Monday, February 17, 2020

योगी सरकार के हलफनामे पर संतुष्ट नहीं हाईकोर्ट, 16 मार्च तक मांगी अलग-अलग विस्तृत रिपोर्ट

प्रयागराज. नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) लागू होने के बाद उत्तर प्रदेश के 22 जिलों में हुई हिंसा को लेकर दाखिल सभी याचिकाओं पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में सोमवार को सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस गोविंद माथुर व जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा की डिवीजन बेंच ने सभी याचिकाओं पर राज्य सरकार से अलग-अलग विस्तृत हलफनामा मांगा है। बेंच ने राज्य सरकार को 16 मार्च तक हलफनामा दाखिल करने का समय दिया है। वहीं, अलीगढ़ में हुई हिंसा को लेकर दाखिल मोहम्मद अमन खान की याचिका पर हाईकोर्ट 26 फरवरी को अगली सुनवाई करेगी। जबकि, मुंबई के वकील अजय कुमार, स्वामी अग्निवेश, वजाहत हबीबुल्ला, पीएफआई समेत 14 याचिकाओं पर 18 मार्च को सुनवाई होगी।

कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा- हिंसा के दौरान कितने पुलिसकर्मी घायल हुए। सरकार के अधिवक्ता ने कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए बताया कि, हिंसा के दौरान करीब 300 पुलिस के अधिकारी व कर्मचारी घायल हुए हैं। लेकिन, वकील मेडिकल लीगल सर्टिफिकेट नहीं दाखिल कर सके। तर्क दिया कि, बहुत ज्यादा सर्टिफिकेट होने के चलते वे दाखिल नहीं कर सके। कोर्ट ने यह भी पूछा कि, कितनी गोलियां एफएसएल को भेजी गईं? हलफनामे में सरकार ने 315 बोर के एक कारतूस की रिपोर्ट दाखिल किया था। अदालत ने बाकी रिपोर्ट व दर्ज प्राथमिकी की भी जानकारी मांगी है।

नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में बीते साल 15 दिसंबर के बाद अलीगढ़ समेत यूपी के 22 जिलों में हिंसक प्रदर्शन हुए। इस दौरान 23 प्रदर्शनकारियों की मौत हुई। हाईकोर्ट में दाखिल कुल 14 याचिकाओं पर सुनवाई हो रही है। याचिकाओं में पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए हिंसा की न्यायिक जांच की मांग की गई है। हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग भी जांच के आदेश दिए हैं। लेकिन आयोग की तरफ से आज कोई जवाब दाखिल नहीं किया जा सका।



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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दर्ज प्राथमिकी की रिपोर्ट भी मांगी।


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