सुबह के साढ़े पांच बजे हैं। कडप्पा से आए पीएस सुधीर अपनी पत्नी औरबेटे के साथ श्रीवारी ट्रस्ट के दानदाताओं के लिए ब्रेक (वीआईपी) दर्शन की लाइन में लगे हैं। वे पहले हर महीने दर्शन करने आते थे। लेकिन, पिछले तीन महीने से यहां नहीं आ पाए। हाल ही में उन्होंने श्रीवारी ट्रस्ट में 10 हजार रुपए से ज्यादका दान दिया था। इसलिएउन्हें बिना दिक्कत के ब्रेक दर्शन का विकल्प मिल गया।
ब्रेक दर्शन काटिकट होने की वजह से उन्हें तिरुमाला में एक रात रुकनेके लिए भी कमरा भी मिल गया। सुधीर सोमवार को मंदिर पहुंचे उन 12 हजार श्रद्धालुओं में से एक हैं, जिन्होंनेवेंकटेश बालाजी का दर्शन किया।
तिरुमाला पहाड़ी में कोरोना का एक भी मरीज नहीं
8 से 10 जून तक हर दिन 6 हजार से ज्यादा ट्रस्ट कर्मचारियों और स्थानीय लोगों के साथ किए गए दर्शन के ट्रायल के बाद 11 जून से आम श्रद्धालुओं के लिए दर्शन खोल दिया गया। इसके बाद हर दिन यह संख्या बढ़ती गई। जून के आखिर तक यह संख्या बढ़कर 12 हजार हो गई है। खास बात यह है कि तिरुमाला पहाड़ी, जहां वेंकटेश बालाजी का मंदिर है, वहां कोरोनाका एक भी मरीज नहीं है और वह ग्रीन जोन है।
तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम ट्रस्ट (टीटीडी) के धर्मा रेड्डी के मुताबिक तिरुमाला आने के लिए करीब 20 किमीपहले तिरुपति के अलीपिरी टोल गेट से आगे कोई तभी आ सकता है, जब उसके पास विशेष दर्शन, सर्वदर्शनम का ऑनलाइन बुक किया हुआ टिकट हो।
टाइम स्लॉट के आधार पर जारी हो रहे टिकट
टोल गेट पर थर्मल स्कैनिंग के दौरान यदि किसी श्रद्धालु में लक्षण पाए जाते हैं तो उन्हें वहीं रोक दिया जाता है। टीटीडी के गेस्ट हाउस में रुकने वाले श्रद्धालुओं को 24 घंटे में कमरा खाली करना होता है। यहां कमरे ऑड-ईवन के आधार पर बुक हो रहे हैं ताकि इन्हें ठीक से सैनिटाइज किया जा सके।
टिकट भी टाइम स्लॉट के आधार पर जारी किए जा रहे हैंताकि तय समय पर दर्शन करके श्रद्धालु तुरंत वापस लौट जाए। किसी को तिरुमाला में रुकने व सड़क किनारे फुटपाथ पर भी कहीं बैठने की इजाजत नहीं है। मुख्य मंदिर के अलावा परिसर के वाराही सहित अन्य मंदिर बंद हैं, पुष्करणी सरोवर में स्नान करने पर पाबंदी है।
भीड़ नहीं होने से आसानी से हो रहे दर्शन
चाय, कॉफी की इक्का-दुक्का स्टॉलों के अलावा पूरे तिरुमाला में रेस्तरां, खाने-पीने व अन्य चीजों की सभी दुकानें बंद हैं। दोपहर के समय का विशेष दर्शन करने के बाद हैदराबाद की पी विजया ने कहा कि वह पिछले 15 साल से यहां आ रही हैं। साल में एक बार जरूर यहां आती हैं। विजया ने कहा कि इस बार दर्शन करना उनके लिए बेहद आसान रहा।महज 20 मिनट में उन्होंने दर्शन कर लिया।
चित्तूर से आए अरुण अय्यर कहते हैं, वे सर्वदर्शन की टिकट लेकर करीब 12 बजे वैकुंठम कॉम्पलैक्स में दाखिल हुए थे, अभी डेढ़ बजे वह दर्शन करके बाहर भी आ चुके। अरुण कहते हैं, ऐसा लगा मानो वीआईपी दर्शन किए हों, न धक्का-मुक्की, न इंतजार, जहां पहले एक से दो सेकेंड भी दर्शन नहीं हो पाते थे, वहीं आज 10-15 सेकेंड बालाजी को निहारने का मौका मिला। उनका सुझाव है कि टीटीडी को सदा के लिए यह व्यवस्था अपनानी चाहिए।
उनके साथ आईं नीलिमा कहतीं हैं, कोरोना का डर तो है, इसीलिए यात्री मास्क भी पहने हुए हैं और दूर-दूर भी चल रहे हैं। हम भी हिम्मत करके आ गए। अब यदि कुछ हुआ भी तो मन में संतोष है कि हमने बालाजी के दर्शन कर लिया है। हम तो काफी सावधानी बरत रहे हैं बाकी बालाजी देखभाल करेंगे।
