर ट्रस्ट के प्रति रहा है रहेगा। कुछ लोगों ने इसे तूल देने की कोशिश जरूर की थी, लेकिन वह सब निरर्थक है।
भास्कर: क्या ट्रस्ट में किसी मुस्लिम सदस्य को भी शामिल किया जाएगा?
स्वामी वासुदेवानंद: यह सनातन धर्म की आस्था का केंद्र है हिंदू धर्म के लोग राम मंदिर निर्माण में अपना सर्वस्व न्योछावर कर चुके हैं। हमारे वेद, ग्रंथ और उपनिषद किसी भी धार्मिक स्थल के निर्माण में धर्म से जुड़े व्यक्तियों की सहभागिता की बात कही गई है। अभी तक तो ऐसा नहीं है। आगे भी इसकी कोई गुंजाइश नहीं दिख रही है।
भास्कर: शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने ट्रस्ट में आपको शामिल किए जाने पर सवाल उठाया है।
स्वामी वासुदेवानंद: कौन क्या कहता है, इसे कोई मतलब नहीं है। जिसको जो करना होगा, वह करेगा ही। उस पर कोई टिप्पणी नहीं करनी है। हमारा मकसद अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए बने ट्रस्ट को मजबूती प्रदान करना है। उसकी तमाम जरूरतों की तैयारी करना है। हम उसी में व्यस्त हैं बाकी आगे जो आएगा देखा जाएगा।
भास्कर: उमा भारती और कल्याण सिंह ट्रस्ट में पिछड़ी जाति के लोगों को सदस्य बनाने की मांग कर रहे हैं?
स्वामी वासुदेवानंद: दोनों नेताओं ने राम मंदिर के लिए अनवरत लड़ाइयां लड़ी हैं। इसका सबको ख्याल है और आगे क्या गुंजाइश होगी, इस पर ध्यान दिया जाएगा। जब ट्रस्ट की बैठक होगी, उसमें यह सारे सवाल उठेंगे और उनका हल भी ढूंढा जाए। वैसे जब घर का मुखिया एक चुन लिया गया तो उसमें फिर जाति विशेष कोई मायने नहीं रखती है।
भास्कर: राम मंदिर का निर्माण किस मॉडल पर कराया जाएगा?
स्वामी वासुदेवानंद: विश्व हिंदू परिषद की ओर से जो मॉडल तैयार किया गया है, उसी आधार पर अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण कराया जाएगा।
भास्कर: राम मंदिर निर्माण कब से शुरू होगा, इसकी क्या कोई तिथि तय हुई है क्या?
स्वामी वासुदेवानंद: ट्रस्ट की पहली बैठक हो जाने दीजिए, किसी शुभ मुहूर्त में ही राम मंदिर का निर्माण शुरू कराया जाएगा।
भास्कर: आपको क्या लगता है ट्रस्ट में आपको क्यों स्थान मिला दक्षिण भारत के संतों को ट्रस्ट में स्थान क्यों नहीं दिया गया?
स्वामी वासुदेवानंद: क्यों स्थान दिया यह तो आपको केंद्र सरकार कि उन सदस्यों से सवाल करना चाहिए जिन्होंने ट्रस्ट का गठन किया है। राम मंदिर आंदोलन के लिए हमने जीवन भर लड़ाई लड़ी है। हम यहां की हर गतिविधि से भलीभांति वाकिफ है। शायद इसलिए स्थान मिला बाकी आगे कुछ नहीं कह सकता।
भास्कर: अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का शिला पूजन एक बार हो चुका है क्या फिर से शिला पूजन हो गया पिछले पूजन को शिलान्यास मानकर काम शुरू कराया जाएगा?
स्वामी वासुदेवानंद: शिलापूजन तो हो चुका है, अब सीधे मंदिर निर्माण होगा यह सही है, लेकिन किसी भी शुभ कार्य को हमारे सनातन धर्म में प्रारंभ करने के बाद यदि रुकावट आती है तो जब दोबारा कार्य शुरू होता है तो उसमें वैदिक रीतिरिवाज से पूजन अर्चन होता है।
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