अलीगढ़. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की एक टीम सोमवार को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय पहुंची। टीम ने मोरिसन हॉस्टल व बाबे सैय्यद गेट का निरीक्षण किया है। वाइस चांसलर, प्रॉक्टर व रजिस्ट्रार के बयान लिए हैं। साथ ही जिन स्टूडेंट को पुलिस ने हिरासत में लिया था, टीम उन लोगों से भी बात करेगी। टीम यहां पांच दिनों तक रहकर 15 दिसंबर को हुई हिंसा मामले की जांच करेगी।
नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में बीते 15 दिसंबर को छात्रों ने प्रदर्शन किया था। पुलिस ने उन्हें रोकने का प्रयास किया तो पथराव किया गया था। पुलिस ने आंसू गैस गोले दागे और लाठीचार्ज किया था। जिसमें कई छात्र घायल हुए थे। कई छात्रों को हिरासत में लिया गया था। छात्रों ने आरोप लगाया था कि, पुलिस ने कैंपस के अंदर घुसकर छात्रों के साथ बर्बरता की। इस मामले को लेकर कुछ लोग हाईकोर्ट गए थे। हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को जांच करने का आदेश दिया था। 17 फरवरी को इस मामले की सुनवाई होगी।
उसी परिपेक्ष में सोमवार को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की टीम अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी पहुंची और अधिकारियों से बात कर रही है।टीम में शामिल आईपीएस मंजिल सैनी ने बताया- हाईकोर्ट के निर्देशानुसार हम यहां जांच के लिए आए हैं। डिप्टी रजिस्ट्रार खलील अहमद और डिप्टी एसपी के अलावा इंस्पेक्टर सहित कुल 7 लोग टीम में हैं। मोरिसन हॉस्टल, बाबे सैयद गेट का विजिट होगा। लाइब्रेरी और दो तीन जगह और हैं, जहां का निरीक्षण किया जाएगा। वीसी, प्रॉक्टर और रजिस्ट्रार का बयान भी लिया जाएगा। घायल छात्रों या जो डिटेन किए गए थे, उनसे भी बात होगी। रिकॉर्ड देखेंगे, जो भी उनके पास हैं। जिला प्रशासन से बात करेंगे कि उनका क्या कहना है?
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