
- एकादशी पर स्नान के बाद भगवान विष्णु की प्रतिमा के सामने बैठकर व्रत और पूजा करने का संकल्प लेना चाहिए। इस तिथि पर व्रत करने वाले भक्त दिनभर अन्न ग्रहण नहीं करते हैं। अगर ये संभव न हो तो एक समय फलाहार किया जा सकता है। विष्णुजी की विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए। ध्यान रखें पूजा की शुरुआत गणेश पूजा से करनी चाहिए। विष्णुजी के साथ ही शिव पूजा भी जरूर करें।
- पूजा किसी ब्राह्मण से भी करवा सकते हैं। प्रतिमा को पंचामृत से स्नान कराएं। फूल, धूप, नैवेद्य आदि सामग्री चढ़ाएं। दीपक जलाएं। विष्णु सहस्त्रनाम का जाप करें। व्रत की कथा सुनें। दूसरे दिन यानी द्वादशी पर अपने सामर्थ्य के अनुसार ब्राह्मणों को या जरूरतमंद लोगों को भोजन कराएं और दान दें।
- शिव मंदिर जाएं और गणेशजी की पूजा करें, इसके बाद शिवलिंग पर जल, दूध चढ़ाएं। हार-फूल अर्पित करें। बिल्व पत्र चढ़ाएं। पूजा में दीपक जलाकर ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप करें। मंत्र जाप कम से कम 108 बार करें। इसके लिए रुद्राक्ष की माला का उपयोग करना चाहिए।
- षट्तिला एकादशी पर तिल का दान करें। तिल से बने व्यंजनों का सेवन करें। किसी मंदिर जाएं और ध्वज यानी झंडे का दान करें। शिवलिंग पर जल चढ़ाएं, काले तिल चढ़ाएं। एकादशी पर सूर्यास्त के बाद हनुमानजी के सामने दीपक जलाएं और सीताराम-सीताराम का जाप 108 बार करें। सुबह तुलसी को जल चढ़ाएं और शाम को तुलसी के पास दीपक जलाएं। विष्णुजी के साथ ही महालक्ष्मी की पूजा भी करेंगे तो बहुत शुभ रहेगा।
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