Wednesday, February 12, 2020

कुंभ संक्रांति अाज, रोग और परेशानियों से मुक्ति के लिए की जाती है सूर्य पूजा और दान

जीवन मंत्र डेस्क. सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में भ्रमण करने को संक्रांति कहते हैं। हर संक्रांति का अलग महत्व होता है। वारयुक्त और नक्षत्रयुक्त संक्रांति का अलग-अलग फल भी होता है। सूर्य के कुंभ राशि में प्रवेश को कुंभ संक्रांति कहते हैं। सूर्य मकर से निकलकर अब कुंभ में प्रवेश करेंगे। 13 फरवरी को दोपहर 3 बजकर18 मिनट पर सूर्य कुंभ राशि में प्रवेश कर रहा हैं।

  • बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के ज्योतिषाचार्य पं गणेश मिश्रा ने बताया कि इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में सूर्य पूजन कर अर्घ्य देने और सूर्य की पूजा करने से सफलता प्राप्त होती है। सूर्य भगवान की पूजा से परिवार में किसी भी सदस्य पर कोई मुसीबत या रोग नहीं आता। साथ ही भगवान आदित्य के आशीर्वाद से जीवन के अनेक दोष भी दूर हो जाते हैं। इससे प्रतिष्ठा और मान-सम्मान में भी वृद्धि होती है। इस दिन खाद्य वस्तुओं, वस्त्रों और गरीबों को दान देने से दोगुना पुण्य मिलता है।

कुम्भ संक्रांति मुहूर्त

13 फरवरी, बृहस्पतिवार

शुभ मुहूर्त - सुबह 9:26 से 3:18 तक (5 घंटे 52 मिनट)

महापुण्य काल - प्रातः 1:28 से 3:18 तक (1 घंटा 50 मिनट)

कुम्भ संक्रांति

ज्योतिष शास्त्र मे सूर्य को सभी ग्रहों का पिता माना गया है। सूर्य की उत्तरायन और दक्षिणायन स्थिति द्वारा ही जलवायु और ऋतुओं में बदलाव होता है। सूर्य की स्थिति अथवा राशि परिवर्तन ही संक्रांति कहलाती है। हिन्दू धर्म मे संक्रांति का अत्यंत महत्व है। संक्रांति पर्व पर सूर्योदय से पहले स्नान और विशेषकर गंगा स्नान का अत्यंत महत्व है। ग्रंथों के अनुसार संक्रांति पर्व पर स्नान करने वाले को ब्रह्म लोक की प्राप्ति होती है। देवी पुराण में कहा गया है कि संक्रांति के दिन जो स्नान नहीं करता वो कईं जन्मों तक दरिद्र रहता है। संक्रांति के दिन दान और पुण्य कर्मों की परंपरा सदियों से चली आ रही है।

कुंभ​ संक्रांति का अर्थ

ज्योतिष के अनुसार सूर्य गतिमान है और ये एक रैखिक पथ पर गति कर रहा है। सूर्य की इसी गति के कारण ये अपना स्थान परिवर्तन करते रहते हैं। साथ ही विभिन्न राशियों में गोचर होते हैं। सूर्य किसी भी राशि में करीब एक माह तक रहते हैं और उसके बाद दूसरी राशि में प्रवेश कर जाते हैं। जिसे हिन्दू पंचांग और ज्योतिष शास्त्र मे संक्रांति की संज्ञा दी गयी है।

  • मकर संक्रांति के बाद सूर्य मकर से कुंभ राशि में प्रवेश कर जाते हैं जिसे कुंभ संक्रांति कहा जाता है। हिन्दू धर्म में कुंभ और मीन संक्रांति को भी महत्वपूर्ण माना गया है। क्योंकि इस समय में वसंत ऋतु और उसके बाद हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती है। कुंभ संक्रांति पर स्नान और दान का विशेष महत्व है।

कुंभ संक्रांति का महत्व

हिन्दू धर्म में पूर्णिमा अमावस्या और एकादशी तिथि का जितना महत्व है उतना ही महत्व संक्रांति तिथि का भी है। संक्रांति के दिन स्नान ध्यान और दान से देवलोक की प्राप्ति होती है। कुंभ संक्रांति के दिन प्रातः उठ कर स्नान करें और स्नान के पानी मे तिल जरूर डाल दें। स्नान के बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें। उसके बाद मंदिर जाकर श्रद्धा अनुसार दान करें ।अपनी इच्छा से ब्राह्मणों को भोजन कराएं। बिना तेल-घी एवं तिल और गुड़ से बनी चीजे ही खाएं।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
Kumbh Sankranti is done for liberation from today, diseases and troubles, Sun worship and donations


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3bvSYgv

SHARE THIS

Facebook Comment

0 comments: