Saturday, February 1, 2020

हस्तिनापुर, राखीगढ़ी समेत पांच पुरातात्विक स्थानों को बनाया जाएगा आईकॉनिक; म्यूजियम भी बनेंगे

पानीपत/ लखनऊ. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में संस्कृति, पुरातत्व और पर्यटन को भी महत्व दिया है। संस्कृति मंत्रालय के लिए 3150 करोड़ रुपए और पर्यटन विकास के लिए 2500 करोड़ रुपए के बजट का प्रस्ताव रखा गया है। वित्त मंत्री ने ऐलान किया कि इस बजट का एक बड़ा हिस्सा 5 पुरातात्विक स्थानों को आइकोनिक बनाने में खर्च किया जाएगा। यह 5 स्थान हरियाणा के राखीगढ़ी, यूपी का हस्तिनापुर, असम का शिवसागर, गुजरात का धोलावीरा और तमिलनाडु का आदिचेन्नलूर है, यहां सड़क व रेल यातायात के साथ पर्यटन सुविधाएं भी विकसित की जाएंगी। जानिए इन पांच पुरातात्विक स्थानोंके बारे में...

हस्तिनापुर
उत्तरप्रदेश के मेरठ जिले में हस्तिनापुर नगर है। यह महाभारत कालीन शहर है, जो कुरु वंश के राजाओं की राजधानी थी। हिंदू इतिहास में हस्तिनापुर के लिए पहला संदर्भ सम्राट भरत की राजधानी के रूप में आता है। महा काव्य महाभारत में बताई गईघटनाएं हस्तिनापुर की ही हैं। बाबर ने भारत पर आक्रमण के दौरान हस्तिनापुर पर हमला किया था और यहां के मंदिरों पर तोपों से बमबारी की थी। मुगल काल में हस्तिनापुर पर गुर्जर राजा नैन सिंह का शासन था, जिसने हस्तिनापुर और इसके चारों ओर कई मंदिरों का निर्माण किया।


धोलावीरा
गुजरात के कच्छ में धोलावीरा गांव है। यह पांच हजार साल पहले विश्व का प्राचीन महानगर था। उस जमाने में लगभग 50 हजार लोग यहां रहते थे। 4 हजार साल पहले इस महानगर के पतन की शुरुआत हुई थी। 1450 में वापस यहां लोगों का बसना शुरू हुआ था। यहां उत्तर से मनसर और दक्षिण से मनहर छोटी नदी से पानी जमा होता था। हड़प्पा संस्कृति के इस नगर की जानकारी 1960 में हुई और 1990 तक इसकी खुदाई चलती रही। हड़प्पा, मोहन जोदाडो, गनेरीवाला, राखीगढ, धोलावीरा तथा लोथल ये छह पुराने महानगर पुरातन संस्कृति के नगर हैं। ऐसा माना जाता है कि भूकंप के कारण सम्पूर्ण क्षेत्र ऊंचा-नीचा हो गया। आज के आधुनिक महानगरों जैसी पक्की गटर व्यवस्था पांच हजार साल पहले धोलावीरा में थी। पूरे नगर में धार्मिक स्थलों के कोई अवशेष नहीं पाए गए हैं।

राखीगढ़ी
हिसार के ऐतिहासिक गांव राखीगढ़ी में म्यूजियम बनाया जाएगा। शोधकर्ताओं का दावा है कि राखीगढ़ी में करीब 8000 साल पुरानी देश की सबसे पुरानी मानव सभ्यता मौजूद थी। आज खंडहर में तब्दील हो चुका राखीगढ़ी, उस दौर में देश का पहला सुनियोजित नगर (प्लांड सिटी) हुआ करता था। केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए म्यूजियम में यहां खुदाई में मिली ऐतिहासिक चीजों को रखा जाएगा। 2013 में तब के मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने राखीगढ़ी में म्यूजियम बनाने की घोषणा की थी। राज्य सरकार ने इसके लिए 2 करोड़ रुपए का फंड भी पुरातत्व विभाग को दिया था। म्यूजियम के शिलान्यास की तैयारी भी हो चुकी थी। लेकिन, मुख्यमंत्री के स्वागत तैयारियों के दौरान एक बच्चे की मौत हो गई थी। इसके बाद शिलान्यास का कार्यक्रम टल गया था, जो कि अब तक नहीं बन पाया है। तब की घोषणा के मुताबिक, म्यूजियम में दो बड़े दो छोटे हॉल बनने थे। 22 कमरों का एक विश्राम गृह, कैफे और करीब 150 रिसर्चर के ठहरने के लिए हॉस्टल बनाए जाने का ऐलान किया गया था।

