प्रयागराज. नागरिकता संशोधन कानून के मुद्दे पर विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने केंद्र सरकार के निर्णय की सराहना करते हुए तय किया है कि, वह इसके लिए गांव-गांव जनजागरण करेंगे। यह निर्णय प्रयागराज में आयोजित संत सम्मेलन में मंगलवार को लिया गया। कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा- सदन से पास व राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद किसी कानून को देश में कोई भी राज्य लागू करने से इंकार नहीं कर सकता है। अगर कुछ राज्य सरकारें सीएए में अड़चन लगाएंगी तो संत अपने यहां शिविर लगाकर बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए शरणार्थियों से नागरिकता फार्म भरवाएंगे।
25 मार्च से 8 अप्रैल के बीच मंदिर निर्माण का समय उपयुक्त
दरअसल, माघ मेले-2020 के परेड ग्राउंड स्थित शिविर में विहिप ने दो दिवसीय समारोह आयोजित किया था। सोमवार को सीएए, राम मंदिर, धर्मांतरण, परिवार विघटन आदि मुद्दा छाया रहा। इस दौरान संतों की तरफ से प्रस्ताव पेश किए गए, जिस पर अन्य संतों द्वारा समर्थन किया गया। मंगलवार को सम्मेलन में हजारों संत शामिल हुए। जिसमें मंदिर निर्माण के लिए 25 मार्च से आठ अप्रैल 2020 के समय को उपयुक्त बताया गया। कहा गया कि, 25 मार्च से चैत्र नवरात्रि शुरू हो रहा है और आठ अप्रैल को हनुमान जयंती है। इस तिथि के बीच मंदिर निर्माण कार्य शुरू हो जाए तो अच्छा है।
विहिप के मॉडल पर बने मंदिर
श्रीराम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास ने कहा- वर्ष 1989 में प्रयागराज कुंभ में रखा गया राम मंदिर मॉडल और उसी आधार पर तराशे गए पत्थरों से मंदिर बनना चाहिए। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी ने सीएए, एक देश एक विधान व विहिप के अन्य सभी प्रस्तावों का अखाड़ा की तरफ से समर्थन किया है।
आंदोलन से जुड़े संतों को मिले मंदिर निर्माण की जिम्मेदारी
सम्मेलन में स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने कहा- यदि राम मंदिर आंदोलन से जुड़े संतों को ट्रस्ट में जगह व मंदिर निर्माण की जिम्मेदारी नहीं मिली तो वे कभी अयोध्या नहीं जाएंगे। उन्होंने सीएए को लेकर कहा- यह भारत अब 1947 वाला नहीं, 2020 का है। अब पाकिस्तान सोचें कि उनका सिंध और बलूचिस्तान कैसे बचेगा? पीओके को हमारे वीर जवान किसी भी दिन ले सकते हैं। सरकार सीएए पर किसी तरह का बदलाव न करे।
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