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आगरा. महिला टी-20 वर्ल्ड कप में आगरा की रहने वाली लेग स्पिनर पूनम यादव ने अपनी गेंदबाजी के उत्कृष्ट प्रदर्शन से पूरी दुनिया में अपना लोहा मनवाया है। आज वे किसी परिचय का मोहताज नहीं है। लेकिन एक समय ऐसा भी आया था जबपूनम को उनके पिता ने सामाजिक दबाव के चलते क्रिकेट खेलने से मना कर दिया था। लोगों का ताना सुनकर मां भी एक आम लड़की की तरह शादी के बाद पूनम को चूल्हा, चौका करने की बात समझाती थीं। लेकिन, जुनून व जज्बे को देखकर माता-पिता, दोनों समझ चुके थे कि बेटी नहीं मानने वाली, फिर चाहे जितनी बंदिशें लगा लें। कोच हेमलता काला के समझाने पर परिजन तैयार हुए, फिर पूनम ने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
पिता सेना से रिटायर्ड, बोले- पूनम को लड़कों की तरह खेलना-रहना पसंद
पूनम के पिता रघुवीर सिंह आर्मी के रिटायर्ड सूबेदार मेजर हैं। उन्होंने बताया- 8 साल की उम्र में पूनम ने क्रिकेट खेलने के लिए स्टेडियम जाने की जिद की थी। उसे भेजना शुरू किया तो लोग ताना मारने लगे कि, बेटी बड़ी हो रही है। उसे स्टेडियम भेजना बंद करा दीजिए। बदनामी होगी। मैं भी लोगों की बातों में आ गया और उसका स्टेडियम जाना बंद करा दिया। एक दिन पूनम अपनी कोच हेमलता काला को लेकर घर आ गई। हेमलता ने समझाया कि, क्रिकेट में भी लड़कियां अच्छा कर रही हैं। उनकी बातों को सुनकर हम तैयार हो गए और पूनम को खेलने के लिए आजाद कर दिया।
पिता ने कहा- पूनम किसी भी चीज में लड़कों से कम नही हैं और बचपन से उसे लड़कों की तरह खेलना और रहना पसंद था। शुरुआत में वह बास्केटबॉल खेलती थी। लेकिन, लंबाई कम होने के चलते कोई फायदा नहीं दिखा और उसने एकलव्य स्टेडियम जॉइन किया तो उस समय भारतीय टीम में प्रीति और हेमलता दिवाकर खेल रही थीं। इसके बाद पूनम के दिल में विचार आया कि महिलाएं भी क्रिकेट खेलकर नाम कमा सकती हैं।
पिता ने कहा- उन्हें भारतीय टीम में खेल रही सभी बेटियों से उम्मीद है कि वो विश्वकप लाकर देश का नाम रोशन करेंगी। पूनम की कोहनी में चोट के चलते बीच में उसका प्रदर्शन कम हुआ था पर उसके बाद टीम ने उन पर भरोसा किया और पहले ही मैच में ऑस्ट्रेलिया के चार विकेट गिराकर उसने टीम को जीत दिलाकर सबको संदेश दे दिया कि भारत किसी से कम नहीं है।
टीम में आगरा कीदीप्ति भी मेरी बेटी की तरह
पूनम की मां मुन्नी देवी ने बताया कि- जब पूनम का मैच आता है तो खाना बनाना तक छोड़ देती हूं। कूकर की सीटी बजती रहे या खाना जल जाए उन्हें फर्क नही पड़ता है। मैच जरूर देखती हैं। पहले जब पूनम खेलने जाती थी तो लोग तरह तरह की बाते करते थे और ताने मारा करते थे पर बाद में जब उसने कुछ करके दिखाया तो सबकी बोलती बंद हो गयी। जब पूनम क्रिकेट खेलती थी तो उस समय हम कहते थे कि हम गांव के लोग हैं। तुम्हारी जल्दी शादी कर देंगे और न हमारे पास इतना ज्यादा खर्च करने के लिए पैसे हैं पर वो तब भी नहीं मानी और आज देश में नाम कमा रही है। आगरा की दीप्ति शर्मा भी टीम में है और मुझे कभी उससे जलन नहीं होती है, बल्कि खुशी होती है और मैं उसे भी बेटी की तरह ही मानते हैं। मुझे पूरा भरोसा है कि इस बार बेटियां कप जरूर लेकर आएंगी।
चौथा बेस्ट वनडे डेब्यू का पूनम के नाम रिकॉर्ड
शुरुआत में पूनम का आगरा मंडल में सिलेक्शन हुआ, फिर यूपी की टीम से खेलीं। वो अंडर-19 टीम की कैप्टन भी रह चुकी हैं। 5 अप्रैल 2013 को बांग्लादेश के खिलाफ वडोदरा में हुए टी-20 इंटरनेशनल मैच से करियर की शुरुआत की। करियर के पहले वनडे मैच में इन्होंने 15 रन देकर 3 विकेट लिए थे। यह इंडियन वुमेन क्रिकेट का चौथा बेस्ट वनडे डेब्यू रिकॉर्ड है।
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