लखनऊ. उत्तर प्रदेश में रहने वाले हर नागरिक पर 22,442 रुपए का कर्ज है। राज्य सरकार पर कर्ज का बोझ 5,16,184.45 करोड़ रुपए से अधिक होने का अनुमान है, जो राज्य के कुल बजट की तुलना में अधिक है। राज्य के वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने राजकोषीय घाटे पर कहा- चालू वित्त वर्ष के दौरान राज्य में प्रति व्यक्ति ऋण लगभग 20,702 रूपए होगा, जबकि राज्य का कुल ऋण बोझ लगभग 476154.70 करोड़ रूपए होगा।
सीएम ने कहा- सरकार कर रही वित्तीय अनुशासन का पालन
वित्तमंत्री सुरेश खन्ना ने मंगलवार को विधानसभा में अपना चौथा बजट पेश किया है, जिसका आकार 5,12,860.72 करोड़ रूपए है। अनुमान है कि, राज्य का कुल ऋण अगले वित्त वर्ष के बजट प्रस्ताव को पार कर जाएगा। हालांकि, सरकार ने संशोधन कर कहा कि चालू वित्त वर्ष में राज्य के कर्ज में लगभग 2500 करोड़ रूपए की कमी आई है। इससे पहले 2019 में राज्य पर कर्ज लगभग 473563.22 करोड़ रुपये था, लेकिन बाद में इसे संशोधित कर 476154.70 करोड़ रूपए कर दिया गया।
बजट प्रस्तुत होने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रेसवार्ता कर दावा किया कि, सरकार वित्तीय अनुशासन का पालन कर रही है। लेकिन अगले वित्त वर्ष के दौरान अपेक्षित ऋण राशि के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति राज्य में 23 करोड़ की आबादी को ध्यान में रखते हुए 2019-20 की तुलना में एक वर्ष में ऋण प्रति व्यक्ति 22,442 रूपए होगा, जो एक वर्ष में लगभग 1340 रूपए बढ़ रहा है।
साल दर साल बढ़ा रहा कर्ज का बोझ
- साल 2018-19 में राज्य के कुल ऋण 4,42,508.70 करोड़ रूपए के साथ प्रति व्यक्ति ऋण लगभग 19,239 रूपए था। जबकि पहले का अनुमान 443362.52 करोड़ रूपए था और इसलिए राज्य की आबादी लेने के बाद प्रति व्यक्ति ऋण 20,152 रूपए था।
- साल 2017-18 में प्रत्येक नागरिक का कार्मिक ऋण लगभग 18,476 रुपये था, जबकि राज्य पर कुल ऋण 406474.31 करोड़ रूपए था। इस प्रकार, 2017 में राज्य में भाजपा की सरकार आने के बाद और एक साल के भीतर प्रत्येक नागरिक का कर्ज 1676 रूपए बढ़ गया। 2016-17 में प्रत्येक व्यक्ति पर लगभग 16,973 रूपए का कर्ज था, जबकि, राज्य पर कुल कर्ज 373417.33 करोड़ रूपए था।
- 2015-16 में राज्य में प्रत्येक व्यक्ति पर ऋण 14,724 रूपए था, जबकि राज्य पर कुल ऋण 323935.66 करोड़ रुपये था। वहीं, 2014-15 में यह 13-151 रूपए और राज्य की ऋणग्रस्तता 68020.69 करोड़ रुपए थी।
2020-21 में ऋण प्रतिशत 28.8 फीसदी
उत्तर की आबादी 230 मिलियन है। आंकड़ो के अनुसार, राज्य का ऋण बोझ 2016-17 में सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) का लगभग 28 से 30 प्रतिशत था, वहीं 2014-15 में 27.9 प्रतिशत था। हालांकि 2017-18 में यह बढ़कर 29.6 प्रतिशत हो गया । लेकिन चालू वित्त वर्ष में यह लगभग 28.2 प्रतिशत पर आ गया। 2020-21 में ऋण प्रतिशत लगभग 28.8 प्रतिशत होगा। आगामी वित्त वर्ष के दौरान यूपी सरकार के कुल अपेक्षित ऋणों में से अधिकतम 323461.48 करोड़ रूपए के बाजार ऋण से होगा, जो कुल ऋणों का 18.1 प्रतिशत है।
यूपी सरकार को केंद्र से 11815.12 करोड़ रूपए, वित्तीय संस्थानों से 19368.64 करोड़ रूपए और बिजली बांडों से 42277.10 करोड़ रूए के ऋण की भी उम्मीद है। बजट के आंकड़ों के अनुसार, राज्य द्वारा 2020-21 के दौरान 500558.53 करोड़ रुपये का कुल राजस्व उत्पन्न किया जाएगा, जिसमें सबसे अधिक 33 प्रतिशत राज्य करों से, 30.4 प्रतिशत केंद्रीय करों से और 14.4 प्रतिशत हिस्सा राज्य करों से आएगा। सरकार सार्वजनिक ऋणों से राजस्व का 13.1 प्रतिशत एकत्र करेगी।
37.1 फीसदी धनराशि सरकार कर्मियों पर खर्च करेगी
सरकार द्वारा 5,12,860.87 करोड़ रूपए के कुल खर्च के साथ, अधिकतम 37.1 प्रतिशत सरकारी कर्मचारियों और सहायता प्राप्त शिक्षण संस्थानों और पेंशन के लिए वेतन, पेंशन और भत्तों के भुगतान के लिए खर्च किया जाएगा। राज्य ऋण पर ब्याज का भुगतान करने के लिए धन का 7.6 प्रतिशत भी खर्च करेगा, ऋण का भुगतान करने के लिए पांच प्रतिशत, जबकि 16.1 प्रतिशत पूंजीगत व्यय पर खर्च किया जाएगा। सीएम आदित्यनाथ ने कहा कि सरकार 3.3 प्रतिशत का भुगतान सब्सिडी पर करेगी।
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