आदिचेन्नलूर
आदिचेनल्लूर तमिलनाडु के थूथुकुडी जिले में एक पुरातात्विक स्थल है, जो कई महत्वपूर्ण पुरातात्विक खोजों का केंद्र रहा है। प्रारंभिक पांडियन साम्राज्य की राजधानी कोरकाई, आदिचेनल्लूर से लगभग 15 किमी दूर स्थित है। आदिचेनल्लूर साइट से 2004 में खोदे गए नमूनों की कार्बन डेटिंग से पता चला है कि वे 905 ईसा पूर्व और 696 ईसा पूर्व के बीच के थे। 2005 में यहां मानव कंकालों वाले लगभग 169 मिट्टी के कलश का पता लगाया गया था, जो कि कम से कम 3,800 साल पहले के थे। मणिपुर विश्वविद्यालय में 1500 ईसा पूर्व के कंकाल के अवशेषों पर शोध किया गया था। 2004 में मिट्टी के बरतन के कलशों में कई कंकाल पाए गए थे। इनमें से कुछ कलशों में तमिल ब्राह्मी लिपि थी। जबकि, कुछ दफन कलशों में तमिल मूल के कंकाल थे, अन्य में ऑस्ट्रेलियाई, दक्षिण पूर्व एशियाई, पूर्वी एशियाई, मध्य पूर्वी और भूमध्यसागरीय लोगों के अवशेष पाए गए थे। ऑस्ट्रलॉइड संभवत: समकालीन ऑस्ट्रेलियाई आदिवासी थे, जिन्हें ज्ञात था कि उनके पास सीफेयरिंग क्वालिटी थी।

शिवसागर
असम का शिवसागर जिला राजधानी गुवाहाटी के उत्तर पूर्व में 360 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। असम में शिवसागर एक धरोहर स्थल है, क्योंकि यहां पूर्ववर्ती अहोम राष्ट्र के बहुत से स्मारक स्थित हैं। अब यह एक बहु-सांस्कृतिक शहर है। शिवसागर ब्रह्मपुत्र की सहायक दिखू नदी के किनारे स्थित है। जोरहाट से 50 किलोमीटर दूर पूर्व-पूर्वोत्तर में है। 13वीं शताब्दी में युनान क्षेत्र से चीन के ताई बोलने वाले अहोम लोग इस इलाके में आए। 18 वीं शताब्दी में शिवसागर अहोम साम्राज्य की राजधानी था। उस समय यह रंगपुर कहलाता था। उस काल के कई मंदिर यहां मौजूद हैं।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
आदिचेन्नलूर में हुई खुदाई में कलशों में मानव कंकाल मिले थे। शोधकर्ताओं का दावा है कि यह कंकाल विभिन्न देशों के लोगों के हैं।
राखी गढ़ी में खुदाई के दौरान कई ऐसे प्रमाण मिले, जो इसके प्राचीन शहर होने का दावा करते हैं।
धौलावीरा के बारे में यह भी दावे किए जाते हैं कि किसी के ऋाप के कारण यह शहर पलट गया था।
असम के शिवसागर जिले में कई मंदिर हैं, जो प्राचीन संस्कृति का परिचय देते हैं।
महाभारत के अनुसार हस्तिनापुर में ही युधिष्ठर द्रोपदी समेत अपना सबकुछ जुए में हार गए थे।


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2GLvMNa

SHARE THIS

Facebook Comment

0 comments: