इटली के रेड जोन कहे जाने वाले मिलान शहर से रिपोर्ट(मिलान लोम्बार्डी प्रांत की राजधानी है। इस प्रांत में 6 हजार से अधिक मौतें हो चुकी हैं).कोरोनावायरस की वजह से इटली बर्बादी के कगार पर मुंह बाए खड़ा है। एक झटके में पूरा देश वीरान हो गया। हंसते-खेलते 11 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। 90 हजार से ज्यादा लोग अब भी जिंदगी और मौत के बीच हांफती सांसों के साथ झूल रहे हैं। मिलान इटली के उस लोम्बार्डी राज्य की राजधानी है, जहां महज 37 दिनों में सबसे ज्यादा 6 हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। उसी मिलान से भास्कर की ग्राउंड रिपोर्ट...
इटली में लॉकडाउन होते ही लोग ट्रेनों में भरकर दूसरी जगहों को भागे, पूरे देश में फैल गया संक्रमण
इटली में कोरोनावायरस काफी तेजी से फैला। अभी शनिवार को ही एक दिन में 969 लोगों की मौत हो गई। मुझे याद है, जब थोड़े बहुत केस सामने आए थे। खासतौर पर लोम्बार्डी और मिलान में। तब सरकार ने लोगों को घरों में रहने की सलाह दी थी। सभी को आइसोलेट होने के लिए कहा था। उस वक्त कोई ऑफिशियल लॉकडाउन नहीं हुआ था। पर लोगों ने इसे हल्के में ले लिया। जब इसकी वजह से मौतें होने लगीं तो सरकार ने लोम्बार्डी और मिलान को रेड जोन घोषित कर दिया। 8 मार्च को लोम्बार्डी प्रांत में पहली बार ऑफिशियली लॉकडाउन घोषित हुआ। तब भी लोग नहीं चेते। लॉकडाउन से बचने के लिए हजारों-हजार लोग ट्रेनों में भरकर साउथ इटली की तरफ भागने लगे।
यही यहां के लोगों की सबसे बड़ी गलती साबित हुई। इसकी वजह से कोरोना पूरे देश में फैल गया। मजबूरन सरकार को अगले ही दिन यानी 9 मार्च को पूरे देश को लॉकडाउन करना पड़ा। लोग फिर भी नहीं माने। गलतियों पर गलतियां करते गए। अब संभाले नहीं संभल रहा। इसके चलते इटली में इतनी मौतें हो गईं।
सोचिए, जब इटली का ये हाल है तो भारत का क्या हो सकता है
इटली विकसित देश है। इसका हेल्थ केयर सिस्टम भारत के मुकाबले बेहद अच्छा है। हेल्थ केयर के लिहाज से इटली दुनिया में दूसरे पायदान पर है और भारत 112वें पर। यहां भारत के मुकाबले आबादी काफी कम है। बड़े-बड़े हॉस्पिटल और रिसर्च सेंटर्स हैं। फिर भी वे इस संकट को नहीं काबू कर पाए। हॉस्पिटल कोलैप्स होते रहे। डॉक्टर्स, नर्स के वीडियो सामने आ रहे हैं। उनको मास्क, सैनिटाइजर की कमी पड़ गई। उनकी जानें भी जा रही हैं। संक्रमितों के इलाज के लिए अस्पतालों में बेड नहीं बचा। अब आप खुद समझ सकते हैं कि यहां इटली में हालत कितनी बुरी है और फिर अंदाजा लगाइए कि संक्रमण फैला तो भारत में क्या हो सकता है?
