
जीवन मंत्र डेस्क. सोमवार, 13 जनवरी को माघ मास के कृष्ण की तिल चतुर्थी है। इस चतुर्थी का काफी अधिक महत्व माना गया है। इस दिन भगवान गणेश के लिए व्रत-उपवास करने की परंपरा है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार इस तिथि पर महिलाएं दिनभर अन्न ग्रहण नहीं करती हैं और शाम को चंद्र दर्शन के बाद गणेश पूजन करती हैं। इसके बाद भी भोजन ग्रहण करती हैं। तिल चतुर्थी पर गणेशजी को तिल से बने व्यंजनों का भोग लगाने का विधान है। इसे संकट गणेश चतुर्थी व्रत भी कहते हैं। व्रत करने वाले व्यक्ति को तिल-गुड़ का दान भी करना चाहिए। जानिए चतुर्थी और सोमवार के योग में कौन-कौन से शुभ काम किए जा सकते हैं...
- गणेशजी के 12 नामों का करना चाहिए जाप
पं. शर्मा के अनुसार सुख-समृद्धि के दाता भगवान गणेश की पूजा में उनके 12 नाम मंत्रों का जाप करना चाहिए। मंत्र जाप कम से कम 108 बार करना चाहिए। सोमवार को चतुर्थी होने से इस योग में गणेशजी के साथ ही शिव मंत्रों का भी जाप करना चाहिए। शिव के मंत्र ऊँ नम: शिवाय का जाप किया जा सकता है।
ये हैं गणेशजी के 12 नाम मंत्र
गणेशजी को 21 दूर्वा दल चढ़ाएं और दूर्वा चढ़ाते समय नीचे लिखे मंत्रों का जाप करें।
ऊँ गणाधिपतयै नम:, ऊँ उमापुत्राय नम:, ऊँ विघ्ननाशनाय नम:, ऊँ विनायकाय नम:, ऊँ ईशपुत्राय नम:, ऊँ सर्वसिद्धप्रदाय नम:, ऊँ एकदन्ताय नम:, ऊँ इभवक्त्राय नम:, ऊँ मूषकवाहनाय नम:, ऊँ कुमारगुरवे नम:।
पूजा की सरल विधि
- चतुर्थी पर स्नान आदि कर्मों के बाद अपनी इच्छा के अनुसार सोने, चांदी, तांबे, पीतल या मिट्टी से बनी भगवान श्रीगणेश की प्रतिमा स्थापित करें।
- इसके बाद भगवान श्रीगणेश को जनेऊ पहनाएं। अबीर, गुलाल, चंदन, सिंदूर, इत्र आदि चढ़ाएं। पूजा का धागा अर्पित करें। चावल चढ़ाएं।
- गणेशजी मंत्र बोलते हुए 21 दूर्वा दल चढ़ाएं। 21 लड्डुओं का भोग लगाएं। कर्पूर से भगवान श्रीगणेश की आरती करें।
- पूजा के बाद प्रसाद अन्य भक्तों को बांट दें। अगर संभव हो सके तो घर में ब्राह्मणों को भोजन कराएं। दक्षिणा दें।
- व्रत करने वाले व्यक्ति को शाम को चंद्र दर्शन करना चाहिए, पूजा करनी चाहिए। इसके बाद ही स्वयं भोजन करना चाहिए।
- इस तरह पूजा करने से व्रत पूर्ण होता है और अक्षय पुण्य मिलता है।
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