जीवन मंत्र डेस्क. शनिवार को शनि के साथ ही हनुमानजी की भी पूजा विशेष रूप से की जाती है। शनि और हनुमानजी से जुड़ी एक कथा प्रचलित है। कथा के अनुसार पुराने समय में शनिदेव को अपनी शक्ति पर अहंकार हो गया था। अहंकार की वजह से वे हनुमानजी से युद्ध करने पहुंच गए। इस युद्ध में हनुमानजी ने शनि को पराजित कर दिया। प्रहारों की वजह से शनि को काफी पीड़ा हो रही थी। तब हनुमानजी ने शनि को शरीर पर लगाने के लिए तेल दिया। तेल लगाते ही शनिदेव की सारी पीड़ा दूर हो गई। इससे प्रसन्न होकर उन्होंने कहा कि अब जो भी भक्त हनुमानजी की पूजा करेगा, उस मेरी अशुभ दृष्टि का असर नहीं होगा। तब से ही शनि दोषों को दूर करने के हनुमानजी की पूजा करने की परंपरा चली आ रही है।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार मनोकामनाओं के अनुसार हनुमानजी के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा करने पर सकारात्मक फल जल्दी मिल सकते हैं। नियमित रूप से हनुमानजी की पूजा करने से आत्मविश्वास बढ़ता है, नकारात्मकता दूर होती है, दैनिक जीवन में ऊर्जा बनी रहती है। जानिए हनुमानजी के 6 स्वरूपों से जुड़ी खास बातें...
- सूर्यदेव हनुमानजी के गुरु हैं। जिस स्वरूप में हनुमानजी सूर्य की उपासना कर रहे हैं या सूर्य की ओर देख रहे हैं, उस स्वरूप को सूर्यमुखी हनुमान कहा जाता है। इस स्वरूप की पूजा करने पर हमारी एकाग्रता बढ़ती है। ज्ञान में बढ़ोतरी होती है।
- हनुमानजी की जिस प्रतिमा जिसका मुख दक्षिण दिशा की ओर होता है, वह हनुमानजी का दक्षिणमुखी स्वरूप है। दक्षिण दिशा काल यानी यमराज की दिशा मानी जाती है। हनुमानजी रुद्र यानी शिवजी के अवतार हैं, जो काल के नियंत्रक हैं। इसलिए दक्षिणामुखी हनुमान की पूजा करने पर मृत्यु भय और चिंताओं से मुक्ति मिलती है।
- देवी-देवताओं की दिशा उत्तर मानी गई है। इसी दिशा में सभी देवी-देवताओं का वास है। हनुमानजी की जिस प्रतिमा का मुख उत्तर दिशा की ओर है, वह हनुमानजी का उत्तरामुखी स्वरूप है। इस स्वरूप की पूजा करने पर सभी देवी-देवताओं की कृपा भी प्राप्त होती है। घर-परिवार में शुभ और मंगल वातावरण रहता है।
- जिस स्वरूप में हनुमानजी श्रीराम की भक्ति में लीन दिखाई देते हैं, उस स्वरूप को भक्त हनुमान कहा जाता है। जो लोग इस स्वरूप की पूजा करते हैं, उनकी एकाग्रता बढ़ती है। व्यक्ति का मन धर्म-कर्म में लगा रहता है।
- हनुमानजी का एक स्वरूप सेवक हनुमान है। इसमें वे श्रीराम की सेवा करते हुए दिखते हैं। इस स्वरूप की पूजा करने पर हमारे मन में सेवा करने का भाव जागता है। घर-परिवार के लिए समर्पण की भावना आती है। माता-पिता और वरिष्ठ लोगों की कृपा मिलती है।
- वीर हनुमान स्वरूप साहस, बल, पराक्रम और आत्मविश्वास का प्रतीक है। इस स्वरूप में हनुमानजी ने राक्षसों का संहार किया था। वीर हनुमान की पूजा से हमारा साहस और आत्मविश्वास बढ़ता है।
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