घर से निकलने पर डॉक्यूमेंट भरना होता है, क्वारैंटाइन नियम तोड़ने पर 5 हजार यूरो का जुर्माना
लोगों ने लॉकडाउन नहीं माना तो सरकार ने नियमों को सख्त किया। पहले यहां क्वारैंटाइन नियमों को तोड़ने पर 350 यूरो का जुर्माना था, जिसे बढ़ाकर 5 हजार यूरो कर दिया गया है। लोगों को घर के बाहर बिल्कुल भी नहीं निकलना है। वही लोग निकल सकते हैं जो सुपर मार्केट, फार्मेसी या हॉस्पिटल में काम करते हैं। स्कूल, कॉलेज, ऑफिस सब बंद है। पार्क में रनिंग के लिए भी नहीं जा सकते हैं। घर का जरूरी सामान लाने के लिए परिवार के एक सदस्य को ही सुपरमार्केट जाने की अनुमति है। घर से निकलने पर सरकार की तरफ से दिया गया एक डॉक्यूमेंट भरना पड़ता है। वापस आने पर भी उसे भरकर पुलिस को देना होता है। हर वक्त पुलिस चेकिंग पर रहती है। बेवजह बाहर घूमने वालों को जुर्माना भरना पड़ता है।
लोगों ने खराब होने वाले सामान भी घरों में जमा कर लिए
जब सरकार ने पूरे देश में लॉकडाउन किया तो बहुत सारे लोग परेशान हो गए। लोगों ने सुपरमार्केट से काफी चीजें घरों में स्टॉक कर लीं। सारे सुपरमार्केट खाली हो गए थे। लोगों ने सब्जी, मीट जैसी खराब होने वाली चीजों को भी स्टॉक कर लिया। इसके चलते बाद में मुसीबत और बढ़ गई।
इटली ने देरी की, भारत ने सही समय पर लॉकडाउन किया
इटली में लॉकडाउन नहीं होता तो हालात और भी बदतर होते। हम सोच भी नहीं सकते कि कितने लोग इसमें मर जाते। हां, मुझे यह जरूर लगता है कि सरकार को लॉकडाउन का फैसला पहले ले लेना चाहिए था। इसमें देरी हुई। अगर ये पहले हो जाता तो हालात इतने खराब नहीं होते। संक्रमण से बचने का इकलौता तरीका लॉकडाउन ही है। सोशल डिस्टेंसिंग से आप वायरस से बच सकते हैं। भारत ने लॉकडाउन का फैसला सही समय पर लिया गया है। सोशल डिस्टेंसिंग घर के अंदर भी रखना है। अगर आपके परिवार में किसी को भी कोराेना संक्रमण का हल्का सा भी लक्षण हो या उसकी कोई ट्रैवल हिस्ट्री है तो आप खुद सचेत हो जाएं। उस शख्स को सबसे अलग रखें, ताकि वायरस पूरे घर में न फैले। डॉक्टर, फार्मेसी, सुपर मार्केट और ऐसे ही बाकी जगहों पर काम करते हैं वो रोज अपनी जान जोखिम में डालकर आपकी मदद कर रहे हैं। इसलिए आप आम आदमी की तरह घर पर तो रह ही सकते हैं।
खुद पर गर्व है, क्योंकि मैंने दूसरों की जान जोखिम में नहीं डाली
इतनी बातें पढ़ने के बाद आप सोच रहे होंगे कि मैं भारत वापस क्यों नहीं आई? तो मैं बताना चाहती हूं कि यहां रहने वाले कई इंडियन स्टूडेंट्स ने वीडियो बनाकर सरकार से मदद मांगी थी। सरकार उन्हें यहां से लेकर भी गई, लेकिन मेरा मानना है कि ये वायरस हम जैसे लोग ही फैला रहे हैं, जो ट्रैवल करने में सक्षम हैं। मुझे लगता है कि हमें ऐसा नहीं करना चाहिए। हमारी जिम्मेदारी बनती है कि हम जहां भी हैं, वहीं रहें। सोशल डिस्टेंसिंग की प्रैक्टिस करें। मुझे खुद पर गर्व है कि मैंने दूसरों की तरह गलती नहीं की। मैंने उन तमाम लोगों की जान खतरे में नहीं डाली जो हो सकता था कि मेरे वजह से संक्रमित हो जाते। फिर वह एयरपोर्ट तक छोड़ने वाला कैब ड्राइवर हो, प्लेन में सफर करने वाले अन्य यात्री हों, दिल्ली एयरपोर्ट पर मौजूद लोग हों या दिल्ली से कानपुर तक मेरे साथ ट्रेन में सफर करने वाले लोग।
भारत में भी लोग वही गलतियां कर रहे हैं
भारत की आबादी देखकर कोई भी समझ सकता है कि यह वायरस कितनी तेजी से वहां फैल सकता है। वहां लोगों की हाईजीन कंडीशन भी ठीक नहीं है। प्रधानमंत्री मोदी ने सही समय पर लॉकडाउन किया है, पर इसके नियम बेहद सख्त होने चाहिए। टीवी और वीडियो में हमने देखा है कि लोग कैसे सड़कों पर घूम रहे हैं। दिल्ली-मुंबई जैसे बड़े शहरों से हजारों हजार लोग गांवों की तरफ निकल रहे हैं। यह वही गलती है,जो इटली के लोगों ने की। भारत की लड़ाई इसलिए भी दूसरों से अलग है क्योंकि हम विकासशील देश हैं। हमारे यहां इटली, चीन, अमेरिका जैसा अच्छा हेल्थ केयर सिस्टम नहीं है। लोगों को सोचना चाहिए कि अगर उनके चाहने वालों को कुछ हुआ तो उन्हें सही तरीके का अंतिम संस्कार भी नसीब नहीं होगा। मैं यहां इटली में इसे देख रही हूं। यह काफी दर्दनाक और तकलीफ देने वाला है। तो आखिर में सिर्फ एक बात- एक दूसरे से दूर रहकर साथ निभाइये।
(संजना उत्तर प्रदेश के कानपुर की रहने वाली हैं और इटली के मिलान में पीएचडी कर रही हैं)
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