लखनऊ. नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में बीते साल 19 व 20 दिसंबर को उत्तर प्रदेश के 22 जिलों में हिंसा हुई थी। इस दौरान 21 लोगों की मौत हुई थी। इस मामले में पुलिस की कार्रवाई जारी है। बीते 4 दिनों में पुलिस ने 108 लोगों को गिरफ्तार किया है। ये सभी पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के सदस्य हैं। कार्यवाहक डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी ने कहा- पीएफआई पश्चिमी यूपी में सक्रिय है। बीते साल हुई हिंसा के लिए पीएफआई सदस्य जिम्मेदार थे। लेकिन मेरठ में पुलिस यह साबित नहीं कर पाई कि गिरफ्तार आरोपियों की हिंसा भड़काने में भूमिका क्या थी? इस पर डीजीपी ने कहा- हम साक्ष्य जुटा रहे हैं।
12 जिलों में ज्यादा सक्रियपीएफआई
कार्यवाहक डीजीपी ने कहा- पीएफआई संगठन का विस्तार संपूर्ण उत्तर प्रदेश में है। लेकिन मुख्य रूप से जनपद शामली, मुजफ्फरनगर, मेरठ, बिजनौर, लखनऊ, बाराबंकी, गोंडा, बहराइच, वाराणसी, आजमगढ़, गाजियाबाद व सीतापुर में ज्यादा सक्रिय हैं। बीते साल 19 व 20 दिसंबर को उत्तर प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर सीएए के खिलाफ देश विरोधी काम को अंजाम दिया गया। उस समय पीएफआई के 25 सदस्यों की गिरफ्तारी की गई थी। जिसमें प्रमुख रूप से प्रदेश अध्यक्ष वसीम अहमद, कोषाध्यक्ष नदीम अहमद, डिवीजन इंचार्ज बहराइच/बाराबंकी मौलाना अशफाक, डिवीजन इंचार्ज वाराणसी रहीस अहमद एडवोकेट, कमेटी मेंबर नसरुद्दीन सहित अन्य कई महत्वपूर्ण पदाधिकारियों की गिरफ्तारी की गई थी।
साल 2006 में बना था संगठन
अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी ने बताया कि वर्ष 2001 में भारत सरकार के द्वारा स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) संगठन पर प्रतिबंध लगाए जाने के पश्चात दक्षिण भारत के 3 संगठनों में नेशनल डेवलपमेंट फ्रंट केरल, मनीथा निधि परसाई तमिलनाडु एवं कर्नाटका फॉर्म फॉर डिग्निटी कर्नाटका ने वर्ष 2006 में सम्मेलन के फल स्वरुप केरल में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया पीएफआई नाम का नया संगठन बनाया था। इसकी स्थापना 22 नवंबर 2006 को हुई थी।
मेरठ में पुलिस साबित नहीं कर पाई जुर्म
पुलिस ने पश्चिमी यूपी के मेरठ में छह आरोपियों को गिरफ्तार किया था। जिन्हें रविवार को कोर्ट में पेश किया गया। लेकिन पांच को हाथों हाथ जमानत मिल गई। पुलिस यह साबित नहीं कर पाई कि इन युवकों से किस तरह की शांतिभंग होने का खतरा था? या फिर 20 दिसंबर की हिंसा में इनकी क्या भूमिका रही? फिलहाल फंडिंग की बात भी पुख्ता नहीं हो पाई। यही वजह रही कि पुलिस को महज 151 में कार्रवाई करनी पड़ी।
हम साक्ष्य जुटा रहे: एडीजी
अवनीश अवस्थी ने कहा- किसी भी रूप में देशविरोधी गतिविधियों के खिलाफ हमारा अभियान जारी रहेगा। एडीजी पीवी रमाशास्त्री ने कहा- साक्ष्य संकलन एक निरंतर प्रक्रिया है। अपने साथी संस्थाओं के साझा प्रयास से हम साक्ष्य इकट्ठा कर रहे हैं। ईडी जैसी अन्य एजेंसियां इस जांच में शामिल हैं।
ईडी की जांच में फंडिंग का मामला आया था सामने
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच रिपोर्ट में पीएफआई द्वारा भीड़ को भड़काने और हिंसा फैलाने के लिए उत्तर प्रदेश के कई जिलों में भी मोटी रकम जुटाने का मामला प्रकाश में आया था। इस रकम को पीएफआई के देश भर में खुले कुल 73 बैंक खाते में 120 करोड़ रूपए की धनराशि जमा किया जाना बताया गया था। सूत्रों के मुताबिक ईडी की जांच में सामने आया था कि हिंसा फैलाने में पीएफआई का भी हाथ है।
इन जिलों से इतने पीएफआई सदस्यों की हुई गिरफ्तारी-
जनपद | संख्या |
लखनऊ | 14 |
सीतापुर | 03 |
मेरठ | 21 |
गाजियाबाद | 09 |
मुजफ्फरनगर | 06 |
शामली | 07 |
बिजनौर | 04 |
वाराणसी | 20 |
कानपुर | 05 |
गोंडा | 01 |
बहराइच | 16 |
हापुड़ | 01 |
जाैनपुर | 01 |
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