अयोध्या. श्रीराम जन्मभूमि के लिए अधिग्रहीत67 एकड़ भूमि के दायरे में कब्रिस्तान होने के दावे कोमंगलवार को जिला प्रशासन ने खारिज कर दिया।मुस्लिम पक्ष के वकील रहेएमआर शमशाद ने 9 मुस्लिमों के हवाले से पत्र भेजकर यह दावा किया था। शमशाद ने कहा था- 67 एकड़ भूमि में 1480 वर्ग मीटर के क्षेत्र में मुसलमानों के द्वारा कब्रिस्तान का पहले उपयोग किया गया था। उस भूमि पर नए राम मंदिर का निर्माण न किया जाए।
शमशाद ने 15 फरवरी को मंदिर निर्माण के लिए गठित श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को पत्र भेजा था। लिखा था किआज भले ही वहां कब्रें न दिख रही हों, लेकिन वहां की 4-5 एकड़ जमीन पर मुसलमानों की कब्र थीं। ऐसे में वहां मंदिर की नींव कैसे रखी जा सकती है? केंद्र सरकार ने भी इस पहलू पर कोई विचार नहीं किया। मुसलमानों के कब्रिस्तान पर राम मंदिर नहीं बन सकता है। यह धर्म के विरूद्ध है।
डीएम ने कहा- वकील का दावा गलत
जिलाधिकारी अनुज झा ने पत्र के जवाब में कहा किवर्तमान में राम जन्मभूमि क्षेत्रों के 67 एकड़ के परिसर में कोई कब्रिस्तान नहीं है। मामले की सुनवाई (अयोध्या शीर्षक विवाद) के दौरान सुप्रीम कोर्ट को सभी तथ्यों से अवगत कराया गया था, जिसमें पत्र की सामग्री (वकील एमआर शमशाद द्वारा लिखित) भी शामिल है। यह मामले की सुनवाई के दौरान भी सामने आया। 9 नवंबर2019 को सुप्रीम कोर्ट के फैसले मेंइन सभी तथ्यों का भी स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया था।
मस्जिद के लिए दी गई जमीन
जिलाधिकारी ने कहा किसुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में हिंदू पक्ष में फैसला सुनाया और पूरी 67 एकड़ जमीन और 2.77 एकड़ जमीन (फैसले से पहले विवादित) राम मंदिर निर्माण के लिए केंद्र को सौंप दी। कोर्ट ने केंद्र को मंदिर निर्माण के लिए एक ट्रस्ट का गठन करने का भी निर्देश दिया। 5 फरवरी कोउत्तर प्रदेश कैबिनेट ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार एक मस्जिद के निर्माण के लिए राज्य की सुन्नी वक्फ बोर्ड को 5एकड़ जमीन आवंटित करने की मंजूरी दी।
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