
लखनऊ. नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में बीते 56 दिनों से लखनऊ के घंटाघर परिसर में धरना दे रही 55 वर्षीय शमशुन्निसा की बुधवार रात मौत हो गई। बीते शुक्रवार को बारिश में भीगने से वह बीमार हो गई थी। इसके बाद उसे अस्पताल में भर्ती करवाया। लेकिन उन्होंने दम तोड़ दिया। बीते 18 दिनों ये तीसरी मौत है। इससे पहले आठ मार्च को प्रदर्शनकारी फरीदा (55) व उससे पहले 23 फरवरी को तैयबा (20) की मौत हो गई थी। दोनों ने बारिश में भीगने के बाद बीमारी के कारण दम तोड़ा था। तैयबा बीए अंतिम वर्ष की छात्रा थी।
शुरुआत से प्रदर्शन में शामिल रहीं शमशुन्निसा
सआदतगंज थाना इलाके के तकिया बदर अली शाह मौज्जम नगर की रहने वाली शमशुन्निसा (55) के पति बाबू की पूर्व में मौत हो चुकी है। बेहद गरीब परिवार से तालुक रखने वाली शमशुन्निसा के छह बेटे हैं। कोई मजदूरी करता है तो कोई रिक्शा चलाकर परिवार का भरण पोषण कर रहा है। दिल्ली के शाहीन बाग की तर्ज पर बीते 17 जनवरी से लखनऊ के घंटाघर परिसर में सीएए के विरोध में धरना जारी है। शमशुन्निसा शुरुआत से इस प्रदर्शन से जुड़ी हुई थीं।
बलरामपुर व ट्रामा सेंटर में कराया इलाज, नहीं बची जान
शुक्रवार को बारिश में भीगने के बाद शमशुन्निसा बीमार हो गई थीं। परिजनों ने उनका इलाज बलरामपुर अस्पताल व ट्रामा सेंटर में कराया। लेकिन बुधवार रात उनकी मौत हो गई। प्रदर्शनकारियों में प्रशासन के प्रति आक्रोश है। कहा- यदि घंटाघर प्रदर्शन स्थल पर टेंट लगा होता तो महिलाएं बीमार नहीं होती न ही उनकी जान जाती।
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