
कन्नौज. शुक्रवार रात कन्नौज में बस जलने केबाद से बस में सवार उन लोगों के परिजन ज्यादा परेशान हैं, जिनके बारे में जानकारी नहीं मिल पा रही है। प्रशासन ने बस से दस कंकाल बरामद किए हैं, जबकि लापता लोगों की संख्या इनसे ज्यादा है। ऐसे में जिनकी जानकारी अभी परिजनों को नहीं लग सकी है, वह अस्पतालों में घूम-घूमकर उन्हें तलाश रहे हैं। इनमें से कोई अपने भाई के घर आया था तो कोई घर का हालचाल लेकर वापस काम पर जा रहा था।
अपनी बहन और भांजी को तलाश रहा जुबेर

कन्नौज निवासी मोहम्मद जुबेर की बेटी का 28 दिसंबर को जन्मदिन था। उसने अपनी बहन नूरी (32) को बुलाया था। नूरी के साथ उसकी बेटी सामिया (6) और बेटा अनस (9) भी जयपुर से आए थे। शुक्रवार को नूरी को वापस जाना था। जाने से पहले जुबेर की पत्नी ने नूरी और सामिया की फोटो खींची थी। अब जुबेर इसी फोटो को देख-देखकर रो रहा है। उसने बताया कि बहन के जाने के बाद वह खाना खाने की तैयारी कर रहा था। तभी टिकट बुक करने वाले एजेंट ने फोन करके घटना की जानकारी दी। भागकर मौके पर पहुंचा तो अनस तो मिल गया, लेकिन नूरी और सामिया का पता नहीं चला।
मुझे क्यों बचाया, बेटी को बचा लेते

कन्नौज जिले के भोलर मऊ में रहने वाली शकुंतला और उनकी बेटी प्रतिभा गोसाईगंज से जयपुर जाने के लिए बस में बैठी थी। कुछ दूर चलने पर हादसा हुआ शकुंतला को तो लोगों ने बचा लिया, लेकिन उनकी बेटी अब तक नहीं मिली है। शकुंतला की आंख से बहते आंसू हर किसी से यही कह रहे हैं कि मुझे क्यों बचाया। पहले मेरी बेटी को बचा लेते। शकुंतला के दामाद प्रभु नारायण घटना के कुछ घंटे बाद ही दिल्ली से कन्नौज आ गए। अब वह प्रतिभा को तलाशने के लिए हर छोटे-बड़े अस्पतालों में भटक रहे हैं।
बेटे को बचाने के लिए जूझता रहा पिता

फर्रुखाबाद के थाना कमालगंज के ग्राम उगरापुर निवासी छम्मी लाल जयपुर में सिलाई का कार्य करता है। वह भी रजीपुर से विमल बस सर्विस की बस में सवार हुआ। उसके साथ 8 साल का बेटा सौरभ भी था। अपनी सहमी आवाज में सौरभ ने हादसे की दिल दहला देने वाली कहानी सुनाई। बच्चे ने बताया अचानक तेज आवाज के साथ बस की टक्कर हुई और अंधेरा छा गया। बस में भीतर चीखपुकार मची थी। धुआं भरने और आग की लपटों को देख लोग घबरा गए। सौरभ के पिता छम्मी लाल ने पहले बस की खिड़की के शीशे में हाथ मारे, लेकिन शीश नहीं तोड़ पाए। इस पर उन्होंने शीशे में सिर मारना शुरू किया। कई बार सिर मारने पर शीश टूट गया। उन्होंने पहले सौरभ को नीचे लटकाया और उसी खिड़की से खुद भी बाहर निकले। सौरभ सकुशल घर आ गया, लेकिन उसके पिता को गंभीर हालत में तिर्वा के अस्पताल में भर्ती कराया गया।
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