Thursday, January 30, 2020

भगवान सूर्य का रथ पलक झपकते ही करीब 16 हजार किमी की दूरी तय कर लेता है

जीवन मंत्र डेस्क. माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को रथ सप्तमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भगवान सूर्य की विशेष पूजा की जाती है। मत्स्य पुराण के 59 वें अध्याय में सप्तमी तिथि पर सूर्य व्रत करने का महत्व बताया गया है। इस तिथि पर सुबह भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया जाता है। इसके बाद पूरे दिन श्रद्धा अनुसार व्रत या उपवास किया जाता है। इसके साथ ही भगवान सूर्य की पूजा एवं दान दिया जाता है।

  • श्रीमदभागवत, मत्स्य पुराण, गरुड़ एवंविष्णु पुराण में पाराशर मुनि ने भगवान सूर्य के रथ की लंबाई, उसके पहिए, घोड़े और उनके नाम एवं रथ के चलने की गति बताई गई है। विष्णु पुराण के आठवें अध्याय के दूसरे श्लोक से लेकर 9वें श्लोक तक सूर्य के रथ का वर्णन किया गया है।

विष्णु पुराण के अनुसार भगवान सूर्य और उनके रथ का वर्णन

  • श्रीमदभागवत पुराण में शुकदेव जी कहते हैं कि सूर्य की परिक्रमा का मार्ग मानुषोत्तर पर्वत पर इक्यावन लाख योजन है। वराह मिहीर के ग्रंथ के अनुसार एक योजन में 8 किलोमीटर होते हैं। मेरु पर्वत के पूर्व की ओर इन्द्रपुरी है, दक्षिण की ओर यमपुरी है, पश्चिम की ओर वरुणपुरी है और उत्तर की ओर चन्द्रपुरी है।
  • मेरु पर्वत के चारों ओर सूर्य परिक्रमा करते हैं इसलिए इन पुरियों में कभी दिन, कभी रात्रि, कभी मध्याह्न और कभी मध्यरात्रि होता है। सूर्य भगवान जिस पुरी में उदय होते हैं उसके ठीक सामने अस्त होते प्रतीत होते हैं। जिस पुरी में मध्याह्न होता है उसके ठीक सामने अर्ध रात्रि होती है।
  1. सूर्य का रथ एक मुहूर्त यानी 48 मिनिट में चौंतीस लाख आठ सौ योजन चलता है। इसे किलोमीटर में गिना जाए तो करीब 27,206,400 किमी होते हैं।
  2. इस रथ का संवत्सर नाम का एक पहिया है जिसके बारह अरे (मास), छः नेम, छः ऋतु और तीन चौमासे हैं।
  3. इस रथ की एक धुरी मानुषोत्तर पर्वत पर तथा दूसरा सिरा मेरु पर्वत पर स्थित है।
  4. इस रथ में बैठने का स्थान छत्तीस लाख योजन लम्बा है तथा अरुण नाम के सारथी इसे चलाते हैं।
  5. भगवान सूर्य इस प्रकार नौ करोड़ इक्यावन लाख योजन लंबी परिधि को एक क्षण में दो हजार योजन के हिसाब से तय करते हैं। यानी सूर्य का रथ एक क्षण में करीब 16000 किलोमीटर चलता है
  6. इस रथ का विस्तार नौ हजार योजन है। इससे दोगुना इसका ईषा-दण्ड (जूआ और रथ के बीच का भाग) है।
  7. इसका धुरा डेढ़ करोड़ सात लाख योजन लंबा है, जिसमें पहिया लगा हुआ है।
  8. इस रथ में 7 छंद रूपी घोड़े हैं जिनका नाम गायत्री, वृहति, उष्णिक, जगती, त्रिष्टुप, अनुष्टुप और पंक्ति हैं।


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Lord Surya's chariot travels a distance of about 16 thousand km in the blink of an eye.


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