Tuesday, February 4, 2020

भीष्म ने अष्टमी को प्राण त्यागे थे, लेकिन द्वादशी को होती है उनकी पूजा और तर्पण

जीवन मंत्र डेस्क. माघ मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को भीष्म द्वादशी का व्रत किया जाता है। इसे तिल द्वादशी भी कहते हैं। इससे 3 दिन पहले अष्टमी तिथि पर भीष्म पितामह ने अपने प्राण त्याग दिए थे। उनके तर्पण व पूजन हेतु माघ मास की द्वादशी तिथि को निश्चित किया गया है जिससे इस तिथि को भीष्म द्वादशी कहा जाता है। इस तिथि में अपने पूर्वजों का तर्पण करने का विधान है। इस बार भीष्म द्वादशी 6 फरवरी को है।

भीष्म का जन्म और प्रतिज्ञा

  1. द्वापरयुग में हस्तिनापुर में शांतनु नामक राजा और उनकी पत्नी गंगा थी। रानी गंगा ने देवव्रत नामक पुत्र को जन्म दिया।
  2. देवव्रत के जन्म के बाद अपने वचन के अनुसार गंगा, शांतनु को छोड़कर चली गईं।
  3. एक बार राजा शांतनु, गंगा नदी पार करने के लिए सत्यवती नाम की कन्या की नाव में बैठते हैं और उसके रूप पर मोहित हो जाते हैं।
  4. राजा शांतनु सत्यवती के पिता के सामने विवाह का प्रस्ताव रखते हैं, लेकिन सत्यवती के पिता शर्त रखते हैं कि सत्यवती की संतान ही राज्य की उतराधिकारी बनेगी। राजा शांतनु इस शर्त को नहीं मानते हैं।
  5. यह बात जब देवव्रत को पता चलती है तो वह अविवाहित रहने का संकल्प लेते हैं। इसके साथ ही सत्यवती का विवाह अपने पिता से करवा देते हैं।
  6. पुत्र की प्रतिज्ञा सुनकर राजा शांतनु देवव्रत को इच्छा मृत्यु का वरदान देते हैं और इस प्रतिज्ञा के कारण ही देवव्रत, भीष्म पितामह के नाम से प्रसिद्ध हुए।

महाभारत में भीष्म

  1. जब महाभारत का युद्ध होता है तो भीष्म कौरव पक्ष की तरफ से युद्ध लड़ते हैं।
  2. ब्रह्मचारी होने और इच्छा मृत्यु का वरदान प्राप्त होने के कारण पांडवों का भीष्म से जीत पाना असंभव था।
  3. 10वें दिन भीष्म द्वारा पांडवों की सेना को मारने पर घबराए पांडव तब श्रीकृष्ण के कहने पर भीष्म के सामने हाथ जोड़कर उनसे उनकी मृत्यु का उपाय पूछते हैं। भीष्म कुछ देर सोचने पर उपाय बता देते हैं।
  4. भीष्म ने बताया कि वो किसी भी नपुंसक के सामने शस्त्र नहीं उठाएंगे।
  5. इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण शिखंडी को युद्ध में उनके सामने खड़ा कर देते हैं।
  6. अपनी प्रतिज्ञा अनुसार शिखंडी पर शस्त्र न उठाने के कारण वे शस्त्र त्याग देते हैं।
  7. जिसका लाभ उठाकर अर्जुन ने भीष्म पितामह पर कई तीर चला दिए।
  8. सूर्य दक्षिणायन होने के कारण उन्होंने अपने प्राण नहीं त्यागे और उत्तरायण का इंतजार किया।
  9. इच्छा मृत्यु के वरदान की वजह से माघ माह के शुक्लपक्ष की अष्टमी तिथि पर भीष्म ने प्राण त्याग किए।


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Bhishma gave up his life to Ashtami, but on Dwadashi he is worshiped and offered


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