
बरेली. राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को कहा कि संविधान कहता है कि हमें भावनात्मक एकजुटता लाने की कोशिश करनी चाहिए। वह भावना क्या है? भावना ये है कि यह देश हमारा है। हम अपने महान पूर्वजों के वंशज हैं। विभिन्नताओं के बावजूद हमें साथ रहना है और इसे ही हम हिन्दूत्व कहते हैं।
एक कार्यक्रम के दौरान भागवत ने कहा कि रुढ़िवादी कुरीतियों से पूरी तरह मुक्त जिस भारत कीगांधी जी ने कल्पना की थी उस तरह के भारत के निर्माण की कल्पना करना जरुरी है। समस्या स्वतंत्र होना नहीं है, हम बार बार गुलाम होते रहे, इसलिए बार बार स्वतंत्र होते रहे। कहा कि मुट्ठी भर लोग आते हैं और हमे गुलाम बनाते हैं। ये इसलिए कि हमारी कुछ कमियां हैं।
इजरायल के जिक्र करते हुए कहा कि वो दुनिया में सम्पन्न देश है। आज उसकी धाक है दुनिया में। उसको हाथ लगाया तो अंजाम भुगतना पड़ेगा।हमारा देश करोड़ों की जनसंख्या वाला देश बन गया है। लेकिन अभी हमें और मजबूत होने की जरूरत है
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