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फिरोजाबाद/इटावा.फिरोजाबाद जिले में आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर बुधवार रात सड़क किनारे खड़े ट्रक से बस टकरा गई। हादसे में16 लोग मारे गए। 29 घायल हैं। इनकासैफई मेडिकल कॉलेज में इलाज चल रहा है। खलासीवसीम खान ने बताया- ट्रक का टायर पंक्चर हो गया था। ट्रक को सड़क किनारे खड़ा कर वह और उनके ड्राइवर बहनोईटायर बदल रहे थे, तभीपीछे से आ रहीबस ने टक्कर मार दी। हादसे में घायल वसीम के बहनोई की मौत हो गई। उनके चेहरे पर मौत का खौफ साफ दिख रहा था। इस भयावह हादसे की पूरी कहानी वसीम की जुबानी...
'' बस कीटक्कर लगने के बाद ट्रक जैक से उतर गया और बहनोई टायर के नीचे दब गए।मेरे आंखों के सामनेउनकी मौत हो गई। मैं मौके से भागा, लेकिन घायल हो गया। मेरे साथ रहा अन्य ड्राइवर भी घायल हो गया। मेरी आंखों के सामने बहनोई मर गए, मैं कुछ नहीं कर पाया। हादसे के बाद चीख पुकार मच गई थी। बस में सवार कुछ यात्री झटका लगने से उछलकर ट्रक पर आकर गिरे थे। गाड़ी स्टार्ट कर पीछे किया, तब बहनोई के शव को निकाला जा सका।''
'आंख खुली तो चीख पुकार से दिल दहल गया'
हादसे के दौरान बस में सवार बिहार के मोतिहारी के धर्मेंद्र ठाकुर ने कहा- जब हादसा हुआ तो वे सो रहे थे। जोरदार झटके के साथ आंख खुली तो वे ट्रक में पड़े थे। आंखों के सामने अंधेरा छा गया था। हर तरफ चीख पुकार मची थी। जिसे सुनकर दिल दहल गया। हर कोई अपने को ढूंढ रहा था। कई लोग बस के नीचे दब गए
'आंख खुली तो आंखों के सामने अंधेरा था'
बिहार की रहने वाली पास्ता देवी दिल्ली में मजदूरी करती हैं। बुधवार रात वह बस से बिहार अपने घर जा रही थीं। उन्होंने बताया कि जब यह हादसा हुआ तब वह सो रहीं थीं और आंख खुली तो आंखों के सामने अंधेरा था। चीख पुकार के बीच बाहर निकलकर देखा तो बस में कई लोग दबे हुए थे। वह बहुत घबरा गईं। बिहार के रहने वाले मेघनाद ने बताया कि वह अपने केबिन में सो रहे थे। आवाज सुनकर बाहर आए तो दृश्य देखकर घबरा गए। उनके साथ दो लोग और भी थे वह भी सुरक्षित हैं। अंधेरा होने के कारण कुछ भी साफ नजर नहीं आ रहा था। घबराकर उन्होंने अपने साथियों को खोजा तो वह भी सुरक्षित बाहर आ गए। सभी ईश्वर का शुक्रिया जता रहे हैं।
'बगल की सीट पर साथी सोया था, उसका कुछ पता नहीं'
कृष्णा ने कहा- मैं दिल्ली से मोतिहारी के लिए निकला था। जब हादसा हुआ तो मैं सो रहा था। अचानक झटका लगा, उसके बाद मैं बेहोश हो गया। होश आया तो पता चला कि, मैं बस की छत के ऊपर था। बगल सीट पर एक साथी बैठा था, उसका कुछ पता नहीं है, अब जीवित है या नहीं कुछ नहीं पता चल रहा है।
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