आम दिनों में मंदिर की सेवा-पूजा में कम से कम 50 अर्चक (पुजारी) मौजूद रहते हैं। लेकिन, इन दिनों केवल 15 अर्चक ही सुबह ढाई से तीन बजे के बीच सुप्रभातम से लेकर रात्रि पौने एक बजे की एकांत सेवा तक रहते हैं।
तिरुपति शहर में बढ़ रहे संक्रमण के मामले
हालांकि तिरुपति शहर के हालात बिल्कुल अलग हैं। देश के अन्य हिस्सों की तरह यहां भी कोरोनासंक्रमण बढ़ रहा है। तिरुपति के 50 में से 36 वार्डों में कंटेनमेंट जोन बन चुका है। करीब साढ़े तीन लाख की आबादी वालेइस शहर में अब तक 231 लोग संक्रमित हो चुके हैं। 8 जून को तिरुपति में मरीजों की संख्या महज 22 थी, जो 22 दिन में (30 जून) 10 गुना बढ़ गई। तिरुपति के रुइया अस्पताल की एमएस डॉ. टी भारती ने कहा कि इनमें से स्थानीय लोग तो 30 से भी कम हैं, ज्यादातरमरीज तिरुपति के बाहर के इलाकों से हैं।
90 फीसदी होटल और गेस्ट हाउस बंद
तिरुपति में 800 से ज्यादा छोटे-बड़े होटल, लॉज व गेस्ट हाउस हैं लेकिन कंटेनमेंट जोन में होने के चलते 90 फीसदी से ज्यादा बंद हैं। तिरुपति में करीब 3 हजार टैक्सियां हैं, जिनमें से ज्यादातरका धंधा ठप पड़ा है। तिरुपति के वरिष्ठ पत्रकार ए रंगराजन कहते हैं कि तिरुपति आने पर यात्री तिरुमाला के साथ-साथ वेल्लूर के स्वर्ण मंदिर व कालाहस्ती भी जाना पसंद करते थे। लेकिन, इस समय आवागमन की छूट नहीं होने से वे केवल तिरुमाला अपने वाहनों से आ रहे हैं और कहीं जाए बगैर सीधे लौट रहे हैं।
संक्रमण के डर से कोई होटल, लॉज में रुकना भी नहीं चाहता। लोग पैकेट बंद नमकीन, बिस्किट या फल खाकर समय गुजार लेते हैं लेकिन जो रेस्तरां खुले हैं, वहां जाने से डर रहे हैं। रंगराजन कहते हैं कि तिरुमाला का श्रीवारी मंदिर देश का एकमात्र मंदिर है जिसके प्रबंधन में तीन सीनियर आईएएस (इनमें से एक प्रमुख सचिव स्तर के) अधिकारी लगे हैं। मंदिर के पास पर्याप्त फंड भी है और कर्मचारियों की फौज भी। यहीवजह है कि यहां यात्रियों कोदर्शन करने का मौका मिल रहा है।
धर्मारेड्डी ने कहा कि कोरोना के बढ़ते संक्रमण में दर्शन खोलना बेहद जोखिम भरा है लेकिन टीटीडी ने इसे एक चुनौती की तरह लिया है। भगवान की कृपा से तिरुमाला में अभी तक सबकुछ नियंत्रण में हैं।
हालात ठीक रहे तो ज्यादा जारी होंगे टिकट
टीटीडी ने सोमवार को जुलाई महीने में दर्शन टिकट का कोटा जारी किया। अब प्रतिदिन विशेष दर्शन (300 रुपए) के 9000 टिकट और सर्वदर्शनम (निशुल्क दर्शन) के 3000 टिकट जारी हो रहे हैं। टीटीडी यह भी विचार कर रहा है कि यदि हालात ठीक रहे तोअगले 10 दिन में सर्वदर्शनम के लिए 4 से 5 हजार तक टिकट जारी होने लगेंगे।
पड़ोस के सभी प्रदेशों की सीमाएं सील होने के चलते तिरुपति पहुंचने वाले श्रद्धालुओं में फिलहाल 90 फीसदी सेज्यादा आंध्र प्रदेश के अलग-अलगजिलों से ही हैं। हालांकि निजी वाहनों से पड़ोसी राज्यों व दूरदराज के शहरों से उड़ान द्वारा भी श्रद्धालु तिरुपति आ रहे हैं।
तिरुपति एयरपोर्ट पर आने वाले यात्रियों का कोरोना टेस्ट जरूरी है। याताजा कोरोना-निगेटिव रिपोर्ट दिखाने पर ही उन्हें शहर में घूसनेकी इजाजत मिलती है। तिरुपति आने वाले श्रद्धालुओं में से 200 लोगों केरैंडम टेस्ट किए जा रहे हैं। हालांकि टीटीडी प्रशासन ने यह रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की है कि इस रिपोर्ट के नतीजे क्या आ रहे हैं।
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