जीवन मंत्र डेस्क. पुराने समय में एक राजा को अपने राज्य के छोटे-बड़े लोगों से कुछ न कुछ सीखते रहने की आदत थी। उसे किसी से भी कुछ सीखने में शर्म नहीं आती थी। इसी वजह से वह कम उम्र में ही बहुत अनुभवी हो गया था। एक दिन राजा वेश बदलकर प्रजा का हाल जानने के लिए राज्य में भ्रमण कर रहे थे।
- राजा ने एक खेत में देखा कि कोई वृद्ध काम कर रहा है। राजा के पास पहुंचे तो वह वृद्ध को देखकर हैरान हो गया। वृद्ध के बाल सफेद हो गए थे, लेकिन शरीर से पूरी तरह स्वस्थ था। राजा ने उससे पूछा कि बाबा आपकी उम्र कितनी है? वृद्ध ने अनजान व्यक्ति की ओर देखकर कहा कि मेरी उम्र चार साल है।
- ये जवाब सुनकर राजा को थोड़ा अजीब लगा, लेकिन उसे लगा कि वृद्ध मजाक कर रहा है। उसने फिर से पूछा कि कृपया आपकी सही उम्र बताएं। वृद्ध ने फिर अपनी उम्र चार साल ही बताई।
- अब राजा को गुस्सा आ गया। उसने सोचा कि मैं इसे अपनी असलीयत बता दूं, तब ये सही जवाब देगा, लेकिन उसे अपने गुरु की बात याद आई कि क्रोध की वजह से हम ज्ञान अर्जित नहीं कर सकते हैं, इसीलिए धैर्य से काम लेना चाहिए।
- राजा ने खुद को शांत करते हुए वृद्ध से कहा कि बाबा आपके बाल सफेद हो गए हैं, लाठी का सहारा लेकर चल रहे हैं, चेहरे पर झुर्रियां पड़ गई हैं, मेरा अनुमान है कि आपकी उम्र कम से कम 80 वर्ष होगी। कृपया अपनी सही उम्र बताएं।
- वृद्ध ने कहा कि आपका अनुमान सही है, मेरी उम्र 80 वर्ष ही है। मैंने पूरे जीवन धन कमाया और अपने परिवार का पालन किया। 4 साल पहले मुझे ये अहसास हुआ कि ऐसा जीवन तो कोई पशु भी जी सकता है, इसीलिए इस जीवन का कोई महत्व नहीं है। इसके बाद से मैंने भगवान की भक्ति करने लगा। अब में परोपकार में लगा रहता हूं और प्रभु स्मरण करता हूं। इसी वजह से मैं मेरी उम्र 4 वर्ष ही मानता हूं।
- राजा को वृद्ध की बातें समझ आ गई कि वह स्वयं भी जीवन में कोई महत्वपूर्ण काम नहीं कर रहा है। इसके बाद से राजा पूरी तरह बदल गया। उसने क्रोध पर नियंत्रण करना सीख लिया और प्रजा की भलाई में अपने धन लगा दिया।
कथा की सीख
अगर हम कुछ सीखना चाहते हैं तो हमें क्रोध से बचना चाहिए। क्रोध की वजह से हम कभी भी किसी से ज्ञान अर्जित नहीं कर सकते हैं। इस कथा में राजा उस वृद्ध पर क्रोधित हो जाता तो उसे जीवन की महत्वपूर्ण सीख नहीं मिल पाती।
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