वाराणसी. उज्जैन स्थित महाकाल ज्योर्तिलिंग मंदिर की तर्ज पर अब वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर में ड्रेस कोड व्यवस्था लागू हो रही है। काशी विश्वनाथ के स्पर्श दर्शन के लिए अब पुरुषों को भारतीय पारंपरिक परिधान धोती-कुर्ता और महिलाओं को साड़ी पहनना होगा। इन्हीं वस्त्रों को धारण करने के बाद ही भगवान भोलेनाथ को स्पर्श किया जाएगा। जींस, पैंट, शर्ट, सूट, टाई कोट वाले पहनावा पर केवल दर्शन की व्यवस्था होगी।
दरअसल, यह निर्णय रविवार शाम प्रदेश के पर्यटन एवं धर्मार्थ कार्य राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉक्टर नीलकंठ तिवारी की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में लिया गया। इस दौरान मंदिर में स्पर्श दर्शन का समय बढ़ाने व विश्वनाथ धाम में खरीदे गए भवनों से निकले विग्रह को कैसे संयोजित किया जा सके? इस मुद्दे पर चर्चा हुई। सभी ने एक मत से कहा कि बाबा का स्पर्श दर्शन मध्यान्ह आरती से पहले 11 बजे तक किया जा सकता है। साथ ही स्पर्श दर्शन के लिए पुरुष को धोती कुर्ता व महिलाओं को साड़ी पहनने का एक नियम बनना चाहिए।
विद्वानों ने उज्जैन स्थित महाकाल ज्योतिर्लिंग, दक्षिण भारत स्थित सभी मंदिरों का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए बताया कि महाकाल में भी भस्म आरती के समय स्पर्श करने वाले बिना सिले हुए ही वस्त्र धारण करते हैं। बाकी सभी लोग केवल दर्शन पूजन करते हैं। इसलिए श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में भी यह व्यवस्था लागू होनी चाहिए।
कॉरिडोर में निकले 43 से अधिक मंदिर
श्री काशी विश्वनाथ धाम के लिए खरीदे गए भवनों के ध्वस्ती करण के बाद निकले मंदिरों और विग्रह को संयोजित करने को लेकर विद्वत परिषद के साथ चर्चा हुई, जिसमें मंदिर प्रशासन ने विद्त परिषद को बताया गया कि भवनों को तोड़ने के बाद 43 से अधिक मंदिर निकले हैं। इसके अलावा कुछ विग्रह भी मिले हैं। जिनको शास्त्र सम्मत विधि से एक स्थान पर संयोजित कर उसका पूजन किया जा सके।
विद्वत परिषद के सदस्यों ने कहा- अब तक हम लोगों को मंदिरों को तोड़ने और विग्रह के हटाने की सूचना मिल रही थी, लेकिन मंदिर प्रशासन द्वारा ऐसा नहीं किया गया है जो कि सराहनीय है और इतने प्राचीन मंदिरों के मिलने के बाद हम लोगों की इच्छा है कि हम लोग श्री काशी विश्वनाथ धाम में मिले मंदिरों का निरीक्षण करें। इसके बाद इनमें से कितने ऐसे विग्रह हैं, जिनको शास्त्रीय विधि से संयोजित किया जा सके, इसकी रूप रेखा तय करेंगे।
बनेगा वैदिक केंद्र, पुरोहितों को मिलेगा कर्मकांड का प्रशिक्षण
मंत्री डॉ. नीलकंठ तिवारी ने कहा कि धर्मार्थ कार्य विभाग एक पावन पथ बनवाया है। इस पावन पथ में उन सभी मंदिरों को लिया गया है, जो काशी खंडों के है। विद्त परिषद के सदस्यों ने बन रहे श्री काशी विश्वनाथ धाम में शास्त्र और शास्त्रार्थ केंद्र खोलने की मांग की। इस पर धर्मार्थ कार्य मंत्री ने कहा कि विश्वनाथ धाम के मॉडल में पहले से ही एक वैदिक केंद्र बनाने की तैयारी है। इसमें पुरोहित प्रशिक्षण केंद्र भी खोला जाएगा, जिसमें इस केंद्र में सभी शास्त्री को कर्मकांड करने की शिक्षा, कंप्यूटर शिक्षा और अंग्रेजी की शिक्षा का तीन-तीन माह का कोर्स कराया जाएगा। साथ ही शास्त्र पुराण की सभी पुस्तकें उपलब्ध रहेगी। शास्त्रार्थ के लिए एक केंद्र भी बनाया जा रहा है।
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